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भारत आज ब्रिटेन से बड़ी ताक़त कुछ “बड़ा “ न कर पाने का तंज भी


श्री लाजपत आहूजा,पूर्व संचालक , जनसंपर्क विभाग

एलिज़ाबेथ की मृत्यु के बाद का विश्व नैरेटिव !

                ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ के निधन के बाद का अन्तराष्ट्रीय राजनीतिक आख्यान ध्यान देने योग्य है.फाक्स न्यूज़ के चर्चित एंकर   टकर करिसन का मानना है कि भारत आज ब्रिटेन से शक्तिशाली देश है पर वो एक भी  मुम्बई (बंबई) रेलवे स्टेशन जैसा निर्माण  नहीं कर पाया.कहा तो उन्होंने यह भी कि एक ओर भारत को उन्होंने ऐसी सभ्यता दी कि अंग्रेजों के जाने के बाद भारत कहाँ से कहाँ पहुँच गया.दूसरी ओर अमरीका के अफ़ग़ानिस्तान को छोड़ने के बाद अफ़ग़ानिस्तान का क्या हाल हो गया.
               टकर के इस आख्यान को कई तरह से गलत साबित किया जा सकता है कि संसार की सबसे  प्राचीन सभ्यताओं में से एक भारत का इतिहास तीन शताब्दियों तक सीमित मान लेना  मानसिक दिवालियापन है.लेकिन नैरेटिव की दो बातों को नकारा नहीं जा सकता-एक तो भारत आज ब्रिटेन से अधिक ताकतवर देश हो गया है और दूसरा सच में हम अपने विश्व उदाहरण कितने बना पाये?.मुम्बई के जिस रेलवे स्टेशन की बात टकर ने कहा है ,वह स्टेशन आज यूनेस्को विश्व विरासत है.हम अंग्रेजों के बनाए  भवनों में अपनी संसद और सरकार चला रहे हैं.आज जब हम अपने भवन  बनाने जा रहे हैं तो देश की राजधानी के उस सेंटर विस्टा प्रोजेक्ट का एक वर्ग दृारा प्रतिदिन का विरोध किया जा रहा है.हम यह भूल जाते हैं कि यह हमारे कल के विश्व उदाहरण हैं.कोविड काल में भी इसका काम चलता रहा.इसकी भी आलोचना की गई.यह तथ्य भुला दिया गया कि इन मज़दूरों को उस कठिन कालखंड में रोजगार और सुरक्षा दोनों मिली.ये सभी श्रमिक अब गणतंत्र दिवस परेड में प्रधानमंत्री के अतिथि होंगे.
               हद तो तब हो गई जब औपनिवेशिक गुलामी के प्रतीक नाम बदले गए.एक इतिहासकार हैं इरफ़ान हबीब जो राममंदिर के मामले में पुरातत्ववेत्ता भी बन गये थे.के मुहम्मद उन जैसे लोगों को मामला बिगाड़ने का दोषी मानते हैं.अन्यथा मुस्लिमों का एक वर्ग बहुत पहले इसे हिन्दुओं को सौंपकर सौहार्द का अभूतपूर्व वातावरण बनाने का पक्षधर था.वही जनाब राजपथ का नाम बदलने को लेकर कह रहे हैं कि नाम पहले बदले जा चुके हैं .अब सनक है.
उनका मानना है कि क्वीनस वे जनपथ हो गया और किंग्स वे राजपथ.अब उन्हें कौन बताये कि जनपथ का नाम नहीं बदला गया .राजपथ का बदला गया है.अगर उसका नाम तब राष्ट्रपथ कर दिया जाता तो उसे भी बदलने की जरूरत नहीं होती .अब  केवल नाम ही नहीं बदला गया वहाँ का पूरा नक्शा ही बदला गया है.अब वह भारत का नया निर्माण हो रहा है.कल को कोई टकर नहीं कह पायेगा कि आपने किया क्या है.यह सब तो अंग्रेजों का किया धरा है.

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