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आखिर कश्मीरी पंडितों को न्याय कब मिलेगा ?


   डॉ . चन्दर सोनाने

                  अब फिर से तेजी के साथ कश्मीरी पंडितों को न्याय दिलाने और उनकी घर वापसी के लिए आवाज उठने लगी है । हाल ही में 26 मार्च को जम्मू कश्मीर रिकांसिलेशन फ्रंट के अध्यक्ष डॉ संदीप मावा ने श्रीनगर के प्रसिद्ध लाल चौक पर एक दिन की भूख हड़ताल कर कश्मीरी पंडितों के हत्यारे बिट्टा कराटे का पुतला फूंका ! इसी के साथ उन्होंने अपनी प्रमुख  मांगें रखी । उनकी प्रमुख मांगें हैं  बिट्टा को फाँसी दी जाए , हिन्दुओं के साथ मारे गए कश्मीरी मुसलमानों के दर्द पर एसआईटी बनाई जाए ,  सुप्रीम कोर्ट या सीबीआई की अध्यक्षता में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई जाए जो यह पता करें कि कश्मीरी पंडितों को कौन निशाना बना रहा है ? आगामी 19 अप्रैल तक उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे 20 अप्रैल से फिर से भूख हड़ताल पर बैठेंगे और 11 वें दिन लाल चौक पर आत्म दाह करने की भी चेतावनी उन्होंने दी है । 
                  दूसरी ओर रूट्स इन कश्मीर नामक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर 32 साल पहले 1990 में पंडितों के नरसंहार पर न्याय की गुहार लगाते हुए दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया है । साथ ही अनेक हत्याओं , बलात्कार , हिसा और पलायन के प्रमुख दोषियों में प्रमुख यासीन बिट्टा कराटे के विरुद्ध केस चलाने की मांग की है ।  इसी के साथ कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री संजय टिक्कू का यह कहना है कि कश्मीरी पंडितों की 680 हत्याओं में कोई एफआईआर तक नहीं हुई ! और भी संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता कश्मीरी पंडितों को न्याय दिलाने के लिए वर्षों से असफल प्रयास कर रहे हैं !
                  19 जनवरी 1990 को आतंकवादियों द्वारा पंडितों को घाटी से बाहर निकल जाने का फरमान जारी करने के बाद कितने पंडितों ने पलायन किया ? इसका अभी तक कोई आधिकारिक आँकड़ा तक उपलब्ध नहीं है ! भारत सरकार के एक आकलन के अनुसार उस समय करीब 60 हजार परिवारों ने पलायन किया था ! इसी के अनुसार करीब तीन लाख से अधिक लोगों को पलायन का दर्द भोगने के लिए विवश होना पड़ा था ! जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर के दावे को मानें तो 1990 के दशक में करीब साढ़े तीन लाख पंडितों ने पलायन किया था ! इसके बाद भी छुटपुट पलायन होता ही रहा है ! इसमें से केवल 3800 पंडित ही  वापस लौटें हैं ! यह आँकड़ा भी मार्च 2021 में संसद में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने बताया था ! एक और सरकारी आंकड़ों के ही अनुसार बीते पाँच साल में केवल 610 कश्मीरी पंडितों को ही उनकी जमीन वापस दिलाई जा सकी है ! 
                 हाल ही में जब से 'द कश्मीर फाइल्स' फ़िल्म आई है , तब से कश्मीरी पंडितों का दर्द और दमन एक बार फिर से उभर आया है ! आज के युवा जो यह सब नहीं जानते थे , उन्होंने भी फ़िल्म को देख कर कश्मीरी पंडितों के दर्द को महसूस किया है ! और इसी के साथ कश्मीरी पंडितों को न्याय दिलाने की मांग एक बार फिर से जोर पकड़ने लगी है ! यह स्वाभाविक ही है ! आखिर कब तक कश्मीरी पंडित न्याय का इंतजार करें? अत्याचार , अन्याय , निर्दयता , बर्बरता आदि सभी सीमाओं को पार करने वाला है , कश्मीरी पंडितों का दर्द और दमन ! 32 साल कम नहीं होते हैं ! अब तो उन्हें न्याय मिलना ही चाहिए ! 
                 श्री नरेन्द्र मोदी जी को देश के प्रधानमंत्री का पदभार संभालते हुए 8 साल हो गए हैं ! कश्मीर से धारा 370 को हटाए भी करीब तीन साल हो गए हैं ! यह अवधि कम नहीं होती ! 1990 के दशक में जब कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ , उस समय प्रधानमंत्री के पद पर जनता दल के श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह थे ! सबसे बड़े दोषी तो वे ही हैं और उनकी पार्टी  , जिन्होंने कश्मीरी पंडितों के बलपूर्वक किये गए पलायन को रोकने तथा उनकी सुरक्षा के लिए कुछ भी नहीं किया ! इसके बाद भाजपा के ही श्री अटल बिहारी वाजपेयी एक दो बार नहीं बल्कि तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे ! वे भी कुछ भी ठोस नहीं कर पाए ! कांग्रेस के श्री मनमोहन सिंह भी 10 साल प्रधानमंत्री रहे ! उन्होंने भी कुछ भी ठोस प्रयास नहीं किए !  बीच - बीच में थोड़े - थोड़े समय के लिए अन्य भी प्रधानमंत्री रहे , उनसे तो कुछ अपेक्षा करना भी बेमानी था ! अब फिर से कश्मीरी पंडितों की हिमायती वाली पार्टी भाजपा के ही  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं ! कश्मीरी पंडितों को सही मायने में न्याय दिलाने में ये भी अभी तक तो असफल ही कहे जा सकते हैं ! यानी तीन दशकों से भी अधिक समय हो गया , कश्मीरी पंडितों के पलायन को , किन्तु कोई भी पार्टी और उसका नेता बस केवल आश्वासनों का ही लॉलीपॉप देता रहा ! ठोस कोशिश किसी ने भी नहीं की है , अब तक , जिसे खास और उल्लेखनीय कहा जा सके !
                 पहली बार कोई गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री प्रचंड बहुमत से अपनी सशक्त पारी खेल रहे हैं ! उन्हें किस बात का डर ? उन्हें अब सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा और घर वापसी के लिए ठोस निर्णायक पहल करने ही चाहिए ! इसी के साथ उन्हें सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं और उन्मादी भीड़ को 'द कश्मीर फाइल्स' फ़िल्म को दिखाने के माध्यम से हो रहे फूहड़ प्रदर्शनों पर भी तुरन्त रोक लगाना ही  चाहिए ! हर जगह हिन्दू के पैरोकार होने वाली पार्टी होने के प्रदर्शनों और वोट की राजनीति से बचना चाहिए , जो हिदू और मुस्लिमों को जोड़ने नहीं बल्कि तोड़ने पर आमादा है ! और यदि इसे रोका नहीं गया तो बहुत बड़ा खामियाजा भाजपा को आगामी समय में उठाना पड़ेगा , जिसकी भरपाई भी संभव नहीं हो सकेगी !और देश भर में अनेक राज्यों में मुस्लिमों के विरुद्ध हो रहे विष वमन करने के कुत्सित प्रयासों पर भी तुरन्त रोक लगाना चाहिए ! इसी कारण हाल ही में कर्नाटक के उडुपी में , पिछले अनेक दशकों से चले आ रहे होसा मारगुड़ी मंदिर परिसर में आयोजित होने वाले पारंपरिक मेले में ,  आयोजकों द्वारा पहली बार मुस्लिम दुकानदारों को अपने स्टॉल लगाने पर रोक लगा दी गई है ! इतिहास गवाह है कि हिन्दू मुस्लिम समुदाय के आपसी सद्भावना बिगड़ने , झगड़े और विवाद में हमेशा गरीब और कमजोर ही मारा जाता रहा है ! समर्थ लोगों और राजनैतिक दलों के नेताओं का कभी कुछ भी बिगड़ा नहीं है ! इसलिए अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री जी को कश्मीरी पंडितों को न्याय दिलाने के लिए एक स्वतंत्र न्यायिक जाँच आयोग का गठन कर सभी दोषियों को कठोड़ दंड दिलाने का प्रयास करना ही चाहिए ! इसी के साथ हर एक पीड़ितों को उसकी घर वापसी के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजामों के साथ ही उसे हर संभव सुविधा उपलब्ध कराकर विलंबित न्याय दिलाने का पुनीत कार्य करना ही चाहिए !
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