राज्यों में कब गिरेंगे भ्रष्टाचार के ट्विन टावर...
वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह
ना काहू से बैर
भोपाल। सीबीआई के बाद ईडी की कार्यवाही पूरे भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ मशहूर हो रही है। इसी बीच अब एकदम से 'करप्शन अगेंस्ट इंडिया' माहौल में 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' की बात होने लगी है। यूपी के नोएडा में 300 करोड़ ₹ की लागत से बने 31 और 32 मंजिला ट्विंस टावर को जमींदोज करने के बाद देशभर में यह चर्चा आम हो रही है कि हमारे यहां के करप्शन टावर कब ध्वस्त होंगे ?
संदर्भ है मध्यप्रदेश में पिछले महीने हुए नगरीय निकाय चुनाव का। नगर सरकारों के चुनाव हो गए और हर शहर में करप्शन के टावर बने हुए सबके मुंह चिढ़ा रहे हैं। जरूरी नहीं है कि हर भ्रष्टाचार की इमारत को तोड़ने के लिए ट्विंस टावर की तरह प्रशासनिक और न्यायिक निर्देश व आदेश दिए जाएं। नोएडा के ट्विंस टावर के भूमिसात होते ही देश भर में एक कठोर संदेश गया है कि भ्रष्टाचार के गठबंधन से चाहे जितनी ऊंची इमारत बनाई जाए वह गिर भी सकती है और हथेली लगाने नही आएगा गर आ भी जाए तो कामयाब नही हो पाएगा। बस अब इंतजार है तो इसमे शरीक राजशाही और नौकरशाही से जुड़े गुनाहगारों को सजा मिलने का। इन शरीक के जुर्म के दिग्गज कब बेनकाब हो जेल में बंद होंगे। मध्य प्रदेश के महानगरों में भोपाल इंदौर ग्वालियर जबलपुर से लेकर संभाग जिलो व कस्बों तक से में करप्शन के ट्विन टावर खड़े हुए हैं और बन भी रहे हैं। दरकती सड़कों टूटते पुल पुलिया और फूटते बांधों को लेकर तो पिछले दिनों हुई बारिश ने सब को निर्वस्त्र कर दिया है। ट्विंस टावर पर हुई कार्यवाही ने आम जनता के बीच उम्मीद की एक किरण पैदा की है कि भ्रष्टाचार करने वालों का घड़ा फूट तो जरूर है निजी रूप से मेरा मानना है ट्विंस टावर के बनाने में जोधन श्रम सामग्री लगी व राष्ट्र की संपत्ति थी मेरी तरह हजारों- लाखों लोग यह सोचते होंगे कि उसे तोड़ने के बजाय राजसात कर जनकल्याण के काम में देना चाहिए था। भ्रष्टाचारियों की संपत्ति को अधिकृत कर उनमें अस्पताल और स्कूल भी खोले जा सकते थे। लेकिन भ्रष्टाचारियों के मन में खौफ पैदा करने के लिए शायद आम हिंदुस्तानी इससे अच्छा भी मानता है ठीक वैसे ही जैसे भ्रष्टाचार के आरोपियों को फांसी पर लटकाने की बात होती है उन्हें लगता है यह ट्विंस टावर भी जब जमींदोज किए गए तो देश के मिडिल क्लास और निम्न वर्ग को ऐसा लगा मानो करप्शन के खिलाफ मिशन में दो बिल्डिंग नहीं बल्कि आरोपियों को तो के मुंह से बांधकर उड़ा दिया गया हो।
मप्र के महानगरों में हजारों ऐसी कॉलोनियां मिल जाएंगी जो गैरकानूनी तरीके से राजनेताओं अफसरों और बिल्डरों के गठजोड़ से बना ली गई है नियमों की धज्जियां उड़ाई गई साथ ही सरकारी जमीन पर भी कब्जे कर लिए गए जंगलों को जोड़ जुगाड़ कर इसमें फर्जी तरीके भी अपनाए गए आवंटित कर बड़ी-बड़ी टाउनशिप खड़ी कर दी गई शायद ऐसा करने वाले अफसर नेताओं और बिल्डरों को रात में अब नींद की गोलियां खाकर भी नींद ना आए। भोपाल की महापौर मालती राय ने चुनाव के पहले भ्रष्टाचार खत्म करने का मुद्दा बनाया था सौभाग्य से वे महापौर भी बन गई है और अब भोपाल में खड़े भ्रष्टाचार के टावर शॉपिंग मॉल और कालोनियों को ट्विंस टावर की तरह भले ही जमींदोज ना करें लेकिन ऐसी कार्रवाई जरूर करें जो जनता में उनके और शासन के प्रति विश्वास पैदा कर सकें। हाई राइज बिल्डिंग और शॉपिंग कंपलेक्स में पार्किंग की जगह हो और उनका इस्तेमाल दुकानों के रूप में न किया जाए यह व्यवस्था शहर का हर नागरिक देखना चाहता है।
पिछले दिनों मध्यप्रदेश में हुई जबरदस्त बारिश ने नगर निगम और उनके आपदा प्रबंधन की धज्जियां उड़ा दी सड़कें झील तालाब नहीं बल्कि समंदर बन गई लोगों के घरों में 10 -10 फीट तक पानी भर गया। नाले नालियों की सफाई और कचरा प्रबंधन की भी पोल खुल गई। ऐसे में नगर निगम और नगर पालिकाओं में सत्तासीन मेयर और अध्यक्ष गणों की ईमानदारी- काबलियत दांव पर लग गई है। गांव और नगर सरकारों की नई टीम कितनी विजनरी है उसे भी कसौटी पर कसने का वक्त आ गया है।
इस तरह के मामले में साहित्यकार
अमिताभ बुधौलिया की एक व्यंग्य रचना बहुत मौजू है ,उसे साझा कर रहा हूं-
ट्विन टॉवर
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हमारे गांव में भी एक ट्विन टॉवर था
कहते हैं उसकी नींव में बड़े-बड़े लोगों का पावर था
भ्रष्टाचार की ये बिल्डिंग छाती तान खड़ी थी
उसके चरणों में सरकार औंधी पड़ी थी
जब 'भ्रष्टों' को हिस्सा मिलना बंद हुआ
तब घमासान द्वंद्व हुआ
आखिरकार कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया
ट्विन टॉवर को 'महाभ्रष्ट स्तंभ' बताया गया
कोर्ट ने सरकार से पूछा-
टॉवर गिरवाया तो तुम पर क्या फ़र्क पड़ेगा?
सरकार ने हाथ झाड़कर कहा-टॉवर बचे या गिरे
हमको कौन सा
'घंटा फ़र्क पडे़गा!'
कोर्ट ने बिल्डर को फटकारा
हम तुम पर तगड़ा जुर्माना लगाएंगे
बिल्डर ने दाँत दिखाए-चलेगा!
हमने तो इतना कमा लिया
अब टॉवर बचे या गिरे
हमको कौन सा '
घंटा फ़र्क पडे़गा!
सरकार ने खरीदारों से पूछा-
इनको तो कोई दिक्कत नहीं,
तो क्या टॉवर गिरा दें?
खरीदार मायूसी से बोला-
हुजूर आप माई-बाप ठहरे
जो मन करे, वो करा दें
आपको कौन सा
'घंटा फ़र्क पडे़गा'
बस हमको इतना बता दें
जब टॉवर बन रहा था, तब सब
इसे वैध बता रहे थे
और अगर ये अवैध था, तो तब क्या
आप लोग झांझ-मंजीरा बजा रहे थे?
बॉक्स
सीएम शिवराज का मास्टरस्ट्रोक...
मध्यप्रदेश में रोजगार को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक मास्टर स्ट्रोक लगाया इस पर अमल हुआ तो समझ लीजिए 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की बल्ले-बल्ले हो जाएगी। उन्होंने राज्य में एक लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। चुनावी साल है और इस तरह के वादों के अपने जोखिम में वादा पूरा हुआ तो इस मास्टर स्ट्रोक में भाजपा को सिर्फ सत्ता मिल सकती है और चूक हुई तो बाउंड्री पर कैच पकड़ जाने की भी संभावना है लेकिन सीएम शिवराज मजे हुए खिलाड़ी है और कह सकते हैं आखरी ओवर में उनकी बल्लेबाजी उन्हें अच्छा फिनिशर भी बनाती है। उनकी टीम में सचिन जैसी बल्लेबाजी करने वाले ग्रह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी है एक बार उन्होंने खुद नरोत्तम को लेकर स्वीकार किया था कि वह हमारी टीम के सचिन तेंदुलकर है लेकिन बार-बार मौका पड़ने पर शिवराज खुद को महेंद्र सिंह धोनी जैसा फिनिशिंग साबित करते हैं तो एक बार फिर उनकी प्रतिष्ठा गांव पर है सरकारी नौकरियां मिली और लोग स्वरोजगार से लगे सरकार ने युवाओं को उद्यम के लिए बैंक से कर्ज भी उपलब्ध कराया तो फिर भाजपा को जीतने से रोकना कांग्रेस के लिए कठिन होगा गुड गवर्नेंस को लेकर सरकार पर जरूर सवाल खड़े होते रहे हैं यह 1 साल नौकरशाही के लिए भी लगता है मुश्किलों भरा होने वाला है क्योंकि मुख्यमंत्री कठोर प्रशासक साबित करने के लिए बिगड़ैल अफसरों पर कड़ी कार्रवाई करते भी नजर आ सकते हैं । भ्रष्टाचार को रोकने और बेलगाम नौकरशाही को काबू में करने के लिए सबको फूल जैसे मामा के शूल की तरह नोकदार और वज्र की भांति कठोर होने का इंतजार है...