बोर्ड की परीक्षाओं का पैटर्न बदला जाना चाहिए
संदीप कुलश्रेष्ठ
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अर्न्तगत नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा स्कूली शिक्षा को और अधिक प्रासंगिक, प्रभावी और सार्थक बनाने के लिए लोगों से सलाह ली जा रही है। 10 वीं और 12 वीं की बोर्ड परीक्षाएँ बहुत अधिक तनाव पैदा करती है ? परीक्षा के तरीके में क्या बदलाव होना चाहिए ? आदि पर आप सरकार को अपनी राय दे सकते हैं।
दस बिन्दुओं पर मांगी जा रही है राय -
केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा अभिभवाकों, शिक्षकों, शिक्षाविदों, आमजन आदि से राय मांगी जा रही है। इस राय में उनसे पूछा जा रहा है कि बोर्ड परीक्षाएँ छात्रों की वास्तविक क्षमताओं का परीक्षण नहीं कर पाते ? या मौजूदा तरीके में बदलाव की जरूरत है ?
छात्रों में तनाव का कारण ? -
केन्द्र सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा अपने सर्वे में लोगों से यह भी पूछा जा रहा है कि छात्रों के तनाव का सबसे बड़ा कारण क्या है ? इस तनाव का कारण क्या स्कूली परीक्षा है ? बोर्ड परीक्षा है ? होमवर्क है ? या स्कूल जाना है ? छात्रों में तनाव के और भी कई कारण हो सकते हैं ? आप छात्रों में तनाव के क्या कारण समझते हैं ? वो भी आप बता सकते हैं।
नया पाठ्यक्रम कैसा होना चाहिए ? -
सर्वे में एक सवाल टैक्स्ट बुक को लेकर भी है। पाठ्यक्रमों में सबसे पहले किस बात पर ध्यान देना चाहिए ? यह भी पूछा जा रहा है कि क्या कन्टेंट घटाया जाए ? कन्टेंट को रोचक और प्रासंगिक बनाने के क्या उपाय है ? पाठ्यक्रमों को ज्यादा सुव्यवस्थित और समग्र बनाने की क्या जरूरत है ? कन्टेंट को रटने की प्रवृत्ति के बजाय उसे ज्यादा वैचारिक बनाया जाना चाहिए ?
सर्वे में आप यह भी बता सकते है ? -
सर्वे में बच्चों के सीखने की प्रक्रिया में अभिभावक और अधिक कैसे जुड़ सकते हैं ? सर्वे में यह भी बताया जा सकता है कि कोरोनाकाल में बच्चों की पढ़ाई का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कैसे की जाए ? यह भी बताया जा सकता है कि स्कूली शिक्षा से छात्रों को और क्या लाभ हो सकता है ? इसे और कैसे आनंददायक बनाया जा सकता है ? समुदाय को स्कूलों से जोड़ने का सबसे अच्छा तरीका क्या हो सकता है ? यह भी बताया जा सकता है कि अच्छी शिक्षा के लिए शिक्षक जरूरी है तो उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए ?
महत्वपूर्ण सुझाव -
केन्द्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा 10 वीं और 12 वीं बोर्ड की परीक्षाओं के संबंध में आम राय ली जा रही है, यह अत्यन्त सराहनीय है। 10 वीं और 12 वीं की बोर्ड की परीक्षाएँ तो होना ही चाहिए, किन्तु इसे और अधिक व्यवहारिक बनाए जाने की आवश्यकता है। ऑब्जेक्टिव प्रश्न अधिक होना चाहिए। परीक्षाएँ सैद्धांतिक की बजाय प्रायोगिक अधिक होना चाहिए। अभी इसका प्रतिशत बहुत कम है। कला और वाणिज्य संकाय में तो यह नहीं के बराबर है। स्कूलों में बच्चों के तनाव का प्रमुख कारण बोर्ड परीक्षाएँ तो होती है, किन्तु उसे अधिक व्यवहारिक और मनोरंजक बनाने की जरूरत है। होमवर्क की प्रवृत्ति को समाप्त कर देना चाहिए। इससे बच्चों के स्कूल जाने का प्रतिशत बढ़ेगा। शिक्षकों, छात्रों के बीच निरंतर संवाद होना चाहिए। प्रतिमाह शिक्षक, छात्र और अभिभावकों के बीच बैठक होना चाहिए, ताकि बच्चों के लिए व्यवहार में आ रही समस्याओं का निराकरण किया जा सकें।
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