चन्द्रभागा नदी को मिला नवजीवन : शिप्रा के सेवकों का कमाल
संदीप कुलश्रेष्ठ
पतित पावन शिप्रा नदी अपने उद्गम स्थान से लेकर उज्जैन तक गर्मी के मौसम में अनेक जगह सूख जाती है। शिप्रा नदी के प्राकृतिक रूप से प्रवाहमान नहीं होने के कारण यह स्थिति निर्मित होती है। शिप्रा नदी की 22 सहायक नदियाँ है। इनमें से एक नदी चन्द्रभागा भी है। यह लुप्त हो चुकी थी। शिप्रा संरक्षण अभियान के अर्न्तगत शिप्रा के सेवकों ने शिप्रा को प्राकृतिक रूप से प्रवाहमान बनाने का जिम्मा उठाया और अपने जैसे विचारधारा वाले लोगों को जोड़कर लुप्त हो चुकी चन्द्रभागा नदी को फिर से पुर्नजीवित करने का पुनित अभियान 4 अप्रैल से लागू किया। श्रमदान और मशीनों से गहरीकरण कर चन्द्रभागा को प्रवाहमान करने का पुनित कार्य का सुपरिणाम भी प्राप्त हुआ। पिछले अनेक दशकों से लुप्तप्राय चन्द्रभागा नदी को शिप्रा के सेवकों ने 22 दिन में जीवित कर दिखाया।
प्राचीन नदी को जीवन्त किया -
शिप्रा संरक्षण अभियान के लिए यह अत्यन्त सुखद है कि शिप्रा को प्रवाहमान बनाने को लेकर संजीदा प्रयास किये जा रहे है। शिप्रा के किनारे से जुड़े ग्रामीण क्षेत्र , बस्तियों के निवासी अब लगातार इस अभियान से जुड़ रहे है। ऐसे ही शिप्रा के सेवकों की टीम ने अपने जैसे लोगों को जोड़कर बिना स्वयं का प्रचार-प्रसार किए इस महायज्ञ में आहूती देकर प्राचीन नदी को जीवंत कर दिखाया। 42 डिग्री की भीषण गर्मी में जहाँ कुए, तालाब, नलकूप अपना जवाब दे रहे है वहीं बड़गनर रोड पर स्थित मोहनपुरा में ग्रामीणों ने श्रमदान कर शुभ फल प्राप्त किया और चन्द्रभागा नदी अपने प्रवाह मार्ग में जलधारा के रूप में प्रकट भी हो गई। इसे देखकर ग्रामीणों ने पिछले दिनों जलधारा का पूजन भी किया। जल का प्रवाह रूक जाने से नदी का प्रवाह मार्ग भी रूक गया था। चन्द्रभागा नदी ग्रामीणों की केवल स्मृति में ही रह गई थी।
सबसे पहले चुना गया चन्द्रभागा नदी को -
शिप्रा की 22 सहायक नदियों में से सबसे पहले चन्द्रभागा नदी को चुना गया। मोहनपुरा में 4 अप्रैल से श्रमदान आरंभ किया गया। इसके बाद 14 अप्रैल से मशीनों से गहरीकरण कर चन्द्रभागा के प्रवाह मार्ग को खोलने का कार्य किया जा रहा था। पिछले दिनों ग्रामीणों के गहरीकरण करने के दौरान चन्द्रभागा नदी प्रकट होती दिखाई दी और अगले दिन ही चन्द्रभागा नदी का पानी बहाव की स्थिति में आ गया। चन्द्रभागा के प्रकट होने पर ग्रामीण, स्त्री, पुरूष, बच्चों ने उसका पूजन किया और जल यात्रा भी निकाली।
अब अन्य सहायक नदियों को पुर्नजीवित किया जायेगा -
चन्द्रभागा नदी को मिले नवजीवन से अन्य सहायक नदी को भी पुर्नजीवित करने की प्रेरणा प्राप्त हुई है। शिप्रा संरक्षण अभियान के कर्मठ सेवक सोनू गेहलोत और उनके साथियों को यह मत है कि चन्द्रभागा के प्रकट होने पर अब अन्य सहायक नदियों के भी पुर्नजीवित होने की आशा जाग चुकी है। शिप्रा संरक्षण अभियान के उद्देश्य से लोगों को नदियों से जोड़ना है और इसी कारण चन्द्रभागा नदी का नवजीवन हम देख पाएं है। चन्द्रभागा का काम पूरा हो जाने के बाद अगली सहायक नदियों पर काम शुरू किया जायेगा।
भाषण से नहीं बल्कि ठोस कार्य से मिलती है सफलता -
शिप्रा संरक्षण अभियान के अर्न्तगत चन्द्रभागा नदी के पुर्नजीवन सेवा कार्य से एक बार फिर यह सिद्ध हो गया है कि अच्छी नियत और सेवा भावना से ठोस कार्य किया जाये तो सफलता जरूर मिलती है। जननेताओं के केवल भाषणों से कोई सफलता कभी नहीं मिलती है। इसलिए जननेताओं को ठोस कार्य करने वाले संगठनों और व्यक्तियों से प्रेरणा लेनी चाहिए। चन्द्रभागा नदी के नवजीवन से यह आशा जगी है कि आगे भी शिप्रा नदी के प्राकृतिक रूप से प्रवाहमान होने का रास्ता खुल सकेगा।
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