अपना एमपी गज्जब है~5 अब विभीषण की तलाश!
मुख्यमंत्री या मुख्यसचिव के "मित्रों" ने फैलाया रायता ?
वरिष्ठ पत्रकार, अरुण दीक्षित
मध्यप्रदेश में इन दिनों ऑडिटर जनरल (एजी) की एक रिपोर्ट ने हंगामा मचाया हुआ है। राज्य के महिला एवम बाल विकास मंत्रालय के भ्रष्टाचार से जुड़ी इस रिपोर्ट के निशाने पर खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह हैं।इस वजह से एक ओर तो मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य इस रिपोर्ट को ही खारिज करने में जुटे हुए हैं वहीं "टीम शिवराज" उस "विभीषण" को भी तलाश रही है जिसने इस कथित ड्राफ्ट रिपोर्ट को मीडिया तक पहुंचाया है।
खोज इस बात की भी की जा रही है कि कहीं यह "एजी रिपोर्ट बम" मुख्यमंत्री की बजाय मुख्यसचिव के "मित्रों" ने तो नही फोड़ा है।
इस रिपोर्ट ने पिछले एक सप्ताह से राज्य की राजनीति में हंगामा मचा रखा है।करोड़ों के भ्रष्टाचार से जुड़ी इस रिपोर्ट के बारे में सरकार लगातार यह कह रही है कि यह अंतिम रिपोर्ट नही है।यह ड्राफ्ट रिपोर्ट है।खुद मुख्यमंत्री ने भी यही कहा है।चूंकि यह विभाग खुद मुख्यमंत्री के पास है इसलिए चर्चा ज्यादा है। मजे की बात यह है कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्री, भ्रष्टाचार पर कुछ नही बोल रहे हैं।यह जरूर है कि मुख्यमंत्री ने इस मामले में कांग्रेस के 15 महीने के शासनकाल को इसमें शामिल कर दिया है।
इस बीच मुख्यमंत्री की टीम उस "विभीषण" की तलाश में जुट गई है जिसने इसे "लीक" किया है। कौन है वो शख्स जिसने ऐसे समय पर यह दांव चला है जब मुख्यमंत्री थोड़ी परेशानी में हैं।चूंकि एजी का मुख्यालय ग्वालियर में है, और ग्वालियर इस समय उनके लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है , इसलिए टीम शिवराज पूरी ताकत से विभीषण को खोज रही है।
शिवराज के करीबी सूत्रों का कहना है कि संसदीय बोर्ड से हटाए जाने और अमित शाह के भोपाल आकर "समीक्षा" करने के बाद बने माहौल में इस रिपोर्ट का सामने आना बहुत ही गंभीर बात है।इसके निशाने पर सीधे शिवराज ही हैं। यह ठीक है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर उन्हें घेर नही पा रही है।लेकिन उनकी कुर्सी पर नजर गड़ाए बैठे उनके "अपने लोग" बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं। उन्होंने यह पूरा मामला दिल्ली पहुंचा दिया है।दिल्ली इस मामले पर अपनी आंख लगाए हुए है।इस बीच पार्टी के भीतर से प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं।इस वजह से टीम शिवराज जल्दी से जल्दी विभीषण तक पहुंचना चाहती है।
इधर एक चर्चा यह भी है कि यह नौकरशाही का खेल है। प्रदेश के मुख्यसचिव मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र हैं।इस वजह से वे कैबिनेट मंत्रियों के निशाने पर भी हैं।एक कैबिनेट मंत्री ने अभी हाल में ही मीडिया के सामने मुख्यसचिव को निरंकुश तानाशाह तक कह दिया था।
लेकिन एक पक्ष यह भी है कि मुख्यसचिव अपनी बिरादरी के बीच भी लोकप्रिय नहीं है।वरिष्ठ अधिकारियों का एक बड़ा वर्ग उनके रवैए से खुश नहीं है।खासतौर पर वे अफसर जो मुख्यसचिव की कुर्सी के प्रबल दावेदार हैं।ये सब भी बहुत ताकतवर माने जाते हैं।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री मुख्यसचिव को एक वर्ष और अपने साथ रखना चाहते थे।इसके लिए उन्होंने ऊपर बात भी की थी।लेकिन "दिल्ली" ने उनकी बात नही मानी।इस वजह से इन अफसरों का हौसला बढ़ा है।बताते यह भी हैं कि पिछले दिनों भोपाल से प्रधानमंत्री कार्यालय को एक गुमनाम पत्र के जरिए एक कुंडली भेजी गई थी।इस कुंडली में बहुत कुछ लिखा गया था।
इन सूत्रों का कहना है कि यदि मान भी लें कि यह ड्राफ्ट रिपोर्ट ही है और सरकार जो कह रही है वह सच है।तो सवाल यह उठता है कि महिला और बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव को भेजी गई यह गोपनीय रिपोर्ट सार्वजनिक कैसे हो गई?
जरूर यह काम उस व्यक्ति ने किया है जो एक तीर से दो शिकार करना चाहता है। इस रिपोर्ट के सामने आने से मुख्यमंत्री पर तो सवाल उठा ही है,मुख्यसचिव भी इसकी जद में आ गए हैं।दोनों के "अपने" ही परदे की ओट से तीर चला रहे हैं।इसलिए यह पता करना जरूरी है कि विभीषण कौन है।रिपोर्ट कहां से बाहर निकली है?ग्वालियर या भोपाल !
फिलहाल टीम शिवराज अपनी पूरी ताकत से अपनी विभीषण पकड़ो मुहिम में जुटी हुई है।उधर मुख्यसचिव बनने की लाइन में लगे अफसर दूर से तमाशा देख रहे हैं।क्योंकि इतना तो साफ हो गया है कि वर्तमान मुख्यसचिव को अपनी तय तारीख को पद छोड़ना होगा।
फिलहाल इस पूरे "खेल" को लेकर हर पक्ष उत्साहित है। पर सबकी नजरें लगी हुई हैं। क्योंकि दोनो ही मुखिया निशाने पर हैं!
है न अपना एमपी गज्जब!