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कमलनाथ सरकार ने भी नहीं दी थी मंजूरी...?


वरिष्ठ पत्रकार श्री श्रीप्रकाश दीक्षित

                 खबर भले छोटी है पर है बेहद अर्थपूर्ण...! भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ १७ साल से लंबित मामला हाई कोर्ट ने बंद कर दिया.वजह यह की राज्य सरकार मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन की स्वकृति देने को साल-दर-साल टालती रही है.अदालत ने इस तल्ख़ टिप्पणी के साथ मामला बंद कर दिया की अभियोजन की अनुमति के इंतजार में प्रकरण अनंतकाल तक लंबित नहीं रखा जा सकता है.दरअसल विजयवर्गीय के खिलाफ पेंशन घोटाले का यह मामला तब  का है जब वो इंदौर के महापौर और दिग्विजयसिंह मुख्यमंत्री हुआ करते थे.तब महापौर पर मुख्यमंत्री की कृपा जमकर बरसती थी. कांग्रेस नेता ही कहने लगे थे कि विजयवर्गीय की शिकायतें सिंह से करने का कोई मतलब नहीं क्योंकि दोनों के बीच गजब का  राजनीतिक तालमेल है।
                   इसे भी याद रखा जाना चाहिए की अभियोजन की मंजूरी को लटकाए रखने की  सत्रह साल की लम्बी अवधि में दो साल पहले के डेढ़ साल भी शामिल हैं.तब कांग्रेस के कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और दिग्गी राजा की तूती बोलती थी. याने कांग्रेस सरकार ने भी कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति देने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई..! क्या गजब की केमेस्ट्री है दोनों दलों के बड़े नेताओं में,कितना खयाल रखते हैं एक दूसरे का...! उधर कैलाश विजयवर्गीय अपनी ही पार्टी की शिवराज सरकार को भ्रष्टाचार के लिए कोसते रहे हैं.क्या ही अच्छा होता अगर वो दखल देकर पेंशन के घोटाले का मुक़दमा हो जाने देते जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता।

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