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यूक्रेन युद्ध का 11 वां दिन : अभी भी फंसे हैं एक चौथाई छात्र !


डॉ. चन्दर सोनाने

                 रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर किए हमले के 11 वें दिन 6 मार्च तक भी उस पर फतह हासिल नहीं कर पाने पर अब सीधी धमकी देते हुए कहा है कि यदि नहीं माना यूक्रेन , तो उसका नामोनिशान मिटा देंगे ! जवाब में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर     जेलेंस्की ने भी कह दिया , किसी के सामने नहीं झुकेंगे ! इस बीच यह भी खबर है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति पौलेंड भाग गए है ! इन सब खबरों का स्पष्ट मतलब है कि यूक्रेन अब और तबाही के मुहाने पर खड़ा है ! रूस अब और तेजी से आक्रमण करने की मंशा पाले हुए है !
                 आगामी दिनों में यूक्रेन में कुछ भी हो सकता है ! किंतु भारत के लोगों के लिए चिंता की बात यह है कि यूक्रेन में युद्ध के 11 वें दिन तक भी यहाँ फंसे सभी करीब 20 हजार भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकाला नहीं जा सका है ! 11 वें दिन तक करीब 15,000 छात्रों को ही निकाला जा सका है ! इन छात्रों को खतरे से निकाल भारत लाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का देशवासियों की ओर से आभार ! किन्तु अत्यंत चिंता की बात यह भी है कि अभी भी ऐसे भयावह माहौल में वहाँ करीब 5,000 छात्र फंसे हुए हैं ! यानी अभी तक केवल  तीन चौथाई छात्रों को ही निकाला जा सका है ! वहाँ एक चौथाई यानी करीब 5,000 छात्र अभी भी फंसे हुए हैं ! यह अत्यंत ही दुखदायक है ! सोचिए जरा , वहाँ फंसे छात्रों के माता - पिता और उनके परिवारों पर क्या गुजर रही होगी ? उनकी जगह खुद को खड़ा कर जरा सोचिए !
                  यह सब को पता है कि रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी को हमला क्यों किया ? अमेरिका , यूक्रेन को सिर्फ अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहा है ! और यूक्रेन के राष्ट्रपति , अमेरिका के इशारे पर कठपुतली की तरह नाच रहे है ! इस तरह का जब भी विश्व में कहीं पर भी युद्ध होता है तो वहाँ फंसे नागरिकों को निकालने का प्रयास हर देश करता ही है । यह उसका परम् कर्तव्य है भी । इसी संदर्भ में यहाँ प्रसंगवश एक उदाहरण देना जरूरी है । वर्ष 2014 में क्रीमिया में युद्ध की आशंका भर से इसी भाजपा की सरकार और इन्हीं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की तत्कालीन विदेश मंत्री स्व श्रीमती सुषमा स्वराज वहाँ फंसे सभी करीब एक हजार से अधिक भारतीय नागरिकों को रेल और हवाई मार्ग से युद्ध शुरू होने के पहले ही सुरक्षित भारत ले आई थी ! क्यों ? क्योंकि उस समय की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज दूरदर्शी , संवेदनशील और मानवीय गुणों से परिपूर्ण एक महिला मंत्री थी ! वे यह बात अच्छी तरह जानती थी कि कोई बच्चा अपने देश से सैकड़ों किलोमीटर दूर युद्ध के संकट में घिरा हो तो उसके माता - पिता और उसके परिवार पर क्या बीतती है ?
                 और इस समय के विदेश मंत्री , यूक्रेन में  भारतीय राजदूत और वहाँ पदस्थ सभी अधिकारी एवं कर्मचारी एकदम  नाकारा , संवेदनहीन , अदूरदर्शी और  अपने कर्तव्य के प्रति नितांत लापरवाह सिध्द हुए हैं ! इसलिए यूक्रेन में पदस्थ राजदूत और सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर उन्हें तुरंत वहाँ से हटा कर उच्च स्तरीय जाँच की जानी चाहिए ! उनकी जगह संवेदनशील , अपने कर्तव्यों के प्रति सजग , दूरदर्शी , मानवीय संवेदना से युक्त राजदूत और अन्य अधिकारियों तथा कर्मचारियों को पदस्थ करना चाहिए ! यूक्रेन में फंसे सभी भारतीयों को युद्ध के 11 वें दिन तक भी भारत लाने में हो रही देरी के लिए दोषी व्यक्तियों को दण्ड देने से अपने देश के प्रधानमंत्री जी की ही तारीफ होगी ! यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि  यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों द्वारा भेजे गए सारे वीडियो से और भारत आने के बाद बताई गई आपबीती से यह सपष्ट सिद्ध हो रहा है कि वे बमबारी के बीच अपनी जान जोखिम में डाल कर , माइनस डिग्री तापमान में , भूखे -  प्यासे कैसे 40 - 50 किलोमीटर पैदल चल कर यूक्रेन की सीमा के देशों तक पहुँचे , जहाँ से उन्हें भारत लाया जा सका है ! यदि यूक्रेन में भारतीय राजदूत और सभी अधिकारी - कर्मचारी समय रहते , युद्ध की आशंका के बीच , सभी खतरों को भांपकर संवेनशील होकर स्व श्रीमती सुषमा स्वराज की सोच की तरह काम करते , तो इन छात्रों को वह सब बिल्कुल भुगतना नहीं पड़ता , जो उन्होंने भुगता ! इसकी सजा उन्हें मिलनी तो चाहिए ही !
                  इस बीच युद्ध के 11 वें दिन 6 मार्च और 12 वें दिन 7 मार्च को भी रूस के राष्ट्रपति ने सीज फायर की सुविधा देकर सभी नागरिकों को यूक्रेन से बाहर जाने की मोहलत दी है ! इसका पूरा फायदा भारत ले ही रहा होगा , ऐसा हम मान कर चलते हैं ! किन्तु रूस द्वारा सीज फायर की सुविधा लगातार दो दिन देने के यह भी स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि अब आगे रूस और भीषण युद्ध लड़ने की फिराक में हैं ! इसलिए और भी तेजी से अपने सारे संपर्कों का फायदा लेते हुए भारत को यूक्रेन में बचे शेष सभी भारतीय छात्रों को भी भारत लाने के सारे प्रयास करने ही होंगे ! करने ही चाहिए ! यदि ऐसा नहीं हुआ और रूस ने अपने हमले और भी तेज और तेज कर दिए तथा उनमें और कोई भारतीय छात्र बेवजह मारा जाता है , तो यह क्षम्य नहीं होगा !!!
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