ऑनलाइन से अच्छी है ऑफलाइन पढ़ाई
संदीप कुलश्रेष्ठ
हमारे देश कि आर्थिक,सामाजिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि ऐसी है कि यहाँ बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई ऑफलाइन का विकल्प कभी नहीं बन सकती है। कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई मजबूरी थी, किन्तु अब बच्चों की पसन्द पता चल गई है कि वे ऑफलाइन पढ़ाई को ही पसन्द करते है। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे-2021 के आँकड़ें यह स्पष्ट रूप से बताते हैं कि हमारे देश के बच्चे ऑफलाइन स्कूल को ही पसन्द करते हैं।
80 प्रतिशत बच्चे पसंद करते है ऑफलाइन -
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे- 2021 के अनुसार हमारे देश के 80 प्रतिशत बच्चों का यह कहना है कि वे स्कूल में अपने साथी छात्रों के साथ मिलकर ज्यादा अच्छे से चीजें सीख पाते हैं। इसके साथ ही 78 प्रतिशत बच्चों का यह भी मानना है कि ऑनलाइन क्लास में असाइमेन्ट्स का बोझ ज्यादा होता है। स्कूल में ही पढ़ने से शिक्षक और बच्चों के बीच फीडबैक बहुत बेहतर रहता है। बच्चे मिलजुलकर रहना सीखते हैं। वे सोशल आइसोलेशन का शिकार भी नहीं होते। बच्चे शिक्षक के सामने बैठे होने से ज्यादा अनुशासन में भी रहते हैं। बच्चों और शिक्षको में निरंतर संवाद होने से कम्यूनिकेशन स्कील भी सुधरती है। ऑफलाइन मूल्यांकन में बच्चों को नकल करने से रोकना ज्यादा आसान रहता है। बच्चें स्कूल में ही पढ़ाई करने से केवल थ्योरी तक ही सामित नहीं होते हैं, बल्कि प्रेक्टिकल से भी चीजां को ज्यादा अच्छी तरह से समझ पाते हैं। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे-2021 रिकॉर्ड के मुताबिक यह भी पाया गया कि 24 प्रतिशत बच्चों के पास कोई डिजीटल डिवाईज ही नहीं था। इसलिए वे ऑनलाइन क्लास ले ही नहीं सकते थे।
स्कूल और कोचिंग खुलने से ऑनलाइन धराशायी -
देश में कोरोना के प्रकोप के कम होने के कारण स्कूल, कॉलेज और कोचिंग खुल जाने से ऑनलाइन सेंटर की कंपनियाँ भी धराशायी होने लगी है। प्रसिद्ध ऑनलाइन एज्यूकेशन प्लेटफार्म में वेदांतु ने एक महीने में अपने 9 प्रतिशत कर्मचारियों की छंटनी कर दी है। इसी प्रकार अनएकेडमी ने भी अपने 10 प्रतिशत कर्मचारियों को घर बैठा दिया है।
ऑनलाइन कंपनियाँ खोल रही है ऑफलाइन सेंटर -
प्रसिद्ध ऑनलाइन कंपनियों में से बायजूस दिसम्बर 22 तक देश के 190 शहरों में 500 सेंटर शुरू करने जा रही है। अभी उसके केवल 6 आफॅलाइन सेंटर ही है। इसी प्रकार अनएकेडमिक कंपनी देशभर के 9 शहरों कोटा, जयपुर, बेंगलुरू, चंडीगढ़, अहमदाबाद, पटना, पुणे, दिल्ली और एनसीआर में अपने सेंटर खोलने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा वेदांतु भी ऑफलाइन लर्निंग सेंटर खोलने की दिशा में आगे बढ़ गई है।
हमारे देश के मिजाज के अनुरूप है स्कूल में पढ़ाई -
पिछले दो साल के दौरान कोरोना के कारण जब स्कूल नहीं खुल पाए तो बच्चों में सीखने की बहुत हानि हुई। इस हानि के तात्कालिक और दीर्घकालीन परिणाम बाद में सामने आयेंगे। किन्तु यह भी इतना ही सच है कि हमारे देश का मिजाज इस प्रकार का है कि बच्चे स्कूल में ही रहकर जितनी अच्छी तरह से सीख सकते है वैसे ऑनलाइन में नहीं सीख सकते। अब बच्चों के स्कूल की पढ़ाई पर ऑनलाइन पढ़ाई का जोर नहीं डाला जाना चाहिए। छोटे बच्चों के लिए स्कूल में पढ़ाई ही ज्यादा अच्छी होती है यह राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे-2021 से सिद्ध हो चुका है।
’’’ ’’’ ’’’