मुख्यमंत्री जी पेंशनरों की अब तो सुध लें !
डॉ. चन्दर सोनाने
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों अपने जन्मदिन पर राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों को 11 प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाने की घोषणा कर कर्मचारियों को तो खुश कर दिया , किन्तु अपने ही राज्य के बुजुर्ग पेंशनरों को भुला बैठे ! वित्त विभाग ने भी मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप गत 21 मार्च को इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए ।
राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों को पहले 20 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता मिल रहा था । अब उन्हें केंद्र के समान 31 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता मार्च पेड अप्रैल माह से मिलना भी शुरू हो गया है । इन कर्मचारियों को यह भत्ता मिलना भी चाहिए था । किन्तु राज्य के पेंशनरों की हालत देखिए ! उन्हें अभी केवल 14 प्रतिशत की दर से ही भत्ता मिल रहा है ! इस प्रकार पेंशनरों को अब 17 प्रतिशत कम भत्ता मिल रहा है । यह पेंशनरों के प्रति सरासर नाइंसाफी ही है ! और इसके लिए प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री ही पूरी तरह दोषी है ! और दोषी हैं , प्रदेश के वित्त विभाग के सभी आला आईएएस ऑफिसर !
हाल ही में केंद्र सरकार ने अपने केंद्रीय कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ ही सभी पेंशनरों को भी 3 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता और बढ़ाने की घोषणा कर दी है ! अब उनका महंगाई भत्ता बढ़ कर 34 प्रतिशत हो गया है । यहाँ यह उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार में किसी भी पार्टी की सरकार रही हो , साल में दो बार जनवरी और जुलाई माह से महंगाई भत्ता बढ़ाती ही है । और हमेशा ही केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों के साथ ही पेंशनरों का भी महंगाई भत्ता बढ़ाती रही है ! केंद्र सरकार पेंशनरों को कभी तरसाती नहीं है ! और राज्य सरकार हमेशा ही पेंशनरों के साथ दोगला व्यवहार करती है ! यह एक तरह से प्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों का सीधा - सीधा अपमान ही है ! मुख्यमंत्री और उनके वरिष्ठ आईएएस अफसर ही इसके लिए पूरी तरह दोषी है ! आश्चर्य तो यह है कि इन्हें ऐसा करते हुए शर्म भी नहीं आती ?
प्रदेश सरकार जब भी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाती है , तो पेंशनरों को जानबूझ कर बेसहारा छोड़ देती है ! और हमेशा आर्टिकल 49 का बहाना करते हुए भोला बन कर कहती है कि छत्तीसगढ़ सरकार जब तक पेंशनरों के भत्ता बढ़ाने की सहमति नहीं देगी , तब तक हम राज्य के पेंशनरों का भत्ता बढ़ा नहीं सकते ! इस प्रकार राज्य सरकार सफेद झूठ फैलाती है ! इस संबंध में राज्य के पेंशनरों के संगठन ने अनेक बार मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर निवेदन किया है कि भारत सरकार ने अपने पत्र दिनांक 13 नवम्बर 2017 को स्पष्ट कर दिया है कि मध्यप्रदेश के पेंशनरों के महंगाई भत्ता बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है ! राज्य सरकार चाहे तो इस संबंध में खुद निर्णय ले सकती है ! किन्तु राज्य सरकार चाहती ही नहीं कि बुजुर्ग पेंशनरों का महंगाई भत्ता बढे ! उसे बुजुर्गों का तरसाने , परेशान करने और गिड़गिड़ाते हुए देखने में ही शायद मजा आता है !
यह सब गड़बड़झाला करने वाले तथा रायता फैलाने वाले और कोई नहीं , प्रदेश के दोगले वरिष्ठ आईएएस ऑफिसर ही हैं ! आईएएस की यही सशक्त लॉबी अपने सामने सब को दोयम दर्जे के और तुच्छ समझते हैं ! इन्होंने ही उस समय , जब प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री दिग्विजयसिंह थे , तब उन्हें एक षडयंत्र के तहत यह समझा दिया था और वे समझ भी गए थे कि हम ही प्रशासन के सर्वोच्च कर्ता - धर्ता अखिल भारतीय प्रशासकीय सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी हैं ! इसलिए जब भी केंद्र सरकार अपने केंद्रीय कर्मचारियों और अधिकारियों का महंगाई भत्ता बढ़ावें , तो तुरंत ही उसी तारीख से उन्हें भी इसका लाभ मिल जाना चाहिए ! ये आईएएस यह भी जानते थे कि वे यदि केवल उनकी ही बात करेंगे तो मुख्यमंत्री को अपने जाल में आसानी से फंसा नहीं सकते ! इसलिए उन्होंने शुरू से ही अपनी मांग यह रखी कि प्रदेश में तीन सेवा आईएएस , आईपीएस और आईएफएस ही अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी हैं ! इसलिए इन तीनों को यह लाभ मिलना चाहिए ! इससे इन तीनों सेवा के अधिकारी आपके निर्णय से खुश हो जाएंगे और , और अधिक निष्ठा से आपकी सेवा करेंगे ! और यह आईएएस लॉबी अपनी साजिश में सफल भी हो गई ! मुख्यमंत्री ने ऐसा ही आदेश जारी कर भी दिया !
तब से ही यह हो रहा है कि केंद्र सरकार जैसे ही साल में अनिवार्य रूप से दो बार महंगाई भत्ता बढ़ाती है तो उसका लाभ प्रदेश के इन तीनों सेवा के अधिकारियों को भी तुरंत ही मिल जाता है , जबकि नियमानुसार इन तीनों की ही सेवा राज्य शासन के अंतर्गत आती है ना कि केंद्र सरकार के ! इसके पहले ऐसा नहीं होता था ! सबको एक साथ ही बढ़ा हुआ भत्ता मिलता था ! हमेशा यह होता था कि जब भी केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों का भत्ता बढ़ाती थी तो राज्य के कर्मचारियों के संगठनों को यह आईएएस लॉबी परदे के पीछे से उन्हें आंदोलन करने के लिए प्रोत्साहित करती थी , जिससे मुख्यमंत्री भत्ता बढ़ाने के लिए मजबूर हो जाते थे , तब ही इन तीनों सेवाओं के अधिकारियों को भी राज्य के कर्मचारियों के साथ ही बढ़ा हुआ भत्ता मिलता था ! किन्तु सशक्त आईएएस लॉबी अपने निजी स्वार्थ की साजिश में सफल हो गई और इस प्रकार इन तीनों सेवाओं और राज्य सरकार के कर्मचारियों में भेदभाव की नींव रखी गई ! प्रदेश का हर आईएएस ऐसा ही होता है , यह बिल्कुल नहीं हैं ! यहाँ भी अपवाद है। जैसे वरिष्ठ आईएएस सुश्री स्वर्णमाला रावला जब उज्जैन की संभागायुक्त थी तो उस समय उन्होंने राज्य सरकार के इस फैसले को स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण निरूपित किया था ! ऐसी ही विचारधारा के और भी हो सकते हैं !
तो अब पेंशनर और उनका संगठन करें तो करें क्या ? पहले तो अंतिम बार मुख्यमंत्री जी से मिलकर पेंशनरों की भी सुध लेने और उन्हें भी कर्मचारियों के ही समान महंगाई भत्ता देने तथा छठे एवं सातवें वेतनमान का जबरन रोका गया एरियर भी देने के लिए अनुरोध करें ! और फिर भी वे नहीं मानें तो चरणबद्ध तरीके से भोपाल और प्रदेश के सभी संभागीय मुख्यालयों पर अनिश्चितकालीन धरना देना आरम्भ कर दें ! ऐसा लगता है कि अब ये सबके लिए संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान पेंशनरों के प्रति अत्यंत ही असंवेदनशील हो गए हैं ? शायद वे धरने के बाद ही पेंशनरों के प्रति संवेदनशील हों तथा पेंशनरों का रुका हुआ महंगाई भत्ता और एरियर देने का आदेश दें ?
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