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दस्तक - दसवीं से पहले स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों की तादाद चिंताजनक


  संदीप कुलश्रेष्ठ
               केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है। केन्द्र और राज्य शासन द्वारा लड़कियों की शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत कुछ किया भी जा रहा है। किन्तु हाल ही में प्राप्त रिपोर्ट चिंताजनक है। मध्यप्रदेश में हर 100 में 24 लड़कियाँ 10वीं कक्षा के पहले स्कूल छोड़ देती है। यानी 24 प्रतिशत लड़कियाँ 10वीं के पहले स्कूल छोड़ देती है। मध्यप्रदेश का यह आँकड़ा देश में सबसे अधिक है। 
गुजरात में 20.9 प्रतिशत लड़कियाँ स्कूल छोड़ रही -
              10वीं से पहले स्कूल छोड़ने वाले राज्यों में से गुजरात राज्य दूसरे नम्बर पर है। इस राज्य में औसत 20.9 प्रतिशत लड़कियाँ दसवीं से पहले स्कूल छोड़ देती है। बिहार में 17.6 प्रतिशत लड़कियाँ दसवीं के पहले स्कूल छोड़ रही है। इसी तरह पश्चिम बंगाल में 15.7 प्रतिशत, झारखंड में 13.7 प्रतिशत, यूपी में 13 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ में 11.4 प्रतिशत लड़कियाँ दसवीं के पहले स्कूल छोड़ देती है। उक्त सात राज्य देश के ऐसे हैं, जहाँ सबसे ज्यादा लड़कियाँ दसवीं के पहले स्कूल छोड़ देती है। 
हालात चिंताजनक -
              केन्द्र और राज्य शासन द्वारा देशभर में स्कूल चलो अभियान हर साल चलाया जाता है। किन्तु गंभीरतापूर्वक इस पर कार्य नहीं हो रहा है। यह केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट बता रही है। हालात गंभीर और चिंताजनक है। इस पर केन्द्र और राज्यों के शासन को विशेष प्रयास करने की जरूरत है। 
कारणों की पड़ताल जरूरी -
              एक प्रसिद्ध कहावत है - लड़की जब पढ़ती है तो दो परिवार सुधारती है। इसलिए लड़कों को पढ़ाने के साथ-साथ लड़कियों को पढ़ाने की भी बहुत आवश्यकता है। यह एक ऐसा मसला है जो आज का नहीं है। बहुत पहले से लड़कियों की बीच में स्कूल छोड़ देने की घटना हर साल देखने-पढ़ने में आती है। लड़कियों के बीच में स्कूल छोड़ने के एक नहीं अनेक कारण है। इन कारणों की पड़ताल जरूरी है। हर राज्य की अलग-अलग स्थिति है। किन्तु सब राज्यों में गरीबी प्रमुख कारण है। इसके साथ ही कम उम्र में लड़कियों की शादी होना भी एक प्रमुख कारण है। यह एक सामाजिक कारण भी है। और भी कारण हो सकते हें। उन कारणों की पड़ताल कर उसे दूर करने की आवश्यकता है। 
गंभीर प्रयास की जरूरत -
            केन्द्र शासन और राज्य शासन को इस दिशा में गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। राजनैतिक भेदभाव को भूलते हुए केन्द्र शासन और राज्य शासन को संयुक्त रूप से इस दिशा में गहन चिंतन-मनन करने की आवश्यकता है। हमें उन कारणों को तलाश कर दूर करना होगा जिन कारणों से लड़कियाँ दसवीं के पहले पढ़ना छोड़ देती है। इसमें यह पक्ष भी महत्वपूर्ण है कि पालकों को अपनी बालिकाओं की शिक्षा के लिए गंभीर कोशिशें करना होगी। पालक यह तो चाहते है कि उनकी पुत्रियाँ सुखी हो पर वे इस पक्ष को भूल जाते है कि अगर वे अच्छी शिक्षा दे दें तो लड़कियों की स्वावलंबन और सुखी होने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। शिक्षाविद्ों के साथ ही ग्रामीण अंचलों में प्राथमिक , माध्यमिक और हाई स्कूल के शिक्षकों की भी इस काम में मदद ली जाना आवश्यक है। इसके साथ ही विशेषकर ग्रामीण अंचलों में काम करने वाले स्वयंसेवी सामाजिक संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाना आवश्यक है, तभी इस समस्या का स्थाई निराकरण किया जाना संभव हो सकेगा। 
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