छठ पर्व : आज होगा खरना, ये है पूजा विधि
सूर्य की उपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ नहाय खाय से शुरू हो गया। गुरुवार को खरना है। व्रतधारी 21 नवंबर को सूर्य को अर्घ्य देंगे। कहा जाता है कि छठी माता सूर्य देवता की बहन हैं। छठ पर्व में सूर्य की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं। यह पूजन परिवार में सुख, शांति तथा संतान के सुखी जीवन के लिए किया जाता है। छठ पर्व कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि 20 नवंबर को सर्वार्थसिद्धि योग में मनाया जाएगा। कार्तिक माह की शुक्लपक्ष पंचमी यानी खरना वाले दिन को महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को भोजन करती हैं। शाम को गुड़ की खीर बनाकर खाई जाती है। इस दिन सूर्योदय 6:30 बजे और सूर्यास्त 5:20 बजे होगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे ने बताया कि मुख्य दिन षष्टी का दिन कहलाता है। जो 20 नवंबर को सर्वार्थसिद्धि योग में मनाया जाएगा। इस दिन छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है, जिसमें चावल के लड्डू व फल बांस की टोकरी में रखे जाते हैं और टोकरी की पूजा की जाती है। व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्य को जल अर्पित करती है व पूजा के लिए तालाब या नदी में स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा करती हैं। कोरोना को ध्यान में रखते हुए महिलाएं चाहें तो बाल्टी में पानी रखकर उसके पास बैठ कर सूर्य की पूजा कर सकती हैं। इस दिन सूर्योदय 6.28 बजे पर होगा और सूर्यास्त 5.20 बजे होगा। छठ पूजा के लिए षष्ठी तिथि का प्रारम्भ 19 नवंबर को रात 2:15 बजे से हो रहा है, जो 20 नवंबर को रात 1:36 बजे तक है।
शनिवार की उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। उसके पश्चात प्रसाद वितरण कर छठ पूजा संपन्न की जाती है। इस दिन शकरकंद, लौकी एवं गन्ने खरीदे जाते हैं। इस दिन सूर्योदय सुबह 6.29 बजे तथा सूर्योस्त शाम को 5.21 बजे होगा
क्या है खरना: छठ पूजा का व्रत रखने वाले व्यक्ति को खरना के पूरे दिन व्रत रखना पड़ता है। उसके बाद रात को खीर खाया जाता है फिर सूर्योदय में अर्घ्य देकर पारण करने तक कुछ नहीं खाया जाता और न ही जल ग्रहण किया जाता है। खरना एक प्रकार से शारीरिक और मानसिक शुद्धि की प्रक्रिया है। इसमें रात में भोजन करने के बाद अगले 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है।
खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाते हैं। इसमें गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है, साथ ही पूड़ियां, खजूर, ठेकुआ आदि बनाया जाता है। पूजा के लिए मौसमी फल और कुछ सब्जियों का भी उपयोग किया जाता है। व्रत रखने वाला व्यक्ति इस प्रसाद को छठी मैया को अर्पित करता है। खरना के दिन प्रसाद ग्रहण कर वह व्रत प्रारंभ करता है। छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि चूल्हे में आग के लिए केवल आम की लकड़ियों का ही प्रयोग हो। खरना के बाद अगले दिन संध्या का अर्घ्य तथा उसके अगले दिन सूर्योदय का अर्घ्य महत्वपूर्ण होता है।