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इस गति से यूक्रेन से छात्रों को लाने में लगेंगे 35 दिन !


    डॉ. चन्दर सोनाने

                 हाल ही में रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला कर दिया । उस समय यूक्रेन में करीब 20 हजार भारतीय छात्र फंसे हुए थे । रूस के हमला करने के तीसरे दिन यानी 26 फरवरी को केंद्र सरकार के विशेष विमान से यूक्रेन में फंसे छात्रों में से पहली बार 219 छात्रों को भारत लाया गया ! हमले के चौथे दिन 27 फरवरी को भी अनेक छात्रों को भारत लाया गया ! इन दो दिनों में कुल 1137 छात्रों को ही भारत लाया जा सका है ! हमले के पाँचवें दिन 28 फरवरी को भी छात्रों को भारत लाने का प्रयास किया जा रहा है । मोदी सरकार द्वारा यूक्रेन में फंसे हुए करीब 20 हजार छात्रों को यदि इसी गति से भारत लाने की कार्रवाई की जाती रही तो सभी छात्रों को भारत लाने में करीब 35 दिन लगेंगे ! इसलिए मोदी सरकार को भारत की सभी विमान सेवाओं से बात कर उनके विमानों की सेवा लेकर सर्वोच्च प्राथमिकता तथा युद्ध स्तर पर कार्य कर अधिकतम तीन दिन के अंदर सभी छात्रों को भारत लाने की कार्रवाई की जानी चाहिए !
                 विश्व के लगभग सभी देश रूस के राष्ट्रपति पुतिन की महत्वाकांक्षा से अच्छी तरह वाकिफ थे और वे यह भी जानते थे कि पुतिन कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकते हैं । पहले भी वे ऐसा पड़ोसी अन्य देशों के साथ कर चुके हैं । इसीलिए आस्ट्रेलिया सबसे पहले 24 जनवरी यानी हमले के माह पूर्व ही यूक्रेन में रह रहे अपने सभी नागरिकों को 24 से 48 घंटों में यूक्रेन छोड़ देने की एडवाइजरी जारी कर चुका था । इसी प्रकार युद्ध की प्रबल संभावनाओं को देखते हुए 11 फरवरी को अमेरिका , ब्रिटेन , जापान , नीदरलैंड आदि जैसों ने भी स्पष्ट एडवाइजरी जारी कर अपने - अपने नागरिकों को समय रहते अपने देश बुला लिया था। किन्तु भारत के प्रधानमंत्री जी चूंकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य में व्यस्त थे , शायद इसीलिए 15 फरवरी को एडवाइजरी जारी हो सकी ! वह भी अन्य देशों की तरह स्पष्ट नहीं थी । यूक्रेन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को यह सलाह दी गई कि वे अस्थायी तौर पर यूक्रेन छोड़ने पर विचार कर सकते हैं ! 
                 भारत की एडवाइजरी आने के बाद यूक्रेन में पढ़ रहे अनेक छात्रों ने 15 से 17 फरवरी के बीच प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को ट्विटर पर टैग कर निवेदन किया कि यहाँ से भारत आने की कोई भी सीधी उड़ान नहीं है , इसलिए वे मदद करें , ताकि अपने देश सुरक्षित आ सकें ! किन्तु यूक्रेन में फँसे गरीब छात्रों की उस समय कोई सुनवाई नहीं हुई ! और जब युद्ध छिड़ गया और वहाँ पढ़ने गए छात्र - छात्रा अपनी जान बचाने के लिए बंकरों एवं भूमिगत मेट्रो स्टेशन पर जाकर शरण लेने के लिए बाध्य हो गए , तब जाकर भारत के सर्वेसर्वा जागे ! तब ऐसी स्थिति हो गई थी कि भारत यूक्रेन में सीधे अपना कोई भी विमान भेज ही  नहीं सकता था , तब उसने यूक्रेन में फंसे छात्रों को अपने साधनों से यूक्रेन  के सीमावर्ती देशों हंगरी , पोलेंड , रोमानिया , स्लोवाकिया आदि देशों की सीमा पर आने की सलाह दी ! और तब छात्र अपनी जान पर खेलकर पड़ोसी देशों की सीमाओं पर जैसे - तैसे पहुँचे ! और फिर युद्ध के तीसरे दिन 26 फरवरी को यूक्रेन में फँसे इस छात्रों की पहली खेप के रूप में 219 छात्रों को भारत लाया जा सका ! और युद्ध के चौथे दिन 27 फरवरी तक दो दिनों में कुल 1137 छात्रों को भारत लाया जा सका है ! यह उल्लेखनीय है कि यूक्रेन में फंसे 20 हजार छात्रों में से अभी तक भारत लाने वाले छात्रों का यह केवल 5.68 प्रतिशत ही है ! अभी भी 94.32 प्रतिशत छात्र यूक्रेन से आना बाकी है !
                  और अब मिल रहे समाचार अत्यंत ही डरावने हैं ! भारत की एडवाइजरी के अनुसार यूक्रेन में फंसे छात्र अपनी जान जोखिम में डालकर सीमावर्ती देशों पोलेंड और रोमानिया में जैसे - तैसे आ तो गए हैं ,  किंतु उनके साथ यूक्रेन की पुलिस और सेना द्वारा जहाँ मारपीट की जा रही है , वहीं दूसरी ओर इन दोनों देशों द्वारा अपने - अपने देशों में इन छात्रों को भीतर आने ही नहीं दे रहे हैं ! इसका मतलब यह है कि केंद्र सरकार द्वारा इन देशों की सीमा पर छात्रों को बुलवा तो लिया है , किंतु इन देशों की सरकारों से कोई ठोस बातचीत ही नहीं की गई है , जिस कारण इन छात्रों को इन देशों के अधिकारियों द्वारा अंदर आने ही नहीं दिया जा रहा है ! यदि बात की गई है तो छात्रों को सीमा पर रोका क्यों जा रहा है ? सैकड़ों छात्र भूखे - प्यासे माईनस डिग्री तापमान में जान लेने वाली ठंड में खुले आसमान के नीचे इस नए संकट का सामना करने के लिए जूझ रहे हैं ! ऐसा कदापि नहीं होना चाहिए ! पर हो यही रहा है ! इन देशों के भारतीय दूतावासों के अधिकारी कर क्या रहे हैं ? 
                  यूक्रेन में फंसे इन 20 हजार भारतीय छात्रों को भारत लाने के प्रति मोदी सरकार कितनी गंभीर है , यह इससे पता चलता है कि यूक्रेन पर हुए हमले के चौथे दिन अपने देश के प्रधानमंत्री जी दिल्ली में इस संबंध में उच्च स्तरीय बैठक ले रहे हैं ! अब प्रधानमंत्री जी को चाहिए कि तुरंत ही वे स्वयं यूक्रेन के साथ ही सीमावर्ती देशों के प्रधानमंत्री हो या राष्ट्रपति , उनसे सीधे बातचीत कर वहाँ फंसे भारतीय छात्रों को भारत लाने के सभी संभव प्रयास युद्ध स्तर पर करने की कृपा इन परिवारों पर करें । अपने देश की ही नहीं अन्य देशों की भी विमान सेवाओं का उपयोग कर इन असहाय और बेबस छात्रों को भारत लाने की पुरजोर और  ठोस कोशिश करनी चाहिए ! और लक्ष्य यह तय होना चाहिए कि जैसे भी हो तीन दिन के भीतर सभी भारतीय छात्र अपने देश तथा अपने -  अपने घर सुरक्षित पहुँच जावें ! यह उनका इन गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर अहसान होगा ! 
                 यहाँ यह शोध का विषय हो सकता है कि भारत के 20 हजार छात्र यूक्रेन जैसे एक छोटे देश में ही  पढ़ने और वह भी मेडिकल की पढ़ाई करने क्यों गए ? अभी तक जानकारी के अनुसार भारत की तुलना में इस देश में मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई करीब एक चौथाई राशि में ही हो सकती है ! इसीलिए भारत के गरीब और मध्यमवर्गीय किन्तु प्रतिभाशाली विद्यार्थी , अपने गाँवों , कस्बों और छोटे शहरों के ये छात्र , अपने देश की अत्यंत ही महंगी मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई का खर्चा उठा नहीं पाते हैं और  इसीलिए वे यूक्रेन जैसे छोटे किन्तु सस्ती और कम खर्च वाली मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जैसे देश में पढ़ने के लिए अभिशप्त हैं ! यह सब सोचने और शोध का विषय नहीं हो सकता है ?
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