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गरीबों को मोदी सरकार का नया तोहफा : रेलवे खत्म करेगा जनरल कोच !


   डॉ. चन्दर सोनाने

                  वर्ल्ड इनइक्वेलिटी लैब द्वारा हाल ही में जारी विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 में एक बार फिर भारत की सामाजिक - आर्थिक विकास की नीतियों को आईना दिखाया है ! इस रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया के सबसे असमानता वाले देशों में शुमार है ! अमेरिका और चीन के बाद सबसे अधिक अरबपतियों की संख्या भी यहीं हैं ! और दूसरी ओर गरीब लोगों की संख्या की भी भारत में कमी नहीं है !
                  इसी प्रकार नीति आयोग ने अपना पहला राष्ट्रीय बहु आयामी गरीबी सूचकांक भी पिछले दिनों ही जारी किया है । इसमें  बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है । इस राज्य की 51.91 प्रतिशत आबादी गरीब है । इसके बाद झारखंड में 42.16 प्रतिशत , उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत और मध्यप्रदेश में 36.65 प्रतिशत आबादी गरीब है ! यह सर्वज्ञात सत्य है कि मुम्बई और दिल्ली में उक्त चारों राज्य के ही सबसे ज्यादा गरीब परिवार मेहनत -  मजदूरी करने जाते हैं ! गरीबों के इस देश में गरीबों के लिए सबसे सस्ता सफर अभी भी रेल ही है । गरीब लोग रेलवे के साधारण डब्बों यानी जनरल कोच में ही सफर करते हैं ! और अब मोदी सरकार के रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले दिनों यह तय किया है कि लंबी दूरी के रेल के जनरल कोचों को खत्म कर दिया जाएगा ! अब इन्हीं जनरल कोचों को इकोनामी एसी कोच में बदलेंगे ! और  गरीब लोग आगे से इन्हीं एसी कोच में आरक्षण करवा कर ही सफर कर सकेंगे ! मोदी सरकार नए साल में  गरीबों को कितना शानदार तोहफा देने जा रही है ! 
                 देश की आजादी के बाद से अभी तक भी गरीबों के लिए रेल ही एक मात्र सबसे सस्ता सफर पड़ता है । आजादी के बाद से अभी तक रेल सेवाओं का ऐतिहासिक और उल्लेखनीय विकास हुआ है । शुरू से आज तक नित नए मार्गों पर रेल सेवाएँ शुरू हो रही है । और उन नई  रेल सेवाओं में धीरे - धीरे साधारण डब्बे कम और कम होते चले गए ! और स्लीपर कोच के साथ एसी कोच की संख्या भी बढ़ती और बढ़ती गई ! हालात यह हो गई है कि रेल विभाग द्वारा यह गर्व से कहा जाने लगा है कि देखों ! यह नई रेल सेवा हमने शुरू की है ,  वह पूरी की पूरी वातानुकूलित है ! उसमें एक भी ना तो स्लीपर कोच है और ना ही एक भी साधारण कोच है ! क्या यह गर्व का विषय है ! यानी आप धीरे - धीरे सुनियोजित तरीके से गरीबों से उनकी सबसे सस्ती यात्रा की सुविधा छीन रहे हैं ! और शर्म की जगह गर्व महसूस कर रहे हैं ! 
                   याद कीजिये कभी आपने यह सुना या पढ़ा कि फलां रेल में साधारण डब्बे बढ़ाये गए ? हाँ , यह जरूर सुनने और पढ़ने में आता है कि फलां रेल में स्लीपर के या एसी के इतने कोच बढ़ाये गये ! आज का ही एक ताजा समाचार है ! उसमें लिखा है , नए साल में मिलेगी सुविधा । इंदौर - गांधीनगर सहित 16 ट्रेन में स्लीपर और एसी के कोच बढ़ाए गए । इस पूरे समाचार में 16 ट्रेनों में से एक भी ट्रेन में एक भी जनरल कोच नहीं बढ़ाया गया ! इसे आप क्या कहेंगे ? रेल में स्लीपर और एसी भी जरूरी है । यह भी जरूर बढ़ाइए । किन्तु गरीबों का तो हक मत मारिए ! उनका भी तो ध्यान रखना ही चाहिए । क्यों नहीं गरीबों के लिए किसी भी रेल में साधारण डब्बे बढ़ाये जाते हैं ? क्यों नहीं ? क्योंकि गरीबों की पैरवी करने वाला कोई नहीं है ! हाँ , गरीबों के नाम से वोट कबाड़ कर राज्यों की विधानसभा में और दिल्ली की लोकसभा में लोग जनप्रतिनिधि बन कर चले तो जाते हैं , किंतु जल्दी ही उन्हें भूल भी जाते हैं ! 
                  हाल ही में मध्यप्रदेश के भोपाल में हबीबगंज रेलवे स्टेशन को देश का पहला विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन बनाया गया है । इसका नाम अब रानी कमलापति स्टेशन कर दिया गया है । इस स्टेशन को जर्मनी के हाइडेलबर्ग रेलवे स्टेशन की तर्ज पर बनाया गया है । इस पर 450 करोड़ रु खर्च किये गए हैं ! यह भी कीजिए , किन्तु गरीबों का भी तो ध्यान रखें ! उनके लिए भी तो सुविधा मुहैया कराइए ! आप हम सब ने यह सब देखा है कि किस तरह विशेष रूप से पर्वों के दौरान रेल में साधारण डब्बों में भेड़ बकरियों की तरह ठूँस -  ठूँस कर गरीब सफर करने के लिए वर्षों नहीं दशकों से अभिशप्त हैं ! इन गरीबों की सुविधाओं का ध्यान कौन रखेगा ? यह देश एक प्रजातान्त्रिक देश हैं । विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश इसे कहते नहीं अघाते हैं हम ! किन्तु इन्हीं जन और लोक का ध्यान कब रखा जाएगा ? कब ? 
                  आजकल फैशन सा हो गया है कि हमारे राज्य में भी मेट्रो रेल की सुविधा हो । मध्यप्रदेश के भोपाल और इंदौर के ही उदाहरण देख लें । इन दोनों शहरों में पिछले कुछ सालों से मेट्रो रेल का निर्माण हो रहा है । जहाँ - जहाँ भी यह मेट्रो रेल बन रही है , उन जगह और रास्तों के हाल भी देख लें ! वहाँ सड़क नाम की कोई चीज कहीं भी दिखती थी नहीं है ! सड़कों की हालत बेहद खराब हो चुकी है ! उन रास्तों से पैदल हो या दो पहिया या चार पहिया वाहन , उनका निकलना ही रोज दूभर हो रहा है ! किन्तु कोई भी यह सब देखने वाला ही नहीं है ! मेट्रो के नाम पर यह कैसा धोखा ? क्या मेट्रो के निर्माण के पहले आमजन के लिए सड़क नहीं बनाई जा सकती थी ? आमजन के साथ रोज कैसा यह छलावा हो रहा है ? 
                  प्रधानमंत्री जी , अपने रेल मंत्री जी को रोकिए ! यह सब करने के लिए ! देश के गरीबों को आप और कोई सुविधा नहीं दे सकते तो मत दीजिये ! कम से कम जो सबसे सस्ती यात्रा सुविधा उन्हें अभी रेल में मिल रही है , वह तो कम से कम उनसे छीनिये मत ! मत छीनिये उनसे ! ! !
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