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भाईयों की खुशहाली के लिए बहनें भाई दूज पर करें ये उपाय


भाई दूज (Bhai Dooj) पर बहनें अपने भाइयों को तिलक करती हैं. तिलक करने के साथ ही वे भाई की सुख व समृद्धि की प्रार्थना करती हैं. भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार दिवाली (Diwali) के दो दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन भाई और बहन के चेहरे की रौनक और हर्षोल्लास देखते ही बनता है. हर बहन अपने भाई के टीका करती है और उसके जीवन को सुखी बनाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है.

यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हर साल प्रेमपूर्वक मनाया जाता है. जिस प्रकार रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं, उसी प्रकार से भाई दूज के दिन वे अपने भाई के टीका करती हैं.

भाई दूज की तिथि व शुभ मुहूर्त
तिथि- सोमवार, 16 नवंबर, 2020
तिलक करने का शुभ मुहूर्त- दोपहर 1:10 बजे से 3:30 बजे तक

भाई दूज पर कैसे करें तिलक
हर त्योहार की तरह भाई दूज पर भी बहनें पारंपरिक अंदाज व रीति-रिवाज के साथ भाइयों के तिलक करती हैं. जानिए बहनें कैसे करें अपने भाइयों का तिलक-

1. भाई दूज पर सबसे पहले आटा से चौक बनाएं. इस चौक पर भाई को पूर्व की ओर मुंह करके बिठाएं. फिर उनके हाथों पर चावल का घोल लगाएं.
2. उसके ऊपर रोली लगाकर, फूल, पान, सुपारी तथा मुद्रा रखकर धीरे-धीरे हाथों पर पानी अर्पित करते हुए कहें- गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा-यमुना नीर बहे, मेरे भाई की आयु बढ़े. ऐसा कहते हुए भाई के मस्तक पर तिलक लगाएं.
3. तिलक लगाने के बाद भाई के हाथ में कलावा बांधें. इसके बाद दीपक जलाकर भाई की आरती करें.
4. साथ ही सूखा नारियल और मिश्री हाथ में देकर भाई को मिठाई खिलाएं.

भाई की दीर्घायु के लिए बहनें करें यह उपाय
हर बहन चाहती है कि उसका भाई सुखी रहे और उसकी दीर्घायु हो. इसकी कामना के लिए भाई दूज के दिन बहन एक उपाय करेगी तो यह उसके भाई के लिए शुभ फल देने वाला होगा. इसके लिए सबसे पहले बहन भाई की दीर्घायु की प्रार्थना करे. इसके बाद यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जलाकर घर की दहलीज के बाहर रख दे.

यह उपाय करने से आपके प्यारे भाई के जीवन में व्याप्त सभी कठिनाइयां दूर हो जाएंगी और उसका जीवन सुख व शांति से भरपूर हो जाएगा.

भाई दूज से संबंधित पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भाई दूज की कथा सूर्य देव और छाया के पुत्र यमराज और पुत्री यमुना पर आधारित है. यमुना अपने भाई यमराज से बहुत बार प्रेमपूर्वक निवेदन करती थी कि वह उसके घर आकर भोजन ग्रहण करें. परंतु यमराज अपनी व्यस्तता के चलते यमुना के घर नहीं जा पाते थे. एक दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना ने अपने द्वार पर यमराज भाई को खड़ा देखा. भाई को देखकर वह बहुत प्रसन्न हुई. भाई के स्वागत-सत्कार में उसने कोई कमी न छोड़ी.

इस प्रकार यमुना के प्रेम, समर्पण और सत्कार से प्रसन्न होकर यमदेव ने बहन यमुना से वर मांगने को कहा. तब यमुना ने अपने भाई यमराज से वर मांगा कि आप हर साल इसी दिन मेरे यहां भोजन के लिए पधारें और साथ ही कहा कि इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन कराए और उसकी लंबी उम्र की कामना करे, उसकी यह कामना पूरी हो. बहनों की यह कामना आप पूरी करें. भाई-बहनों पर आपका आशीर्वाद और कृपा बनी रहे.

यह सुनकर यमराज ने तथास्तु कहा और यमलोक को प्रस्थान कर गए. तभी से मान्यता है कि जो भाई आज के दिन पूरी श्रद्धा से बहन के हाथों से भोजन ग्रहण करता है और जो भाई-बहन प्रेम से इस त्योहार को मनाते हैं, उन्हें यमदेव का कोई भय नहीं रहता है.

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