शिप्रा में डूबने से हो रही मौतों को रोकना होगा
सन्दीप कुलश्रेष्ठ
वर्तमान में उज्जैन शहर की पतित पावन शिप्रा नदी में स्नान दान करने आने वाले श्रद्धालुओं की जान पर आन बनी है। इन दिनों दूर- दूर से उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं की शिप्रा नदी में डूबने से होने वाली मौतों से तो ऐसा ही लगता है। गौरतलब है कि साल 2022 में जनवरी माह से अभी यानी जून माह तक कुल छः महीनों में ही शिप्रा नदी में डूबने से लगभग दो दर्जन से अधिक श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं। शिप्रा में डूबने से हो रही मौतों को रोकना होगा। यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो इसी प्रकार आस्था की बलि चढ़ती रहेगी।
आखिर क्यों शिप्रा में डूब रहे श्रद्धालु ? -
शिप्रा नदी में आने वाले श्रद्धालुओं को यह पता नहीं होता कि कौन सा घाट कितना गहरा है ? गहराई का अंदाजा ना होने के कारण वे उसमें स्नान के लिए जाते हैं और डूब जाते हैं। शिप्रा के घाटों पर इस संबंध में कोई भी बोर्ड या संकेतक लगे ही नहीं है, जिससे श्रद्धालुओं को यह पता चल सके कि यह घाट कितना गहरा है ? और कहाँ तक स्नान के लिए जाना चाहिए। ना ही घाटों पर एक समान प्लेटफार्म बने हुए हैं। ना ही स्नान वाली जगह पर सुरक्षा गार्ड तैनात रहते है, जो श्रद्धालुओं को स्नान से पहले निर्देश दे सके । कई घाटों पर तो नदी में बेरीगेट भी नहीं लगे हुए हैं। इन बदइंतजामां की वजह से ही छः महीने में लगभग दो दर्जन अधिक श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं।
शिप्रा में डूबने वाले लोगों की लंबी है सूची -
देश-विदेश से उज्जैन महाकाल दर्शन करने और शिप्रा नदी में स्नान करने आए और डूबकर जान गवाने वाले श्रद्धालुओं की सूची बड़ी लंबी है। पिछले चार महीने में ही डूबने वालो में पवन नामदेव उम्र 18 वर्ष ग्राम पिपरई, अशोक नगर की रविवार 5 जून को नरसिंह घाट पर डूबने से मौत हो गई। इसके एक दिन पहले शनिवार 4 जून को भोपाल से महाकाल मंदिर दर्शन करने आए हेमंत शर्मा उम्र 22 वर्ष निवासी अशोका गार्डन की रामघाट पर डूबने से मौत हुई। इसके पहले 31 मई मंगलवार को भोपाल से भात पूजा कराने आए दीपक उम्र 32 वर्ष की दत्त अखाड़ा घाट पर शिप्रा नदी में नहाने के दौरान डूबने से मौत हो गई। फिर 7 अप्रैल गुरुवार को भोपाल के कॉलेज में बीटेक की पढ़ाई करने वाले छात्र प्रकाश मिश्रा उम्र 21 वर्ष निवासी छपरा बिहार की राम घाट पर डूबने से मौत हुई। 30 मार्च बुधवार को दत्त अखाड़ा घाट पर फिर एक युवक की डूबने की सूचना मिली, जिसे गोताखोरों ने तलाश कर बाहर निकाला पर तब तक युवक की मौत हो चुकी थी। मृतक के हाथ पर एम एन और मनोज चौहान लिखा था जो कि उज्जैन के दमदमा का रहने वाला था। इसी प्रकार 26 मार्च शनिवार को भिंड जिले के गोहद में रहने वाले राहुल पाल की राम घाट में स्नान के दौरान डूबने से मौत हो गई।
जल्द हो शिप्रा नदी पर सुरक्षा के इंतजाम-
इन दुर्घटनाओं और मौतों को रोकने के लिए प्रशासन को तुरंत शिप्रा नदी के सभी घाटों पर एक समान प्लेटफार्म बनाने होंगे । साथ ही हर जगह संकेतक और बोर्ड लगाने होंगे, जिस पर घाटों की गहराई के बारे में स्पष्ट उल्लेख हो और जानकारी अंकित हो। सुरक्षा गार्ड और तैराकों को 24 घंटे घाटों पर उपस्थित रहना ही चाहिए। साथ ही अन्य जरूरी ठोस कदम भी उठाना चाहिए, जिससे श्रद्धा का भाव लेकर उज्जैन पुण्य सलिला शिप्रा नदी में स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं के साथ इस प्रकार की दुर्घटना ना हो।
केवल निर्देश नहीं ,उनका पालन हो -
हाल ही में उज्जैन कलेक्टर श्री आशीष सिंह और एसपी श्री सत्येंद्र कुमार शुक्ला ने शिप्रा के घाटों का दौरा कर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के तहत निर्देश दिए हैं । निर्देशों के तहत राम घाट पर नदी के पानी का लेवल स्थाई रूप से तीन फीट नीचे रखने और घाट क्षेत्रों में अनाउंसमेंट सिस्टम लगाने सहित अन्य सुरक्षा के इंतजामों की बात कही गई । अब देखना यह है कि उन निर्देशों को अमलीजामा कब तक और किस प्रकार पहनाया जाता है।
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