शिप्रा-खान नदी शुद्धिकरण : समस्या की जड़ को ही खत्म करें मुख्यमंत्री जी !
डॉ. चन्दर सोनाने
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में भोपाल में उनसे मिलने आए उज्जैन के साधु- संतों को आश्वष्ट किया कि शिप्रा नदी में खान नदी का प्रदूषित पानी नहीं मिले , इसके लिए ठोस कार्रवाई की जाएगी । संतों ने मांग की कि खान नदी का प्रदूषित पानी शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए खान नदी को ओपन नहर से डाइवर्ट कर दिया जाए ! इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र एक तकनीकी विशेषज्ञों की टीम उज्जैन का दौरा करेंगी और इस बात की पड़ताल करेगी ! उन्होंने यह भी कहा कि अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जाएगा ! संतों के प्रतिनिधि मंडल के साथ उज्जैन के विधायक और प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव भी थे ।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को चाहिए कि वे इस समस्या का तत्कालीन नहीं , बल्कि स्थायी समाधान करें ! पहले भी उनके ही मुख्यमंत्री के कार्यकाल में 2016 के सिहस्थ के दौरान 90 करोड़ रु की खान डायवर्शन योजना बनाई गई थी ! वह योजना पूरी तरह असफल सिद्ध हो चुकी है ! और इसीलिए शिप्रा नदी में बेरोकटोक खान नदी का दूषित पानी सबके सामने मिल रहा है ! और कोई कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं ! पिछले दिनों मुख्यमंत्री के ही निर्देश पर उज्जैन दौरे पर आए जल संसाधन मंत्री श्री तुलसी सिलावट और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव , सांसद श्री अनिल फिरोजिया और पूर्व मंत्री श्री पारस जैन ने प्रेस से चर्चा करते हुए यह माना था कि खान डायवर्शन योजना फेल हो गई है ! तो फिर से समस्या की जड़ तक जाने का कोई प्रयास नहीं कर रहा है !
समस्या की जड़ है , खान नदी का गंदा और प्रदूषित पानी ! और यही दूषित पानी उज्जैन में त्रिवेणी पर शिप्रा में मिलकर उसे भी प्रदूषित कर रहा है ! यह आज ही हो रहा है , ऐसा भी नहीं है ! पिछले अनेक दशकों से यह हो रहा है ! और इसका हमेशा ही अस्थायी उपाय किये जाते रहे हैं ! हमेशा त्रिवेणी पर खान नदी का गंदा पानी शिप्रा में नहीं मिले , इसके लिए वर्षों से मिट्टी का कच्चा बांध बना दिया जाता है ! पहले खान नदी में दूषित पानी कम रहता था तो यह कच्चा बांध खान नदी का गंदा पानी शिप्रा में मिलने से रोक देता था और विभिन्न पर्व और त्यौहार पर श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान कर लेते थे ! किंतु अब इंदौर और देवास में जैसे - जैसे कल कारखाने बढ़ते गए , उनका प्रदूषित पानी बिना शुद्ध किये सीधे खान नदी में बिना रोक टोक मिलता रहा है और गंदा और प्रदूषित पानी बढ़ता गया ! और जैसे - जैसे आबादी बढ़ती गई खान नदी के किनारे के गाँव और कस्बों का गंदा पानी भी सीधा खान नदी में मिलता रहा ! खान नदी और ज्यादा गंदी और प्रदूषित होती गई ! और अब कच्चा बांध और खान डायवर्शन योजना सब फेल हो गई ! आगे भी ऐसा ही होता रहेगा , यदि स्थायी समाधान नहीं खोजा गया !
पतित पावन शिप्रा नदी के दूषित होने के कई कारण हैं । उज्जैन के गंदे नालों का पानी सबके सामने शिप्रा में मिलता हुआ अनेक स्थानों पर देखा जा सकता है ! इसे रोकना बहुत जरूरी है ! और इसके लिए भी अस्थायी नहीं बल्कि स्थायी उपाय ही किये जाने की जरूरत है ! इसके अलावा सबसे बड़ा कारण खान नदी का अत्यंत प्रदशित पानी है जो सीधा उज्जैन में त्रिवेणी पर शिप्रा में मिलता है ! खान नदी पर कच्चा बांध बनाना बेकार है ! इस पर तुरन्त ही रोक लगा देनी चाहिए ! खान नदी को ओपन नहर से डाइवर्ट करना भी स्थायी उपाय नहीं है ! स्थायी समाधान है खान नदी को दूषित ही नहीं होने देना ! यदि खान नदी का पानी ही साफ रहेगा तो वह त्रिवेणी में भी मिलना ही चाहिए ! त्रिवेणी संगम का अर्थ है खान नदी , शिप्रा नदी और विलुप्त हो गई सरस्वती नदी का संगम स्थल ! तभी तो यह स्थल सैकड़ों सालों से त्रिवेणी संगम स्थल कहलाता है ! और इसी लिए विशेष पर्वों पर शिप्रा में नहीं , बल्कि त्रिवेणी संगम स्थल पर स्नान का पुराणों में उल्लेख मिलता है ! और आज इसी पवित्र त्रिवेणी संगम स्थल को खान नदी के प्रदूषित पानी ने अत्यंत ही अपवित्र कर दिया है !
तो क्या किया जाए ? खान नदी का उद्गम स्थल इंदौर में रालामंडल के पास है । यहाँ से यह एक नाले के रूप में इंदौर जाती है और इंदौर शहर के 6 बड़े नालों के अतिरिक्त अनेक नालियों का भी गंदा पानी अलग - अलग जगहों पर इसमें सीधे जा मिलता है ! इसके अतिरिक्त इंदौर और देवास जिले के अनेक कल कारखानों का दूषित पानी बिना उपचार किये सीधे खान नदी में मिलकर उसे अत्यंत ही दूषित कर देता हैं ! गूगल में खान नदी की कुल लंबाई केवल 21 किलोमीटर की ही बताई गई है ! इंदौर से निकलकर खान नदी त्रिवेणी संगम पर शिप्रा में मिलती है । प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की भी दिली इच्छा है कि शिप्रा सदा नीरा रहे । तो मुख्यमंत्री जी को चाहिए कि वे शिप्रा और खान नदी के शुद्धिकरण के लिए स्थायी समाधान के लिए यह करें कि शिप्रा और खान नदी में एक भी गंदा नाला मिलने नहीं पाए ! इसके साथ ही इंदौर और देवास जिले के एक भी कल कारखाने का पानी भी खान नदी में नहीं मिलने पाए ! और इसके लिए मेहरबानी करके किसी भी विभाग को सीधे इसकी जिम्मेदारी नहीं देंवें ! इसकी जिम्मेदारी दें , जल पुरुष के रूप में देश और विदेश में अपने काम से ख्याति अर्जित कर चुके श्री राजेन्द्र सिंह जी को ! मुख्यमंत्री उन्हें सादर आमंत्रित करें और इस काम को करने की पूरी योजना बनाने तथा उसके क्रियान्वयन के लिए नेतृत्व करने के समस्त अधिकार भी उन्हें दिए जावें ! राजेन्द्र सिंह जी ने अपने ही देश में एक सौ से भी अधिक नदियों का न केवल शुद्धिकरण किया है , बल्कि अनेक नदियों को पुनर्जीवित भी कर दिखाया है ! ऐसे जल पुरुष को इन दोनों नदियों के शुद्धिकरण की जिम्मेदारी यदि दी जाती है तो निश्चित रूप से यह देश और प्रदेश के धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए एक बहुत बड़ी सौगात होगी ! और 6 साल बाद 2028 में उज्जैन में सिहस्थ का भी तो आयोजन होना है ! तो सिहस्थ 2028 की योजना में शिप्रा - खान नदी के शुद्धिकरण का काम सबसे पहले शुरू किया जाना भविष्य के लिए भी अत्यंत ही उपयोगी सिद्ध हो सकेगा !
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