रोचक किस्सा सुनाते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने याद किया जगत नारायण जोशी को
भाजपा नेताओं से अटल जी ने पूछा था आप में से मेरी पार्टी के कितने लोग हैं
वरिष्ठ पत्रकार, कीर्ति राणा
भाजपा में कार्यकर्ताओं की पीढ़ी को गढ़ने वाले वरिष्ठ नेता जगत नारायण जोशी की शोक बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें याद करते हुए किस्सा सुनाया कि जोशी के निवास पर ही उनके विवाह संबंधी चर्चा हुई थी।वर्षों बाद इंदौर नगर निगम के चुनाव 1983 में घोषित हुए थे। पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में आमसभा करने अटल जी इंदौर आए थे। सभा के बाद जगत नारायण जोशी जी के निवास पर भोजन के लिए अटलजी पहुंचे।स्थानीय वरिष्ठ नेता, प्रत्याशी आदि भी साथ थे।
भोजन से पहले चल रही हंसीमजाक में अटलजी ने पूछा आप में से कितने लोग मेरी पार्टी के हैं? प्रश्न अटपटा था, क्या जवाब दें। अटल जी से पूछा आपकी पार्टी से मतलब? वो बोले अरे भई मेरी तरह कितने कुंवारे बैठे हैं यहां। जोर का ठहाका लगा फिर राजेंद्र धारकर जी ने कहा कैलाश है, ललित पोरवाल है, पंकज संघवी है…। अटलजी ने पूछा ये लोग शादी करना नहीं चाहते या कहीं से रिश्ता नहीं आया।
जोशी जी ने कहा कैलाश के लिए कलकत्ता से रिश्ता आया है(आशा विजयवर्गीय का मायका कलकत्ता में है)। अटलजी ने पूछा फिर देरी किस बात की।धारकरजी ने कहा ये नगर निगम चुनाव निपट जाए फिर कलकत्ता जाना है, रिश्ता जम जाएगा तो बात पक्की कर आएंगे।इस बीच किशोरी लाल गोयल जी ने कहा हमारा कैलाश बड़ा नेता बन गया है, वो क्यों जाएगा? जोशी जी आप लड़की वालों से कहो कलकत्ता से यहां आ जाएं, सब फाइनल कर लेंगे।
किस्सा सुनाते हुए विजयवर्गीय बोले यह कहने में संकोच नहीं कि जोशी जी के निवास पर ही मेरे विवाह बंधन की नींव रखी गई थी। उन्होंने कहा सरकार किसी भी दल की रही जोशी जी के ट्रैफिक अनुभव की सबने मदद ली। गुजरात में मोदी जी ने उन्हें वहां के यातायात को और बेहतर बनाने के लिए आमंत्रित किया था।
प्रीतमदास सभागृह में हुई शोकसभा में शहर और पार्षदों की तरफ से महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा आधुनिक इंदौर ने शहर के ट्रैफिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने वाले व्यक्तित्व को खो दिया है। आयडीए के पूर्व अध्यक्ष मधु वर्मा ने याद करते हुए कहा जगत नारायण जी पद-प्रभाव के मोह से मुक्त होकर कार्य करते रहे और शहर में अपनी ऐसी विशिष्ठ पहचान बनाई कि यातायात सुधार को लेकर सबसे पहले उनका नाम ही याद आता था।शोक सभा में भाजपा सहित अन्य दलों, व्यापारिक-सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी बड़ी संख्या में मौजूद थे।
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