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378 दिन में चला , प्रधानमंत्री जी का एक कदम !


   डॉ. चन्दर सोनाने

                  गत वर्ष 26 नवम्बर 2020 से दिल्ली सिंधु बॉर्डर पर चल रहे किसानों का शांतिपूर्ण धरना आंदोलन आखिरकार 378 दिन बाद गत गुरुवार 9 दिसंबर 2021 को समाप्त हो गया । और किसान जीत गए ! लोकतंत्र जीत गया ! एक बार फिर से किसानों ने अपने शांतिपूर्वक सफल धरना प्रदर्शन आंदोलन से यह सिध्द कर दिया कि गांधी जी द्वारा बताया गया मार्ग आज भी सामयिक और प्रासंगिक है । इस आंदोलन के अधबीच में एक बार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था मेरे और आंदोलन की समाप्ति के बीच केवल एक कदम की दूरी है ! प्रधानमंत्री जी का यह एक कदम 378 दिन में चल पाया ! 
                  जब आंदोलन समाप्ति के कोई आसार दिख नहीं रहे थे , तब अचानक एक दिन गुरुनानक देव की जयंती पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने यह कह कर सबको चौंका दिया कि नए तीनों कृषि कानून वापस लिए जाते हैं ! वे हमेशा देश की अवाम को चौंकाते रहे हैं ! इस बार फिर उन्होंने आंदोलनरत किसानों सहित पूरे देश को चौंका दिया ! इस के साथ ही उन्होंने आंदोलन कर रहे किसानों से अपना आंदोलन समाप्त कर अपने - अपने घर लौट जाने की भी अपील की ! किन्तु किसान नहीं मानें ! उन्होंने जहाँ से कानून बना वहीं से यानी  संसद से ही बने तीनों कृषि कानूनों को खत्म होने के बाद ही अपना आंदोलन समाप्त कर धरना स्थल से जाने का दृढ़ संकल्प लिया ! यही नहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी पुरानी अन्य मांगों को भी मानने के बाद ही आंदोलन खत्म करने की भी बात कही ! 
                  यहीं एक बात महत्वपूर्ण हो गई ! इस पर बहुत कम लोगों ने ध्यान दिया । सामान्यतः होता यह कि जब कोई संगठन आंदोलन करता है , तब कोई मंत्री या मुख्यमंत्री यह कल दें कि हम आपकी मांगें मानते हैं ।  आप अपना यह आंदोलन समाप्त कर दें , तो सामान्यतः यही होता है कि वह आंदोलन समाप्त कर दिया जाता है । किंतु यहाँ देश का प्रधानमंत्री टीवी पर सार्वजनिक रूप से घोषणा कर रहा है कि किसानों की  तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग  हम मानते हैं । आप अपना आंदोलन खत्म कर दें , तो वह आंदोलन समाप्त कर ही दिया जाता है ! किंतु यहाँ ऐसा कुछ नहीं हुआ ! आन्दोलित किसानों के संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री जी की बात मानने से स्पष्ट इंकार कर दिया ! मोर्चा ने प्रधानमंत्री जी की बजाय संसद पर ज्यादा विश्वास किया ! इसे क्या कहा जायेगा ? इस संबंध में अलग - अलग नजरिये हो सकते हैं ! किंतु सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है कि आन्दोरत किसानों का अपने ही देश के प्रधानमंत्री के प्रति इतना अविश्वास ! उनकी बात का कोई भरोसा नहीं ! यह कोई छोटी बात नहीं है ! यह बात एक बार फिर से सिद्ध कर रही है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आम लोगों का विश्वास खोते जा रहे हैं ! आम आदमी हो या आंदोलनरत किसान उनका प्रधानमंत्री के प्रति आस्था और विश्वास अब पहले की तरह नहीं रहा है ! पहली और दूसरी बार लोक सभा का चुनाव जीतने के बाद धीरे - धीरे उनके प्रति लोगों का प्रेम और विश्वास कम और कम होता जा रहा है !
                 शायद यही वजह तो नहीं है , जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अच्छी तरह समझ चुके हैं ! पहले महाराष्ट्र के चुनाव और फिर बंगाल के चुनाव परिणाम ने स्पष्ट रूप से बता दिया है कि मोदी जी का तिलस्म अब टूट रहा है ! और अब अगले साल देश में पाँच राज्यों के चुनाव सामने हैं ! इसमें भी पंजाब ,उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे महत्वपूर्ण राज्य शामिल हैं ! और मोदी जी बेहद चतुर राजनीतिज्ञ है ! वे दूरदर्शी हैं ! उन्हें यह अच्छी तरह पता रहता है कि कब और कहाँ क्या बोलना है तथा क्या निर्णय लेना राजनैतिक रूप से फायदेमंद रहता है एवं क्या नुकसान हो सकता है ! और फिर उन्होंने गुरुनानक देव की जयंती जैसे पंजाबी किसानों के पावन पर्व पर तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा कर दी ! यही नहीं फिर उन्होंने यह देख लिया कि मेरी बात से किसान मान नहीं रहे हैं तो संसद के दोनों सदनों में एक ही दिन बगैर चर्चा के तीनों कानूनों की वापसी का कानून भी पारित कर लिया ! 
                  प्रधानमंत्री जी के इतना कुछ करने के बाद भी आंदोलनरत किसान नहीं मानें तो उन्होंने किसानों की अन्य सभी मांगें भी मान ली , जिसे वे अभी तक नहीं मान रहे थे ! किसानों की प्रमुख मांगें जो मान ली गई , उनमें एमएसपी की गारंटी के लिए बनी समिति में किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी शामिल कर तीन महीने में समिति अपनी रिपोर्ट देगी । आंदोलन के दौरान किसानों के विरुद्ध सभी प्रकरण वापस लिए जाएंगे । आन्दोलन के दौरान 700 किसानों की मौत पर उनके परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा । पराली जलाने पर किसानों पर कानूनी सख्ती से उन्हें मुक्ति मिल सकेगी । और फिर जाकर एक साल से ज्यादा समय से चल रहे किसानों के संयुक्त किसान मोर्चा ने अपना आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की ! और इस प्रकार इस आंदोलन का नाम देश के शांतिपूर्ण आन्दोलन के इतिहास में दर्ज हो गया ! और इस प्रकार किसानों की जीत हुई और जीत हुई प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शी राजनैतिक कौशल की !!!
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