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73 वां गणतंत्र : दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठने की नहीं मिली आजादी !


               डॉ. चन्दर सोनाने

                  देश को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं ! हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं ! इसी प्रकार देश ने हाल ही में अपना 73 वां गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया ! किन्तु सही में हमारे देश के सभी लोग आजाद हो गए हैं ? वे इस गणतंत्र में अपने मन से , रीति - रिवाज से अपने घर में शादी - ब्याह की सभी परंपरा निभा सकने के लिए आज स्वतंत्र हैं ?
                  आज ये सब सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि देश के दलित , पीड़ित और शोषित आज भी आजादी के साथ जी नहीं सकते ! इस संबंध में देश के तीन राज्यों के कुछ उदाहरण आपके सामने प्रस्तुत है ! शुरुआत करते हैं मध्यप्रदेश से ! इस प्रदेश के सागर जिले की बण्डा तहसील का ग्राम गनियारी ! पिछले दिनों यहाँ के एक दलित युवक दिलीप अहिरवार ने अपनी शादी पर घोड़ी पर निकलने की तैयारी की ! गाँव के ही दबंग ठाकुरों को यह नागवार गुजरा ! उन्होंने ऐसा नहीं करने की दलित परिवार को चेतावनी दे दी ! दलित परिवार ने इसकी शिकायत कर दी ! पुलिस बल आ गया । वर निकासी की रस्म राछ में  दलित दूल्हा घोड़ी पर पुलिस पहरे में निकला ! पुलिस चली गई ! बस दबंगों को इसका ही था इंतजार ! उन्होंने शादी वाले घर में घुसकर महिलाओं के साथ मारपीट की और घर के सामानों की जमकर तोड़फोड़ कर दी ! घर के बाहर के सभी वाहनों में भी तोड़फोड़ की और घोड़ी पर निकलने की सजा देकर विजयी मुद्रा में आराम के साथ चले गए ! पुलिस को फिर शिकायत की गई ! पुलिस 6 लोगों को गिरफ्तार कर ले गई ! इसी प्रदेश का एक और उदाहरण ! नीमच जिले के एक गाँव में भी दलित दूल्हे को घोड़ी पर नहीं बैठने की चेतावनी दी गई ! पुलिस को जब शिकायत की गई तब पुलिस के पहरे में ही बारात निकल सकी ! इसी प्रकार राजस्थान के बूंदी में भी दलित दूल्हे को पुलिस की सुरक्षा में ही घोड़ी पर बैठकर निकलना संभव हो सका ! यह सब एक आजाद देश ! और विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र में हो रहा है ! आश्चर्य हो रहा है ना आपको ? पर यह सब सत्य घटनाएँ हैं !
                 अब बात करते हैं उत्तर प्रदेश की ! इस राज्य में करीब दो महीने पहले ही इलाहाबाद अब प्रयागराज जिले के गाँव मोहनगंज में 25 नवम्बर को एक दलित परिवार फूलचंद और उसके बाकी तीनों सदस्यों पत्नी , पुत्री और पुत्र की गांव के ही दबंग ठाकुरों ने निर्मम हत्या कर दी ! जांच में पुत्री के साथ बलात्कार होना भी पाया गया और उसके स्तन काट दिए गए ! मूक बधिर पुत्र का लिंग काट दिया गया ! इन सबका कुसूर सिर्फ इतना था कि जब इनके खेत में  दबंगों के मवेशी घुस गए और उनकी फसल चौपट कर दी गई तो इसकी शिकायत उन्होंने ठुकरा के घर पर जाकर कर दी ! बस यही काम उन्हें नहीं करना था !  पहले की तरह वे चुप नहीं रहे तो दबंगों ने पहले तो पीड़ित के घर में जाकर मारपीट की और एक का सर फोड़ दिया ! पीड़ितों ने इसकी थाने में शिकायत की तो रिपोर्ट ही नहीं लिखी गई ! जब दबंगों को इसकी खबर  लगी कि ये थाने गए थे , तो उन्होंने पूरे परिवार को ही उक्त सजा दे दी , जिसे देख और सुन कर दूसरे सबक ले सके ! यह खबर भी दूसरी ऐसी ही खबर की तरह दबा दी गई होती , यदि एक पत्रकार श्री असद रहमान ने अपने अखबार इंडियन एक्सप्रेस में इस निर्मम हत्या कांड को प्रमुखता से छापा नहीं होता ! इसके बाद तो सभी राजनैतिक दलों के लोग गाँव में पहुँचने लगे और अपनी - अपनी रोटियाँ सेंकने लगे ! आज भी पीड़ित परिवार के रिश्तेदार भय के साये में जी रहे है । और पुलिस दबंगों के साथ खड़ी होकर उन्हें बचाने में लगी है ! दिखावे के तौर पर पुलिस ने नामजद लोगों की तुलना में आधे लोगों को ही गिरफ्तार किया और दो पुलिस कर्मियों को निलंबित किया है ! 
                  उक्त सभी घटनाएँ कुछ दिन या दो महीने पुरानी ही है ! इसी प्रकार की घटनाएँ आए दिन हमारे आस - पास के गावों में आज भी हो रही है !  इक्कीसवीं सदी में भी हमारे देश के कुछ लोगों की मानसिकता आदिम जमाने की है ! इसे क्या कहेंगे ? ऐसे लोगों को कानून का भी कोई डर नहीं हैं । क्योंकि उन्हें पता है , चुनावों में सभी राजनैतिक दलों को दबंगों की जरूरत पड़ती है ! और वे ही दल उन्हें बचा लेंगे ! इसी विश्वास के साथ वे कानून से अपने आप को ऊपर समझते हैं ! और कानून से आये दिन इसी प्रकार का खिलवाड़ करते रहते हैं ! 
                 महात्मा गांधी जी ने देश की आजादी के समय ही एक अच्छे शासन और प्रशासन के लिए मंत्र दिया था । वह मंत्र था " देश के लिए किए गए हर काम की कसौटी यह होनी चाहिए कि उसके द्वारा देश के सबसे गरीब और पिछड़े आदमी की आंखों के आँसू पोंछे जा सकते हैं या नहीं ? " गांधी जी का यह मानना था कि जब ऐसा दिन आएगा , तभी यह माना जाएगा कि हमारा राष्ट्र , सुखी राष्ट्र हो गया है । और दुर्भाग्य की बात यह है कि आज भी , अभी भी वह समय नहीं आया है , जैसा गाँधी जी ने सोचा था ! जिसकी कल्पना उन्होंने की थी !
                 तो क्या देश के दलितों के साथ , विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले दलितों , पिछड़ों , शोषितों  के साथ आगे भी ऐसा ही होता रहेगा ? यह एक अत्यंत ही गंभीर प्रश्न है ! और इसका उत्तर भी आसान नहीं है ! सबसे पहले तो सबको यह समझने की जरूरत है कि यह एक सामाजिक समस्या है ! संविधान में भी अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को आर्थिक कारणों से नहीं बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण से पिछड़े होने के कारण ही  आरक्षण की सुविधा दी गई है !  इसलिए केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकार इन्हें शतप्रतिशत शिक्षित करने की दिशा में विशेष ध्यान देंगे तो निश्चित रूप से आज जैसा शोषण इनका हो रहा है , वैसा नहीं हो पाएगा ! और सभी राजनैतिक दलों को भी कम से कम एक इस बात के लिए एकमत होना चाहिए कि वे दलितों , पिछड़ों , शोषितों और महिलाओं के विरुद्ध किये गए किसी भी प्रकार के अत्याचारों के विरुद्ध बिना किसी राजनैतिक भेदभाव के एकजुट होकर मुखर विरोध करेंगे और दोषियों की किसी भी प्रकार मदद नहीं करेंगे , तो गांधीजी का सपना भी साकार हो सकेगा और दलित भी आत्मसम्मानपूर्वक अपना जीवन जी सकेंगे !!!
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