top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << भस्म आरती के नाम पर श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ खिड़वाड़ !

भस्म आरती के नाम पर श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ खिड़वाड़ !


     डॉ. चन्दर सोनाने

                 देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से उज्जैन के दक्षिणमुखी  महाकालेश्वर मंदिर का अपना विशिष्ट स्थान है । केवल यहीं प्रतिदिन प्रातः काल 4 बजे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्म आरती होती है । यह इतनी भव्य , आकर्षक और मनमोहक होती है कि देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं का तन मन आत्मविभोर हो जाता है । कई दशकों से चली आ रही इस परंपरा का सतत निर्वहन हो रहा है । किन्तु पिछले कुछ सालों से प्रशासनिक अधिकारियों ने श्रद्धालुओं के आस्था के केंद्र इस मंदिर को प्रयोगशाला बना दिया है ! नित नए अव्यवहारिक प्रयोगों के कारण यहाँ रोज आने वाले  सैकड़ों श्रद्धालु अत्यधिक परेशान हो जाते हैं ! और भस्म आरती की अनुमति के नाम पर श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ रोज यहाँ खिड़वाड़ किया जा रहा है ! 
                  हर 12 साल में उज्जैन में होने वाले आस्था और विश्वास के महापर्व सिंहस्थ के आयोजन तथा सुलभ यातायात सुविधाओं के कारण  हर साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है । उस अनुपात में हर राज्य सरकार मंदिर परिसर में सुविधाओं का बेशक विस्तार भी कर रही है । यह अत्यंत आशाजनक के साथ ही सराहनीय भी है । एक समय था जब यहाँ भष्मार्ति के समय केवल 250 श्रद्धालु ही बैठ कर दर्शन का आनंद ले पाते थे ! आज यहाँ 1545 श्रद्धालुओं के बैठकर भष्मार्ति के दर्शन की सुविधा उपलब्ध है ! किन्तु जैसे - जैसे भष्मार्ति में अधिक से अधिक श्रद्धालुओं के दर्शन की सुविधाओं में वृद्धि होती गई , वैसे - वैसे प्रशासनिक अधिकारियों के तुगलकी फरमान और अत्यंत अव्यवहारिक प्रयोगों के कारण दिनों दिन श्रद्धालुओं की परेशानी बढ़ती ही जा रही है ! 
                 भस्म आरती की अनुमति प्राप्त करने में श्रद्धालुओं को आ रही परेशानियों की एक झलक आप भी देंखे । रोज कुल 1545 अनुमति में से 400 अनुमति ऑनलाइन दी जाती है। शेष 1145 अनुमति ऑफ लाइन देने का प्रावधान है । बस श्रद्धालुओं की परेशानी का सिलसिला यहीं से शुरू हो जाता है ! यदि किसी श्रद्धालु को मंदिर में आकर भस्म आरती की अनुमति चाहिए तो उसे सब काम छोड़कर सुबह 7 बजे महाकाल मंदिर प्रशासक कार्यालय के पास काउंटर पर लाइन में खड़े होकर पहले तो आवेदन पत्र लेना होगा । फिर उस आवेदन के प्रारूप में अधिकतम  5 व्यक्तियों के नाम , आयु , आधार कार्ड का नंबर , आपका पता , मोबाइल नंबर आदि की भारी भरकम जानकारी भरना होगी ! फिर इसके साथ प्रत्येक व्यक्ति के आधार कार्ड की फोटोकॉपी संलग्न करनी होगी ! इसके बाद फिर से लाइन में खड़े होकर वह फार्म जमा करना होगा ! इसके बाद आपको कहा जाएगा शाम को इसी ऑफिस में फिर से आकर लाइन में लगकर अनुमति पत्र प्राप्त करनी होगी ! और यह अनुमति आपको आसानी से नहीं मिलती है ! इसके लिए आपको लाइन में खड़े रहकर 2 से 3 घंटे इंतजार करना पड़ता है , तब जाकर आपके हाथ अनुमति पत्र मिल पाता है !
                 यह तो हो गई सामान्य व्यक्ति की अनुमति की बात !अब बात करते हैं प्रोटोकॉल यानी सत्कार के कोटे की बात ! इसके लिए आपको किसी सरकारी विभाग के किसी अधिकारी से परिचय या रिश्तेदारी होनी चाहिए ! वह विभाग आपके नाम महाकाल मंदिर प्रशासक कार्यालय भेज देना । वहाँ से वे एक टोकन नंबर देंगे । यानी आपकी सत्कार कोटे में बुकिंग कर दी गई है , किन्तु अनुमति अभी मिली नहीं है ! और वह अनुमति प्राप्त करने के लिए   आपको वह सब कष्टप्रद प्रक्रिया से गुजरना ही पड़ेगा , जो एक सामान्य दर्शनार्थी को अनुमति के लिए गुजरना पड़ता है ! इसी प्रकार प्रेस और पंडे - पुजारी के लिए भी सत्कार कोटा है । किंतु इन सबको प्रति व्यक्ति 200 रु का जजिया कर अनिवार्य रूप से जमा करना ही होता है !
                भस्म आरती की कुल 1545 लोगों की अनुमति में से सामान्य , सत्कार , प्रेस , पंडे , पुजारियों के लिए कितनी - कितनी संख्या का कोटा निर्धारित है ? यह आज तक कभी बताया नहीं जाता है ! यह सब अत्यंत ही गोपनीय है ! इसमें पारदर्शिता बिल्कुल नहीं है ! किसी को भी मनमर्जी तरीके से कोटे का बंदरबांट हो जाता है ! पहले जब श्री आनंद शर्मा उज्जैन में एसडीएम थे और मंदिर के प्रशासक थे , और तब सब कुछ ऑफ़ लाइन था , उस समय भस्म आरती अनुमति देने की आदर्श व्यवस्था थी ! आज यही शर्मा जी उज्जैन के संभागायुक्त बनने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय में ओएसडी के रूप में भोपाल में पदस्थ हैं । इसी प्रकार की आदर्श व्यवस्था श्री नीरज वशिष्ठ जब उज्जैन में मंदिर प्रशासक थे , तब भी थी । आज श्री वशिष्ठ मुख्यमंत्री कार्यालय में उप सचिव के पद पर कार्य कर रहे हैं । उल्लेखनीय है कि उज्जैन का यह मंदिर एक ट्रष्ट के अधीन कार्य करता है । उज्जैन के कलेक्टर महाकालेश्वर मंदिर समिति के पदेन अध्यक्ष होते हैं । और आजकल के कलेक्टर यह मान कर चलते हैं कि महाकाल मंदिर में पहले जो कुछ भी व्यवस्था थी , वह सब गलत थी ! और वही हैं , जो इसे ठीक कर सकते हैं ! और वे प्रयोग पर प्रयोग शुरू कर मंदिर को प्रयोगशाला बना देते हैं ! और इसका खामियाजा देश भर से उज्जैन आने वाले हजारों श्रद्धालु रोज भुगतने के लिए अभिशप्त हैं !
                 यह खुशी की बात है कि प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं एवं उनकी पत्नी श्रीमती साधना सिंह महाकाल की भक्त हैं ! किंतु उन्हें कौन बताएगा कि महाकाल मंदिर में देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं की रोज कैसे फजियत हो रही है ? उन्हें चाहिए कि वे अपने कार्यालय में पदस्थ उक्त दोनों अधिकारियों में से किसी एक को या किसी अन्य वरिष्ठ अधिकारी को , जो उज्जैन में पदस्थ रह चुका हो , भेज कर इस कुव्यवस्था को सुधारवावें , ताकि श्रद्धालु चैन से मंदिर और भस्म आरती का दर्शन कर आत्मविभोर होकर आनंद प्राप्त कर सकें !
                                                                      --------०००------

Leave a reply