top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << लिम्बूड़ा रे लिम्बूड़ा

लिम्बूड़ा रे लिम्बूड़ा


पिच्चर में एक गीत घणो छई रियो थो लिम्बूड़ा लिम्बूड़ा म्हारा छोटा-छोटा लिम्बूड़ा। लिम्बू का नाम नी पिच्चर इत्ती फेमस हुई जायेगी , कनी के मालम नी थी, ने अनी का बोल बी था पिवर मालवी में।
कल म्हारा भईजी कई रिया था कि लिम्बू तो मली रियाज कोनी। 10-15 रूपया को मिली जाय तो घणी किस्मत की बात है। लोग हूण काला बाजारी करी रिया है, तो मने लग्यो के ऊना पिच्चर का जाना बाद फेर ईना लिम्बू को भाव बढ़ी गियो है भारी करी।
पेला कांदा का भाव भी ऐसाज ताव खई रिया था, बाजार , होटल, ढाबा से छूमंतर हुई गिया था, ने अबे लिम्बू।
और तो और बापड़ा नजर काढ़वा और टोना टोटका करवा वाला मनख हूण बी हरी मरची ने लिम्बू लगावा में लिम्बू को टोटो पड़ी गियो, जिकी इफरादी वासते उनका कने कोई टोटको बी कोनी।

इना उनाला में लिम्बू पानी की शिकंजी से बी छेटी पड़ी गिया मनख हूण। भारी करी ने तूने लिम्बूड़ा।

                                                                                  

 
 

Leave a reply