मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों को अपना स्तर सुधारना होगा
संदीप कुलश्रेष्ठ
नेशनल इंस्टीट्यूट रैकिंग फ्रेमवर्क ( एनआईआरएफ ) द्वारा हाल ही में देशभर की टॉप यूनिवर्सिटीज की रैकिंग का रिपोर्ट कार्ड जारी किया गया है। इसमें मध्यप्रदेश का एक भी विश्वविद्यालय शामिल नहीं है। कहने को तो मध्यप्रदेश में कुल 68 विश्वविद्यालय है। इसमें से 43 निजी विश्वविद्यालय है। परंपरागत विश्वविद्यालय और अन्य विभागों से संबंधित विश्वविद्यालय 8-8 है। इसके अतिरिक्त 9 अन्य विश्वविद्यालय भी है।
टॉप-200 विश्वविद्यालयों में प्रदेश के केवल 2 -
हमारे प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय हर पैरामीटर में पिछड़े साबित हुए। इसी के साथ हमारे प्रदेश के कॉलेज भी पिछड़े साबित हुए हैं। उज्जैन का विक्रम विश्वविद्यालय 2017 में पहली बार टॉप 150 में चुना गया था। किन्तु उसके बाद से उसका स्तर गिरता गया और वह अब 200 की सूची में भी शामिल नहीं हो सका है। इन्दौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय टॉप 150 में जरूर शामिल हो गया है। इसी प्रकार रायसेन का निजी रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय टॉप 200 में स्थान बना पाया। इसका मतलब यह हुआ कि ये टॉप 150 में हमारे प्रदेश का एक और टॉप 200 में प्रदेश के केवल दो विश्वविद्यालय शामिल हो पाए हैं।
इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट ने लाज रखी -
प्रदेश की इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट श्रेणी में इंदौर के आईआईएम को देश में 7 वां स्थान मिला। इसके अलावा ग्वालियर के अटलबिहारी वाजपेयी इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी एंड मैनेजमेंट संस्थान को देशभर में 64 वीं रैंक मिली है। इंजीनियरिंग श्रेणी में इंदौर के आईआईटी को देश में 16 वां स्थान मिला है। भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट को 70 वां और जबलपुर के पंडित द्वारिकाप्रसाद मिश्रा इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी डिजाइन एंड मेन्यूफेक्चरिंग को 78 वां स्थान प्राप्त हुआ।
अनेक मापदंडों पर पिछड़े हमारे विश्वविद्यालय -
रिपोर्ट कार्ड से जाहिर है कि प्रदेश के विश्वविद्यालय अनेक मापदंडों पर पिछड़े हुए है। जिन प्रमुख मापदंड पर पिछड़े हैं, उनमें प्रमुख है - शिक्षकों और वित्तीय प्रबंधन की कमी, पढ़ने में रूचि की कमी, शोध और व्यवहारिक ज्ञान की कमी, प्लेसमेंट की खराब हालत, अन्य प्रदेशों से हमारे प्रदेश के विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की कम संख्या और विश्वविद्यालय की गुणवत्ता का स्तर कम होना।
विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता में चौतरफा हो सुधार -
प्रदेश के विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता सुधारने के लिए राज्य सरकार को और उच्च शिक्षा विभाग को चौतरफा प्रयास करने की जरूरत है। अभी प्रदेश के विश्वविद्यालय की जो हालत है, वह किसी से छिपी नहीं है। राज्य शासन के शिक्षा विभाग को इस ओर सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देने की जरूरत है, तभी प्रदेश के विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता में सुधार हो सकेगा। अन्यथा और भी दिनों दिन गुणवत्ता का स्तर गिरता जायेगा।
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