रेडियो दस्तक के कार्यक्रम जीवन की डोर सेहत में विश्व होम्योपैथी दिवस पर डॉ. सोनल शकरगाय द्वारा दी गई होम्योपैथी पर विशेष जानकारियां।
डॉ .विनोद वैरागी
उज्जैन- 10 अप्रैल यानी विश्व होम्योपैथी दिवस पर उज्जैन के सामुदायिक रेडियो रेडियो दस्तक 90.8 एफएम द्वारा जीवन की डोर सेहत कार्यक्रम का प्रसारण किया गया जिसके अंतर्गत होम्योपैथी से जुड़ी कई रोचक जानकारियां श्रोताओं को दी गई। जैसा कि हम सब जानते हैं कि होम्योपैथी चिकित्सा के जनक हैनीमैन जी की जयंती के रूप में सभी होम्योपैथी डॉक्टरों द्वारा इस दिवस को मनाया जाता है।
कार्यक्रम की अतिथि डॉ. सोनल शकरगाय ने हैनिमैन जी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आज हैनीमैन जी के जन्म दिवस के अवसर पर यह विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जा रहा है हैनिमैन जी के जीवन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि 1755 में जन्मे हैनिमैन अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे और उनके पिता पेंटर थे। उनका बचपन बहुत ही संघर्षों में बीता । उन्होंने 1775 में एमडी की डिग्री ली। वह एक एलोपैथिक प्रैक्टिशनर थे। उन्होंने बताया कि हैनीमैन ने 1796 में इस पद्धति को खोजा । उन्होंने इसे समरूपता के सिद्धांत के आधार पर बताया । यानी समान समान को ठीक करता है। दवाइयां उन बीमारियों से मिलते जुलते लक्षण ठीक कर सकती हैं जिन्हें कि वह स्वस्थ व्यक्ति में पैदा करती है। मतलब कोई स्वस्थ्य व्यक्ति उन दवाइयों को ले ले तो उनमें जो सिम्टम्स आएंगे वह उन बीमारियों को ही ठीक करेंगे जिनमें यह सिम्टम्स होते हैं। होम्योपैथिक की दवाई में उपयोग की जाने वाली साबूदाने के जैसी गोलियों का एक जैसा रूप और स्वाद के प्रश्न पर उत्तर देते हुए डॉ सोनल शकरगाय ने कहा कि साबूदाने की गोलियां या पाउडर माध्यम का काम करती हैं। उसमें लिक्विड दवाइयां डाली जाती है और हर पेशेंट की अलग-अलग दवाई होती है जो लेक्टोज शुगर से बनी होती है। साबूदाने की गोलियां मीठी होती है और उसमें हम ऊपर से दवाई डालते हैं जिसे हम डाइल्यूशन कहते हैं। यह गोलियां दिखती एक समान है पर हर व्यक्ति की मेडिसिंस अलग-अलग होती है। बायोकेमिकल के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यह टिशू सॉल्ट रेमेडीज कहलाती हैं। हमारे शरीर में जो मिनरल्स होते हैं जब उनके इनबैलेंस के कारण बीमारियां होती है तो बाहर से सप्लीमेंट दिए जाते हैं जिन्हें बायोकेमिक कहते हैं जो कैल्शियम, फास्फोरस ,नेट्रम, फेरम, आयरन वगैरह होता है। यह सभी शार्ट टॉनिक का काम करते हैं। होम्योपैथी की चिकित्सा प्रणाली के बारे में कही गई यह बात की यह प्रणाली पहले रोगों की तीव्रता को बढ़ाती है उसके बाद इलाज होता है को उन्होंने भ्रांति बताया । उन्होंने कहा कि यह बात सही नहीं है।
होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली में इलाज के दौरान तेज खुशबू, सुगंध, तेज धूप में बाहर जाना आदि बातें निषेध होती है। इन पर लोकल एप्लीकेशन विक्स, बाम या अन्य तेज खुशबू वाली चीजों को लगाने से मना किया जाता है। क्योंकि इलाज के दौरान बॉडी से टाक्सिन्स बाहर जाते हैं जिसके लिए यह सभी चीजें लगाना मना होता है।
अंत में उन्होंने रेडियो दस्तक की सभी श्रोताओं से अच्छी दिनचर्या का पालन करने और होम्योपैथिक ट्रीटमेंट लेने की सलाह दी।