सद्गुरू का ऐतिहासिक मिट्टी बचाओं अभियान
संदीप कुलश्रेष्ठ
ईशा फाउन्डेशन के संस्थापक सद्गुरू पिछले 21 मार्च 2022 को दिल्ली के ईशा योग केन्द्र से अकेले मोटरसाइकिल पर विश्व के 27 देशों की यात्रा पर निकलें। इन देशों की 100 दिनों की यात्रा के दौरान सद्गुरू 30,000 किलोमीटर की यात्रा कर रहे है। अपने भ्रमण के दौरान वे विश्व के नेताओं से मिलकर मिट्टी बचाओ आंदोलन में भागीदारी का अनुरोध भी कर रहे हैं।
192 देशों में एक नीति लाने का प्रयास -
मोटरसाइकिल पर अकेले निकले सद्गुरू अपनी यात्रा के दौरान विश्व के 192 देशों में मिट्टी के सरंक्षण के लिए एक नीति लाने का प्रयास कर रहे हैं। मिट्टी या मृदा प्रत्येक प्राणी के लिए आवश्यक है। मिट्टी से ही पेड़ पौधे तथा जीव जन्तु पोषित होते हैं। इसके माध्यम से ही हमें लकड़ी, फल, फूल आदि प्राप्त होते हैं। हम जिस मार्ग से भी चलते है, वह मिट्टी के ऊपर ही बना हुआ है। इस प्रकार इस धरती पर रहने वाला हर एक प्राणी मिट्टी के साथ सीधा जुड़ा हुआ है। किन्तु हाल फिलहाल दुखद यह है कि इसी प्राणदायी मिट्टी में प्रदूषण अपनी अधिकतम मात्रा को भी पार कर चुका है।
मिट्टी के बिना खेती नहीं की जा सकती -
यह हम सभी जानते है कि कृषि के बिना भोजन प्राप्त नहीं किया जा सकता है। उसी प्रकार यह भी एक सत्य है कि मिट्टी कि बिना कृषि भी नहीं की जा सकती। अतः मानव सहित जीव जन्तुओं की भूख शांत करने में मिट्टी का अपना महत्वपूर्ण योगदान है। मिट्टी के बिना किसी भी गाँव, शहर, रेगिस्तान आदि की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
बहुत बढ़ गया मिट्टी का प्रदूषण-
जल और वायु की तरह ही मिट्टी भी मनुष्य की मुलभूत आवश्यकता है। सभी वनस्पति, अनाज, पेड़ पौधो की जननी मिट्टी ही है। कीटनाशक दवाओं का अधिकतम प्रयोग, औेद्योगिक कारखानों का अपशिष्ट मिट्टी के अन्दर दबाए जाने और अन्य अनेक कारणों से आज मिटृटी का प्रदूषण अपने उच्च स्तर पर पुहँच चुका है। घरों ओैर कल कारखाने से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ को खुले स्थानों में ही निपटाया जाता है। इससे भूमि प्रदूषित हो रही है ओर मिट्टी का यह प्रदूषण ही मनुष्य के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।
मिट्टी प्रदूषण के दुष्परिणाम -
हम मिट्टी के दुष्परिणाम को सामान्यतः नहीं जानते है। संक्षेप में देखें कि इसके प्रमुख दुष्परिणाम क्या-क्या है ? यूएनसीसीडी ने बताया कि हर सेकंड एक एकड़ मिटट्ी रेत में बदल जाती है। ईएलडी पहल ने समझाया कि विश्व की 52 प्रतिशत कृषि भूमि पहले ही खराब हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र एफएओ का कहना है कि दुनियाभर की मिट्टी में अगले केवल 60 साल तक ही खेती हो सकती है। मिट्टी के दुष्परिणाम का एक और उदाहरण यह है कि आज आठ संतरों में उतने पोषक तत्व है, जितने 100 साल पहले केवल एक संतरे में होते थे। मिट्टी के प्रदूषण को रोकने के लिए ओैर उसे जीवंत बनाए रखने के लिए हम सबको केवल यह करना है कि फसलों को पोषण देने के लिए मिट्टी में केवल जैविक पदार्थ ही डालना चाहिए औेर यह जैविक पदार्थ हमें पर्याप्त मात्रा में पौधों ओैर जानवरों से प्राप्त होता है।
मिट्टी बचाओ अभियान की शुरूआत -
हमारे देश में मिट्टी बचाओं अभियान की शुरूआत सन् 1977 में मध्यप्रदेश के होशंगाबाद से हुई थी। मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले की तवा नदी पर बनने वाले बाँध के कारण जल भराव और लवणता के खिलाफ यह आंदोलन शुरू किया गया है। स्थानीय किसानों द्वारा अपनी प्रभावित भूमि के मुआवजे की माँग के लिए यह आंदोलन शुरू किया गया था।
सद्गुरू ने शुरू किया आंदोलन -
ईशा फाउन्डेशन के संस्थापक सद्गुरू द्वारा पिछले मार्च महीने में मिट्टी बचाओं अभियान शुरू किया गया था। सद्गुरू का यह अभियान आज मिट्टी के विनाश की ओर दुनिया का ध्यान खींचने वाली ताकत बन चुकी है। इस आंदोलन में देश की मानी हुई हस्तियों ने भी अपना योगदान दिया है। इस मिट्टी बचाओं आंदोलन में अपना समर्थन देने वालों में प्रमुख है - अजय देवगन, आर माधवन, प्रेम चोपड़ा, अनुपम खैर, मौनी रॉय, जूही चाँवला, मनीषा कोयराला, तमन्ना भाटिया, सोनू निगम, कंगना रनौत आदि प्रमुख हस्ती है।
विशिष्ट नीति दस्तावेज -
अपने अभियान के बारे में सद्गुरू कहते है कि यदि आपके पास कृषि भूमि है तो आपकी इस कृषि भूमि में 3 से 6 प्रतिशत तक जैविक सामग्री होना ही चाहिए, जो दुर्भाग्य से विश्व में कहीं नहीं है। इसे संरक्षित करना आने वाली पीढ़ी के लिए हमारी जिम्मेदारी भी है। सद्गुरू इस अभियान के लिए पिछले करीब दो साल से जुड़े हुए थे। पिछले करीब 8 माह से विश्व के अनेक देशों के प्रमुखों से मिल भी रहे थे। उन्होंने अपने इस अभियान के दौरान विश्व के प्रत्येक देश के लिए विशिष्ट नीति दस्तावेज भी तैयार किए। ये दस्तावेज उस देश की मिट्टी के प्रकार, उसकी स्थिति और उस क्षेत्र की कृषि परम्पराओं से संबधित है। सद्गुरू के इस ऐतिहासिक ओैर पुनित अभियान में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और विश्व खाद्य कार्यक्रम के साथ ही कुछ वैश्विक एजेंसियाँ भी है, जो उनके इस मिट्टी बचाओं अभियान में भागीदारी कर रही है। सद्गुरू को इस महायज्ञ की पूर्णता के लिए शुभकामनाएँ।