यूक्रेन से आए छात्रों के सामने है बड़ा सवाल : अब कहाँ पढ़ें ?
संदीप कुलश्रेष्ठ
यूक्रेन से अपनी जान बचा कर अपने देश भारत आए 20 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों के सामने अब एक बड़ा सवाल है । वह यह है कि वे अपनी मेडिकल कॉलेज की अधूरी पढ़ाई अब अपने ही देश में कहाँ और कैसे पूरी करें ?
प्रधानमंत्री जी ने व्यक्त की है चिन्ता -
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मेडिकल शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में छोटे - छोटे देश जाने की मजबूरी पर उसी समय चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा भी है कि भारत में ही सस्ती और बेहतरीन मेडिकल शिक्षा का ढाँचा तैयार किया जा रहा है , ताकि छात्रों को मजबूरी में विदेश नहीं जाना पड़े ।
यूक्रेन में सस्ती है शिक्षा -
अपने देश भारत में सरकारी कॉलेजों में मेडिकल शिक्षा बहुत सस्ती है , किन्तु यहाँ अवसरों यानी सीटों की बहुत कमी है । सरकारी आंकड़ों के अनुसार यहाँ सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस की सीट्स 41388, प्रायवेट कॉलेजों में 35540 इस प्रकार कुल 76928 एमबीबीएस की सीट्स है । बीडीएस की कुल सीट्स 26,773 ही है । और आयुष की 52,720 सीट्स ही है। इसकी तुलना में आवेदकों की संख्या अनेक गुना ज्यादा है । निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस इतनी अधिक है कि एक सामान्य घर का छात्र उतनी फीस अपने जीवन में भर ही नहीं सकता । विदेश के अनेक छोटे - छोटे यूक्रेन जैसे देशों में मेडिकल शिक्षा अपने देश की निजी कॉलेजों की तुलना में बहुत सस्ती होने के ही कारण अपने देश के प्रतिभाशाली , किन्तु गरीब और सामान्य आर्थिक स्थिति वाले छात्र यूक्रेन जैसे देश में पढ़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं ।
हिंदी क्षेत्र के छात्र अधिक हैं -
यूक्रेन से आये भारतीय छात्रों में से अधिकतर छात्र मप्र , पंजाब , हरियाणा , दिल्ली , राजस्थान , उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के ही हैं । यूक्रेन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य मेडिकल शिक्षा काफी कम फीस में ही पूरी हो जाती है । भारतीय छात्रों के लिए यूक्रेन जैसे देश जाने के पीछे एक मात्र यही कारण है । युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारत आए छात्रों के सामने अब भारत आने के बाद यह बड़ा प्रश्न खड़ा है कि अब वे अपनी अधूरी पढ़ाई कैसे और कहाँ से पूरी करें ?
भारतीय महंगी शिक्षा पर है सवाल -
यूक्रेन से आए भारतीय छात्रों के अपने ही देश भारत आने पर अपने ही देश की अत्यधिक महँगी मेडिकल की पढ़ाई बहुत बड़ा अवरोध है । देश भर में इस पर एक अत्यंत जरूरी गंभीर चर्चा तथा बहस शुरू भी हो गई है । सब सोच रहे हैं , जब भारत से हर दृष्टि से छोटा देश यूक्रेन अपने देश में इतनी सस्ती शिक्षा दे रहा है कि दुनियाभर से छात्र उसके देश में मेडिकल की पढ़ाई के लिए आ रहे थे तो अपने ही देश में सस्ती मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई क्यों नहीं हो सकती ?
दिल्ली में इकट्ठे हुए छात्रों के परिजन-
हाल ही में रविवार 17 अप्रैल को दिल्ली के जंतर मंतर पर यूक्रेन से आये करीब 10 राज्यों के छात्रों के माता - पिता और अभिभावक इकट्ठा हुए । उन्होंने प्रधानमंत्री जी से अनुरोध किया कि जैसे हमारे बच्चों की जान बचाकर उन्हें सरकार यूक्रेन से भारत लाई है , वैसे ही अब उनका भविष्य भी सुरक्षित कर दें । उन्होंने केंद्र सरकार से पुरजोर अनुरोध किया कि उनके बच्चों को अब भारत में ही मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाकर उनकी अधूरी पढ़ाई पूरी करावें ।
प्रधानमंत्री जी से ही आशा -
यूक्रेन से भारतीय छात्रों को भारत लाने के प्रयासों के दौरान ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस संबंध में चिन्ता व्यक्त कर भी दी थी । अब उनसे ही उम्मीद है कि वे इस ओर भी ध्यान दें , ताकि यूक्रेन से भारत आये भारतीय छात्रों की अधूरी मेडिकल की पढ़ाई पूरी हो सके । इसके साथ ही वे यह भी सोचें कि यूक्रेन संकट के कारण भारत लाए गए छात्रों के कारण ही सही पर इससे एक नई संभावनाओं के द्वार भी खुल गए हैं । आज जरूरी है कि अपने देश में ही सस्ती मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई की ऐसी ठोस पहल की जाए कि आगे भविष्य में भी अपने देश के प्रतिभाशाली , किन्तु गरीब घर के छात्रों को फिर कभी अपनी मेडिकल पढ़ाई के लिए यूक्रेन जैसे देश जाने के लिए मजबूर नहीं होना पड़े ।
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