इन्दौर का आकाशवाणी केन्द्र हो रहा है बन्द : जागरूक इन्दौरवासियों जागो!
डॉ. चन्दर सोनाने
प्रदेश और खासकर इन्दौरवासियों के लिए एक दुःखद खबर है। इन्दौर का आकाशवाणी केन्द्र इसी मई माह में ही बंद होने जा रहा है। सन् 22 मई 1955 से आरंभ इन्दौर का गौरव बन चुका यह आकाशवाणी केन्द्र इन्दौर का ही न ही, बल्कि पूरे मालवा क्षेत्र का गौरव बन चुका है। इसके अपने लंबे इतिहास में अनेक गौरवशाली पृष्ठ हैं। क्षेत्रीय कलाकारों को पहली बार आकाशवाणी इन्दौर ने ही मौका देकर उनकी प्रतिभाओं के पंख लगाए। इन्दौर के क्षेत्रीय कलाकारों के अलावा मालवी और निमाड़ी भाषा का भी यह प्रसिद्ध केन्द्र बन चुका है। घर -घर में इसकी पहुँच है। अब यही आकाशवाणी केन्द्र मई 2022 में बंद हो रहा है !
मध्यप्रदेश का बॉम्बे बन चुका इन्दौर का अपना एक विशिष्ट इतिहास भी है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह इन्दौर के विकास की या इन्दौर के अभिमान की या इन्दौर के सम्मान की या इन्दौर के गौरव की जब भी बात आती है तो सभी राजनैतिक दल एक मंच पर इकट्ठे हो जाते है ! इन्दौर का चाहे राजवाड़ा हो या लालबाग पैलेस या अन्य कोई बात ! इन्दौर के सभी राजनैतिक दलों ने अपने सभी आपसी मतभेद को बुलाकर एकजुट होकर इन्दौर के लिए आवाज बुलन्द की और हमेशा उस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया, जिसके लिए उन्होंने आंदोलन किया ! इन्दौर की यही विशेषता ही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है ! अब एक बार फिर समय आ गया है कि इन्दौर के सभी राजनैतिक दल एकजुट होकर बंद हो रहे आकाशवाणी केन्द्र को बंद होने से रोकें और यदि इन्दौरवासियों और सभी राजनैतिक दलों ने यह प्रण कर लिया कि इन्दौर का आकाशवाणी केन्द्र बंद नहीं होगा तो यह निश्चित मानिए कि इन्दौर के जन नेताओं की बुलन्द आवाज भोपाल ही नहीं, दिल्ली तक अपना कहा मनवाने के लिए मशहूर है ! अब देखना यह है कि इन्दौरवासी कब अपनी आवाज बुलन्द कर आकाशवाणी इन्दौर को बंद होने से रोक पाएंगे !
22 मई को आकाशवाणी इन्दौर का स्थापना दिवस भी है। मध्य भारत के इस सबसे बड़े और करीब सात दशक पुराने रेडियो स्टेशन बंद होने से मालवी और निमाड़ी के सभी कार्यक्रम भी अपनी आवाज खो देंगे, जो मालवा और निमाड़ के सैकड़ो लोककलाकारों की पहचान हुआ करती थी ! आकाशवाणी इन्दौर के अनेक मशहूर कार्यक्रम है, उनमें प्रमुख रूप से शामिल है, महिला सभा, ग्राम लक्ष्मी, खेती गृहस्थी, बाल सभा, कोपल, नाटक, युवा वाणी,सुगम संगीत, शास्त्रीय संगीत , मनभावन गीत, फोन करे गीत सुने, लोकगीतों आदि ने अपने-अपने समय में धूम मचा रखी थी। इस आकाशवाणी के बंद होने से मालवी और निमाड़ी में बनने वाले सभी कार्यक्रम अब बंद हो जाएंगे! इस आकाशवाणी केन्द्र ने स्थानीय बोली, भाषा, संस्कृति, परम्पराओं, तीज त्यौहारों के संरक्षण का भी महत्वपूर्ण कार्य किया है।
जिस प्रकार इन्दौर के आकाशवाणी केन्द्र को बंद किया जा रहा है, उसी प्रकार मध्यप्रदेश के और भी केन्द्र बंद होने जा रहे है। इनमें प्रमुख है, रींवा, छतरपुर, ग्वालियर और जबलपुर। इस प्रकार मध्यप्रदेश के 5 केन्द्र पर यह संकट आया है ! इन सभी आकाशवाणी केन्द्रों के बंद हो जाने से इनके सभी आंचलिक और क्षेत्रीय कार्यक्रम बंद हो जाएंगे। यह भी सुना जा रहा है कि प्रदेश के इन पाँचों केन्द्रों को भोपाल आकाशवाणी केन्द्र में समाहित किया जा रहा है। इन केन्द्रों को सप्ताह में एक-एक दिन का मौका दिया जाएगा। इन सभी क्षेत्रीय आकाशवाणी केन्द्रों के बंद होने से सभी क्षेत्रीय लोक संस्कृति के कार्यक्रमों पर भी संकट के बादल छा गए हैं!
विश्व में और हमारे देश में रेडियो का एक लंबा इतिहास रहा है। 24 दिसम्बर 2006 में कनाड़ा के वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने जब अपना वॉयलिन बजाया और अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, जो दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरूआत थी। इससे पहले भारत के ही सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक श्री जगदीशचन्द्र बसु ने भारत में तथा गुल्येल्मो मार्कोनी ने सन् 1900 में इंग्लैंड से अमरीका बेतार संदेश भेजकर व्यक्तिगत रेडियो संदेश भेजने की शुरूआत कर दी थी, पर एक से अधिक व्यक्तियों को एक साथ संदेश भेजने का ब्रॉडकास्टिंग की शुरूआत 1906 में फेसेंडेन के साथ हुई। 1918 में ली द फॉरेस्ट ने न्यूयार्क के हाइब्रिड इलाके में दुनिया का पहला रेडियो स्टेशन शुरू किया। इसके बाद उन्होंने ही 1919 में सेन फ्रैंसिस्को में एक ओर रेडियो स्टेशन शुरू किया। नवंबर 1920 में फ्रैंक कॉनार्ड को दुनिया में पहली बार कानूनी तौर से रेडियो स्टेशन शुरू करने की अनुमति मिली । इसके बाद दुनिया भर में सैकड़ो रेडियो स्टेशन ने काम करना शुरू कर दिया।
नवम्बर 1941 को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने रेडियो जर्मनी से भारतवासियों को सम्बोधित किया। इसमें उन्होंने अपने भारतवासियों के नाम भेजे संदेश में अपना प्रसिद्ध नारा दिया था “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।“ इसके बाद 1942 में आजाद हिन्द रेडियो की स्थापना हुई, जो पहले जर्मनी से, फिर सिंगापुर से और बाद में रंगून से भारतीयों के लिए समाचार प्रसारित करता रहा। सन् 1927 तक भारत में भी ढेरो रेडियो स्टेशन की स्थापना हो चुकी थी। 1936 में भारत में सरकारी “इंपोरियल रेडियो ऑफ इंडिया“ की शुरूआत हुई, जो आजादी के बाद ऑल इंडिया का आकाशवाणी बन गया। मुम्बई के चौपाटी इलाके के सी व्यू बिल्डिंग से 27 अगस्त 1942 को नेशनल कांग्रेस रेडियो का प्रसारण शुरू हुआ। 1995 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा रेडियो तरंगों पर सरकार का एकाधिकार नहीं है। इसके बाद 2002 में एनडीए सरकार ने शिक्षण संस्थाओं को कैंपस रेडियो स्टेशन खोलने की अनुमति दी। और फिर आया ऐतिहासिक दिन 16 नवम्बर 2006 ! इस दिन यूपीए सरकार ने स्वयंसेवी संस्थाओं को रेडियो स्टेशन खोलने की इजाजत दी ! आजादी के समय 1947 में हमारे देश में आकाशवाणी के पास केवल 6 रेडियो स्टेशन थे और उसकी पहुंच 11 प्रतिशत लोगों तक ही थी। अब आकाशवाणी के पास 223 रेडियो स्टेशन है और उसकी पहुंच 99.1 प्रतिशत भारतीयों तक है।
अब देखना यह है कि, इन्दौर के जागरूक नागरिक यदि अपने यहाँ के रेडियो स्टेशन को बंद होने से रोक देते हैं, तो इससे प्रदेश के अन्य जिलों रींवा, छतरपुर, ग्वालियर और जबलपुर के नागरिक भी जागेंगे और वे भी अपने यहाँ के बंद हो रहे आकाशवाणी केन्द्रों को बंद होने से रोकने के लिए प्रेरणा प्राप्त कर सकेंगे ! यह भी जरूरी है कि उक्त स्थानों के जनप्रतिनिधि भी एकजुट होकर अपने यहाँ के रेडियो स्टेशन को बंद होने से रोकने की पुरजोर कोशिश करें तो अपने यहाँ के गौरव आकाशवाणी केन्द्रों को बंद होने से जरूर रोक सकेंगे।
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