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पेंशनर : मध्यप्रदेश सरकार के झूठ का हुआ पर्दाफाश


डॉ. चन्दर सोनाने

                    भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा अपने एफ नम्बर 17025/02/2017-एसआर नई दिल्ली दिनांक 18 नवम्बर 2017 को मध्यप्रदेश भोपाल के पेंशनर एसोसिएशन, मध्यप्रदेश सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर यह स्पष्ट कर दिया कि मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अर्न्तगत धारा 49 के छठें अनुच्छेद का उन्मूलन कर दिया गया है, जिसके अर्न्तगत मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार की आपसी सहमति से पेंशनरों के पेंशन का भुगतान किये जाने का प्रावधान किया गया था। अर्थात् उक्त आदेश के तहत राज्य पुर्नगठन की धारा 6 का ही उन्मूलन ( Eradication ) कर दिया गया है।

                      भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 18 नवंबर 2017 को अपने पत्र में स्पष्ट रूप से वह धारा ही हटा दी गई है। भारत सरकार के इसी पत्र के मुख्य आशय का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत है -

                      भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि, मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम -२००० की कोई भी धारा , पैंशनरों के मामले में , ऐसा नहीं कहती है कि , पश्चात वर्ती राज्यों, (मध्यप्रदेश अथवा छत्तीसगढ़) की सरकारें एक दूसरे से सहमति प्राप्त करने के बाद ही आदेश जारी करेंगी

                         भारत सरकार ने जो धारा हटा दी है, मध्यप्रदेश सरकार उसी का बहाना लेकर पिछले 22 सालों से मध्यप्रदेश के पेंशनरों के साथ अन्याय कर रही थी। इसके बावजूद अभी भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान और उनके वित्त विभाग के आला अधिकारीगण उस धारा को छाती से चिपकाये हुए बैठे है। और जब-जब मध्यप्रदेश के कर्मचारियों का महँगाई राहत बढ़ता है, तब-तब मध्यप्रदेश सरकार इसी धारा का बहाना करके मध्यप्रदेश से सहमति लेने के नाम पर पेंशनरों को महँगाई राहत देने से बचती आ रही है। अब मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सभी कर्मचारियों और पेंशनरों को राज्य सरकार के इस झूठ का पता चल गया है और मध्यप्रदेश सरकार के पेंशनर अब आर - पार की लड़ाई लड़ने के मूड़ में आ गए हैं।

                         मध्यप्रदेश सरकार के झूठ का पर्दाफाश छत्तीसगढ़ सरकार ने भी हाल ही में कर दिया है। मध्यप्रदेश सरकार ने पेंशनरों को मँहगाई राहत देने के लिए सहमति के नाम पर पिछले दिनों छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखा था। इस पत्र के जवाब में हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने मात्र 5 प्रतिशत महँगाई राहत देने की अपनी सहमति दी। उस पत्र में ही मध्यप्रदेश सरकार के एक और झूठ का पर्दाफाश हो गया है। छत्तीसगढ़ सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा अपने पत्र क्रमांक 467/एफ/2013-04-00416/वि/नि/4 नवा रायपुर अटल नगर दिनांक 13.07.2022 द्वारा मध्यप्रदेश के वित्त विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजा है, उस पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है -

                         छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शासकीय पेंशनरों/परिवार पेंशनरों को देय महँगाई राहत की वर्तमान दर जो कि मूल पेंशन/परिवार पेंशन पर सातवें वेतनमान में 17 प्रतिशत एवं छठवें वेतनमान में 164 प्रतिशत है, में वृद्धि कर क्रमशः 22 प्रतिशत एवं 174 प्रतिशत की दर से 1 मई 2022 से दिए जाने का निर्णय लिया गया है।

2/                    मध्यप्रदेश पुर्नगठन अधिनियम 2000 की धारा 49 के अनुसार पूर्व मध्यप्रदेश के पेंशनरों/परिवार पेंशनरों को दिनांक 01.05.2022 से 7वें वेतनमान में 22 प्रतिशत एवं छठवें वेतनमान में 174 प्रतिशत महँगाई राहत हेतु छत्तीसगढ़ शासन सहमत है।

                        पाठक कृपया उक्त पत्र के बिन्दू क्रमांक 2 को ध्यान से पढ़े। इसमें स्पष्ट लिखा गया है कि अधिनियम 2000 की धारा 49 के अनुसार पूर्व मध्यप्रदेश के पेंशनरों/परिवार पेंशनरों को महँगाई राहत स्वीकृत करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन सहमत है। अर्थात सन् 2000 के पूर्व मध्यप्रदेश शासन के जो भी अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए हैं, उस पर यह आदेश लागू नहीं है। यह आदेश सिर्फ 1 नवम्बर 2000 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी और कर्मचारियों के लिए ही लागू होगा। मध्यप्रदेश सरकार अभी तक मध्यप्रदेश के पेंशनरों को इसी धारा का बहाना कर पेंशन राहत रोक रही है। जबकि नए छत्तीसगढ़ बनने के 22 साल बाद अब करीब 50 हजार ही ऐसे पेंशनर हैं, जो 2000 के बाद सेवानिवृत्त हुए है। और इन्हीं 50 हजार के नाम पर मध्यप्रदेश सरकार साढ़े 4 लाख पेशनरों के साथ अन्याय पर अन्याय कर रही है।

                           भारत सरकार के गृह मंत्रालय और छत्तीसगढ़ मंत्रालय के उक्त पत्रों से स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश सरकार पेंशनरों को निरंतर मूर्ख बना रही है। किन्तु अब मध्यप्रदेश सरकार के इस झूठ का पर्दाफाश हो गया है। मध्यप्रदेश के पेंशनर ,उनके परिवारजन और आमजन यह अच्छी तरह से समझ गए है कि मध्यप्रदेश सरकार नित नए बहाने कर पेंशनरों के अधिकार का हनन कर रही है। अब पेंशनर चैत गए हैं। उन्होंने हाल ही में भोपाल में आंदोलन कर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। अब वे बड़ा आंदोलन करने की रूपरेखा बना रहे हैं, शायद तभी मध्यप्रदेश सरकार नींद से जागे और पेंशनरों को उनका वाजिब हक दें।

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