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1800 स्थल, जिसे बनाया जा रहा है विवादास्पद : देश में यह हो रहा है क्या ?


    डॉ. चन्दर सोनाने
                हमारे देश में जहाँ एक ओर मंहगाई आसमान छू रही है और बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर जा रही है, वहीं दूसरी ओर देश में इस पर कोई चर्चा ही नहीं हो रही है, बल्कि इसकी जगह हर मस्जिद में मंदिर को खोजा जा रहा है ! देश में विभिन्न राज्यों में चुन-चुन कर 1800 ऐसे स्थलों का चयन किया गया है, जिसे आगामी समय में विवादास्पद बनाया जाने वाला है ! इन सभी स्थलों के बारे में यह कहा जा रहा है कि पहले यह हिन्दू मंदिर थे, जिन्हें ध्वस्त कर मस्जिद और मजारे बनाई गई है ! देश में यह सब हो क्या रहा है ? किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा है ! लोगों के दिलों में जहर फैलाया जा रहा है और हिन्दू मुस्लिम में वैमनस्य फैलाकर एक दूसरे का दुश्मन बनाने को कुत्सित प्रयास किया जा रहा है !
                 उत्तरप्रदेश में कोर्ट के आदेश के बाद वाराणसी के ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के सर्वे का काम पिछले दिनों पूरा हो चुका है। इस पर कोर्ट का अंतिम फैसला अभी नहीं आया है। किन्तु, उक्त ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के भी अतिरिक्त कई ऐसी मजार, मस्जिद ईदगाह, किले आदि है, जिनके बारे में योजनाबद्व तरीके से यह कहा जा रहा है कि इन्हें मंदिरों को तोड़कर बनाया गया है। या फिर इसके निर्माण में मंदिर की सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। इतिहासकार श्री सीताराम गोयल ने 1990 में अन्य लेखकों सर्वश्री अरूण शौरी, हर्ष नारायण, जय दुबाशी और रामस्वरूप के साथ मिलकर ‘हिन्दू टेम्पल : व्हाट हैपन्ड टू देम‘ नामक दो खंडों की किताब प्रकाशित की थी। इसमें लेखक श्री गोयल ने मुस्लिमों द्वारा बनाई गई 1800 से अधिक ईमारतों, मस्जिदों और विवादित ढाँचों का पता लगाया था। जो मौजूदा मंदिरों या नष्ट कर दिये गए मंदिरों की सामग्री का इस्तेमाल करके बनाए गए थे। इस किताब में कुतुब मीनार से लेकर बाबरी मस्जिद, ज्ञानवापी विवादित ढांचे, पिंजोर गार्डन और अन्य कई का उल्लेख मिलता है !
   श्री सीताराम गोयल द्वारा लिखी उक्त पुस्तक में विभिन्न राज्यों में विवादित स्थलों का खुलासा भी किया गया है। अकेले आन्ध्रप्रदेश में 142 जगहों को विवदास्पद बताया गया है। असम में दो स्थलों का उल्लेख किया गया है। पश्चिम बंगाल में 102 जगहों पर मस्जिदें, किले और दरगाह बताई गई है, जिन्हें मुस्लिम शासकों ने मंदिर को नष्ट करके बनाया था। बिहार में कुल 77 जगहों को विवादास्पद बताया गया है। दिल्ली में 72 जगहों की पहचान की गई है। गुजरात में 170 ऐसी जगह के बारे में बताया गया है, जहाँ मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। दीव की जामा मस्जिद को भी मंदिर तोड़कर बनाया बताया गया है। हरियाणा में कुल 77 स्थलों और हिमाचल प्रदेश में एक स्थल का उल्लेख किया गया है।                
                   कर्नाटक में कुल 192 स्थल बताए गए है, जिन्हें मंदिर तोड़कर या मंदिर सामग्री का उपयोग करके बनाया बताया गया है। इसी प्रकार केरल और लक्षद्वीप में 2-2 जगहों का उल्लेख किया गया है। मध्यप्रदेश में 151 स्थलों का उल्लेख किया गया है, जिसमें सबसे प्रमुख है भोपाल की जामा मस्जिद। इसके बारे में कहा जा रहा है कि यहाँ कभी सभामंडल मंदिर हुआ करता था। इसी प्रकार महाराष्ट्र में 143 स्थलों के बारे में बात की गई है। ओडिशा में 12, पंजाब में 14 और राजस्थान में 170 स्थलों का उल्लेख किया गया है। इसी प्रकार उक्त किताब में तमिलनाडु के 175 विवादास्पद स्थल बताए गए हैं। उत्तरप्रदेश में 299 स्थलों का उल्लेख है, जो मंदिर सामग्री और मंदिर के स्थानों पर बनाएं गए थे।
                      हाल ही में मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और मस्जिद मामले में जिला अदालत में सुनवाई की अनुमति दे दी गई है। यह अगला ज्वलंत मुद्दा हो सकता है! इसी के साथ ताजमहल में बंद कमरों को भी खोले जाने की मुहिम आरंभ हो गई है। इन कमरों में बंद राज को अचानक सब जानने के लिए उत्सुक हो रहे है ! मध्यप्रदेश के भोपाल की प्रसिद्ध जामा मस्जिद में भी मंदिर होने का नया और ताजा मामला सामने आया है। यह मामला भी जल्द ही कोर्ट में पहुँचने की संभावना है। इसके बारे में यह बताया जा रहा है कि पहले यह शिव का मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस जामा मस्जिद के बारे में एक ओर नया दावा प्रस्तुत किया जा रहा है। इसमें बताया जा रहा है कि जामा मस्जिद की जगह पर पहले सभामंडल था। इस सभामंडल में वेद शास्त्रों की शिक्षा दी जाती थी। इसके साथ ही यहाँ स्थित शिवलिंग की भी पूजा की जाती थी।
                        पिछले दिनों मेघालय के राज्यपाल श्री सतपाल मलिक का एक बयान सोशल मीडिया पर खूब चर्चित हो रहा है। इसमें वे कह रहे है हमारा देश विनाश की ओर जा रहा है। जिन सवालों का कोई मतलब नहीं, उन सवालों पर बहस हो रही है। हिन्दू-मुसलमान को कहना चाहुँगा कि यह जाली सवाल है, जिस पर लड़ाया जा रहा है। इकट्ठे हो जाओ, रोजी-रोटी के सवाल पर लड़ो। उल्लेखनीय है कि मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते रहे हैं।
                        ताजा सरकारी आंकड़ों के ही अनुसार इस समय देश में थोक चीजों के दाम में 15.08 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो गई है ! इतनी मंहगाई 31 साल बाद बढ़ी है! सच में देश प्रगति कर रहा है ! इसी प्रकार बेरोजगारी के आंकड़े भी नित नए रिकॉर्ड बना रहे हैं ! देश में जब थोक चीजों के दामों में ऐतिहासिक वृद्धि हो रही तो सहज ही समझा जा सकता है कि रोजमर्रा की खेरची चीजों के दामों की क्या हालत हो रही होगी ? कई चीज के खुदरा दाम दुगुने-तिगुने हो गए हैं ! इस पर भी दुखद और आश्चर्यजनक बात यह है कि देश में बढ़ती ऐतिहासिक मंहगाई और बेरोजगारी पर केन्द्र स्तर पर कोई चिंता व्यक्त नहीं की जा रही है ! और ना ही इसे कम करने का जरा सा भी प्रयास होता हुआ कहीं भी नजर ही नहीं आ रहा है ! इसी के साथ आश्चर्यजनक बात यह भी है कि पहले जब महंगाई थोड़ी भी बढ़ जाती थी। पेट्रोल, डीजल और घरेलू गैस के दाम बढ़ते ही प्रतिपक्ष आसमान सिर पर उठा लेता था। देश और संसद में शोर मचना शुरू हो जाता था। सड़कों पर प्रदर्शन होने लगते थे । किन्तु आज ऐसा कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है। और प्रतिपक्ष की यही उदासीनता सत्ताधारी दल के लिए संजीवनी का काम कर रही है ! सबसे दुखद और आश्चर्यजनक बात तो यह है कि देश में रिकॉर्ड तोड़ मंहगाई में वृद्धि हो रही है। और देश में इस पर कहीं कोई भी चर्चा नहीं हो रही है। और यदि चर्चा हो रही है भी तो वह हिन्दू-मुसलमान और मंदिर मस्जिदों के बारे में हो रही है ! इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता  है !
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