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सरोकार - यूक्रेन से लौटे 20 हजार से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय


डॉ. चन्दर सोनाने
                      रूस और यूक्रेन के युद्ध को करीब एक साल होने जा रहा है। यूक्रेन में मेडिकल की शिक्षा प्राप्त कर रहे भारत के करीब 20 हजार विद्यार्थी जैसे-तैसे अपनी जान बचाकर वापस भारत आए। यूक्रेन की सीमा के देशों में आने के बाद भारत सरकार ने वहांँ से इन छात्रों को भारत लाने का भी सराहनीय कार्य किया था। अब भारत आने के बाद उनके सामने आगे की अपनी मेडिकल पढ़ाई कहाँ से और कैसे पूरी करें ? यह समझ में नहीं आ रहा । भारत सरकार ने उनके लिए अभी तक कोई ठोस नीति भी नहीं बनाई है। इस कारण से उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है।
                      हाल ही में यूक्रेन से लौटै उज्जैन जिले के विद्यार्थियों ने प्रेस के सामने अपनी व्यथा सुनाई। उनकी आँखों में हताशा और निराशा छाई थी। वे भारत सरकार से यह मदद चाहते थे कि उन्हें भारत में ही मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिला दें। किन्तु महिनों बीत जाने के बाद भी उनके हाथ हताशा ही लगी है। 
                    यूक्रेन से लौटे विद्यार्थियों के सामने मोटे तौर पर तीन विकल्प है। एक तो यह है कि भारत के मेडिकल कॉलेजों में भारत सरकार प्रवेश दिला दें। दूसरा विकल्प है यूक्रेन लौट जाए और वहाँ 15 अगस्त से शुरू हो रहे मेडिकल कॉलेजो में वापस पढ़ाई करने लगे। चूँकि अभी यूक्रेन में युद्ध समाप्त नहीं हुआ है। इसलिए विद्यार्थियों के माता-पिता उन्हें वहाँ भेजना नहीं चाहते। तीसरा विकल्प उनके सामने यह है कि यूक्रेन से ही ऑनलाइन पढ़ाई करे। यूक्रेन से ऑनलाइन क्लास अटेंड भी की जा सकती है। किन्तु भारत सरकार इस ऑनलाइन डिग्री को मान्यता देगी ? यह स्पष्ट नहीं है। 
यूक्रेन से लौटै इन विद्यार्थियों में से मध्यप्रदेश के 350 से ज्यादा विद्यार्थी है। और इनमें भी उज्जैन के 22 विद्यार्थी है। जिनके माता-पिता ने जैसे तैसे पैसों का इंतजाम कर पढ़ाई करने के लिए उन्हें यूक्रेन भेजा था। इन छात्रों ने पिछले दिनों प्रेस से चर्चा करते हुए केन्द्र सरकार के द्वारा उनकी कोई खोज खबर नहीं लेने का आरोप लगाया है। इन छात्रों ने भारत सरकार से माँग की है कि उनकी आगे की पढ़ाई पर नेशनल मेडिकल कमीशन कुछ निर्णय लें, जिससे की वे भारत के किसी भी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश प्राप्त कर सके। उनका यह भी कहना है कि अभी तक भारत सरकार,नेशनल मेडिकल कमीशन और विदेश विभाग द्वारा उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है। 
                      पिछले दिनों यूक्रेन से लौटै छात्रों के लिए एक दुःखद और अप्रत्याशित खबर आई। इसमें केन्द्र सरकार द्वारा यूक्रेन से लौटे छात्रों को भारत में किसी भी मेडिकल कॉलेज में समायोजित करने से साफ इन्कार कर दिया गया। केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने पिछले दिनों राज्यसभा में स्पष्ट किया कि विदेश में पढ़ाई करने वाले मेडिकल छात्र स्क्रीनिंग टेस्ट विनियम-2002 या विदेशी चिकित्सा स्नातक लाइसेंस विनियम -2021 के दायरे में आते है। भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम 2019 के तहत विदेश में पढ़ाई करने वाले किसी मेडिकल छात्र को देश में समायोजित नहीं किया जा सकता। इसलिए यूक्रेन से लौटे किसी भी छात्र को देश के शिक्षण संस्थानों में समायोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है।
                      यूक्रेन से लौटें इन 20 हजार से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य वाकई अंधकारमय है। यूक्रेन से भारत लौटने पर भारत सरकार ने उन्हें ढेरों आश्वासन दिए थे, किन्तु उसमें से कोई भी पूरा होते दिखाई नहीं दे रहा। ये वाकई चिंता की बात है। केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह यूक्रेन से लौटे मेडिकल के इन विद्यार्थियों के भविष्य के प्रति गंभीरतापूर्वक चिंतन-मनन करें। जरूरत होने पर कानून में बदलाव करें। और उन्हें यहाँ भारत के किसी भी मेडिकल कॉलेज में ही प्रवेश दिलाकर उनके भविष्य को अंधकरमय होने से बचाए। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से यूक्रेन से लौटे इन छात्रों की गुजारिश है कि वे इनके भविष्य के बारे में शीघ्र सकारात्मक निर्णय लें। 
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