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मुस्लिमों के प्रति घृणा की प्रवृत्ति क्या मिटा पाएगी भाजपा ?


           डॉ. चन्दर सोनाने
                  मोहम्मद पेगम्बर के खिलाफ एक टीवी डीबेट में भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने जो आपत्तिजनक टिप्पणी की और उस पर भाजपा के ही दिल्ली ईकाई के प्रवक्ता नवीन जिंदल ने जो उसे बढ़ावा देने का काम किया, उसका बहुत बड़ा खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ रहा है ! चूँकि भारत में भाजपा की ही सरकार है। और यह किसी से छुपा नहीं है कि भाजपा मुस्लिमों के प्रति क्या दृष्टिकोण रखती है ? यह एक ऐसी गोपनीय सच्चाई है , जो सब जानते हैं ! केन्द्र में 2014 में भाजपा की सरकार बनने के बाद से लेकर आज तक दिनों दिन निरंतर भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता से लेकर उनके प्रवक्ताओं तक की जुबान बेलगाम हो गई है ! वे कभी भी, कहीं भी मुस्लिमों के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी करने को अपना अधिकार ही समझने लगे हैं !
नूपुर प्रकरण के बाद भाजपा संगठन द्वारा नूपुर शर्मा को निलंबित कर दिया गया और नवीन जिंदल को पार्टी से ही निकाल दिया गया ! भाजपा के उक्त दोनों प्रवक्ताओं के विरूद्ध जैसे ही भाजपा संगठन द्वारा कार्रवाई की गई तो लोगों को सहज आश्चर्य हुआ! भाजपा के महासचिव अरूण सिंह ने इस संबंध में जो बयान जारी किया, वह अपनी तरह का पहला बयान था। अपने बयान में अरूण सिंह ने कहा कि “भारत के हजारों साल के इतिहास में कई धर्म फले-फूले हैं। भारतीय जनता पार्टी हर धर्म का सम्मान करती है। भारतीय संविधान नागरिको को किसी भी धर्म के पालन की आजादी देता है। साथ ही यह सभी धर्मों के आदर और सम्मान का भी अधिकार देता है।“ 
              भाजपा के महासचिव का यह बयान शुरू में तो किसी को समझ में ही नहीं आया ! उन्हें आश्चर्य हुआ कि भाजपा कब से सभी धर्मो का सम्मान करने लगी है ? और वह संविधान को कब से मानने लगी ? किन्तु बाद में पता चला कि नूपुर के विवादित बयान के वीडियो को एक पत्रकार और फैक्ट चेकिंग वेबसाइट आल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने अपने ट्वीटर अकाउंट से शेयर कर दिया था। और पैगम्बर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप नूपुर पर लगा दिया। इसके बाद भाजपा प्रवक्ता नवीन जिंदल ने जो आपत्तिजनक ट्वीट किए, उससे विश्व के तमाम मुसलमानों में नाराजगी फैलने लगी। कानपुर की हिंसा भी उसी कि प्रतिक्रिया मानी जा रही है। सोशल मीडिया से नूपुर प्रकरण सारे संसार में फैल जाने के बाद विश्व के मुस्लिम देशों में नाराजगी के बयान आने शुरू हो गए। विश्व के मुस्लिम देशों कतर, यूएई, ओमान, इंडोनेशिया, जार्डन, सउदी अरब, ईरान, कुवैत आदि देशों में नूपुर प्रकरण पर गहरी नाराजगी जताई ! इसी के साथ 57 इस्लामिक देशों के महत्वपूर्ण संगठन ओआईसी ने भी नूपुर के बयान को लेकर कड़ी टिप्पणी कर दी। उस दौरान ही कतर में हमारे देश के उपराष्ट्रपति का भ्रमण भी था। किन्तु ऐन वक्त पर नूपुर प्रकरण के कारण कतर के डिप्टी अमीर अब्दुल्ला बिन अहमद अल थानी ने  उपराष्ट्रपति नायडू के साथ आयोजित लंच ही कैन्सिल कर दिया ! यह सीधा-सीधा भारत का ही अपमान था ! यही नहीं इसके बाद कतर में बायकॉट इंडिया अभियान भी शुरू हो गया। 
               विश्व के प्रमुख मुस्लिम देशों की नाराजगी के बाद भारत सरकार जागी ! नूपुर के बयान के बाद आ रही कड़ी प्रतिक्रियाओं के कारण केन्द्र सरकार सुरक्षा मुद्रा में आ गई। और उन्होंने तुरत-पुरत नूपुर को पार्टी प्रवक्ता के पद से निलंबित कर दिया। और जिंदल को पार्टी से निकालने का आदेश जारी कर दिया। किन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी थी। भाजपा सरकार को पहली बार महसूस हुआ कि उनके प्रवक्ताओं को दी गई छूट के क्या परिणाम हो सकते हैं ? इसकी कितनी बड़ी कीमत उन्हें चुकानी होती है ? यह पहली बार पार्टी को महसूस हुआ। 
                विश्व भर में भारत की हो रही कड़ी आलोचना के बाद भाजपा ने धार्मिक भावना आहत करने वाले अपने ही दल के 38 लोगों की सूची बनाई है। और इनमें से 27 को हिदायत देते हुए ऐसे बयान देने से बचने की समझाइश भी दी है। उनसे यह भी कहा गया है कि धार्मिक मुद्दां से बयान देने से पहले पार्टी से अनुमति भी ले लें। भाजपा के ही आईटी विशेषज्ञों ने अपनी सरकार के पिछले 8 सालों सितम्बर 2014 से 3 मई 2022 तक अपनी पार्टी के नेताओं और प्रवक्ताओं द्वारा दिए गए 5,200 बयानों को गैरजरूरी पाया। इसी के साथ 2,700 बयानों के शब्दों को संवेदनशील पाया गया। और 38 नेताओं के बयानों को धार्मिक मान्यताओं आहत करने वाली कैटेगरी में रखा गया। भाजपा के ही हेट स्पीच देने वाले में नेताओं में प्रमुख नाम है अनंत कुमार हेगड़े, शोभा करंदलाजे, गिरीराज सिंह, तथागत राय, प्रताप सिन्हा, विनय कटियार, महेश शर्मा, टी राजा सिंह, विक्रम सिंह सैनी, साक्षी महाराज, संगीत सोम आदि। 
                  भाजपा नेतृत्व को नुपूर प्रकरण के बाद विश्वभर में हो रही कड़ी आलोचनाओं के कारण पहली बार अपनी रीति और नीति पर गंभीरता के साथ सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा है ! आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए भाजपा के छोटे-बड़े सभी नेताओं और प्रवक्ताआें द्वारा देशभर में मुस्लिमों के प्रति जो द्वेषपूर्ण बयान जारी हो रहे हैं, उससे भारत के मुसलमानों में जहाँ अत्यन्त रोष और दुख है, वहीं विश्व के मुस्लिम देशों का भी अब उन्हें साथ मिल जाने के कारण उन्हें भी लगने लगा है कि हमारे देश में ही हमारे साथ दोगले किस्म का व्यवहार हो रहा है ! यह कहीं से भी देश के प्रति उचित नहीं हैं ! भाजपा द्वारा उत्तरप्रदेश चुनाव में 80ः20 को जो फार्मूला अपनाया है और उस कारण से उत्तरप्रदेश में जो प्रचंड जीत मिली है, उससे पार्टी अत्यन्त उत्साहित हो, ऐसा कुछ भी करने चली है, जिससे देश में हिन्दू मुसलमानों के बीच खाई बढ़ती ही जा रही है ! देश के लोगों को 80ः20 का फार्मूला देकर धर्म की अफीम चटाकर मुस्लिमों के प्रति जो द्वेष भावना हिन्दुओं में भरी जा रही है, वह देश के लिए अत्यन्त घातक सिद्ध होगी ! यह न हिन्दुओं के हित में है और न ही मुसलमानों के हित में है ! सबसे ज्यादा नुकसान देश का ही हो रहा है ! देश की प्राचीन बरसां पुरानी धार्मिक सांस्कृतिक, सहिष्णुता की थाटी को बट्टा लगने जा रहा है ! इसको तुरंत रोके जाने की जरूरत है ! नूपुर प्रकरण के बाद विश्व के मुस्लिम देशों द्वारा भारत की कड़ी आलोचनाओं को देखते हुए भाजपा सरकार को अपनी रीति-नीति पर पुनर्विचार करना ही चाहिए ! नहीं तो तात्कालिक रूप से भाजपा को जरूर लाभ हो, किन्तु दीर्घकालिक रूप से देश का ही नुकसान वे करने जा रहे हैं ! इस पर प्रभावी रोक लगना ही चाहिए। यही देशहित में है !!!
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