दीपावली पूजन में जरूर शामिल करें इन चीजों को
दीवाली के त्योहार की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। शनिवार को शुभ मुहूर्त में हर घर मां लक्ष्मी की पूजा होगी। कोरोना महामारी के कारण इस बार उत्साह कुछ फीका जरूर है। कई राज्यों में आतिशबाजी पर रोक लगाई गई है। शारीरिक दूरी के नियमों पालन करने को कहा जा रहा है। लोगों से अपील की जा रही है कि वे घर पर ही रहकर दीवाली मनाएं। दीवाली की पूजा में कुछ खास चीजों को अवश्य शामिल किया जाना चाहिए। इनके बिना पूजा अधूरी मानी जाती हैं। पढ़िए ऐसी ही 12 चीजों के बारे में
खीर: दीपावली पर लक्ष्मी पूजा में मिठाई का चलन बढ़ गया है। मगर इसके साथ ही पूजा में घर में बनी खीर को अवश्य प्रयोग करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार खीर मां लक्ष्मी का प्रिय प्रसाद है। इससे माता लक्ष्मी प्रसन्ना होती हैं।
बंदनवार: आम और अशोक के नए कोमल पत्तों की माला (श्रंखला) को बंदनवार कहा जाता है। इसे दीपावली पर घर, दुकान व संस्थान के मुख्य द्वार पर बांधना चाहिए। मान्यता है कि इन पत्तियों की महक से आकर्षित होकर सभी देवी देवता घर-दुकान में प्रवेश करते हैं। वहीं इन पत्तियों के लगे होने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता।
गन्ना: मां लक्ष्मी का एक रूप गजलक्ष्मी भी है और इस रूप में वे एरावत हाथी पर सवार दिखाई देती हैं। लक्ष्मी एरावत हाथी की प्रिय खाद्य सामग्री गन्नाा है। एरावत हाथी की प्रसन्नाता से मां लक्ष्मी प्रसन्ना होती हैं। वहीं पूजा उपरांत गन्नो को सभी श्रद्धालुओं द्वारा खाने से वाणी में मिठास बनी रहती है।
पीली कौंड़ी: पीली कौंड़िया धन और श्री की प्रतीक होती हैं। पूजा के बाद इन कौड़ियों को तिजोरी में रखने से मां लक्ष्मी कृपा सदा बनी रहती है।
पान: पान खाने से जिस प्रकार हमारे पेट एवं मुख की शुद्धि होती है। उसी प्रकार पूजा के समय पान रखने पर घर की शुद्धि होती है। घर का वातावरण सकारात्मक बनता है।
स्वास्तिक:- किसी भी पूजा में स्वास्तिक अवश्य बनाया जाता है। स्वास्थ्य की चार भुजाएं उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम चारों दिशाओं को दर्शाती हैं। साथ ही चार भुजाएं ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास आश्रम का भी प्रतीक मानी गई हैं। इसके प्रभाव से श्री गणेश के साथ ही महालक्ष्मी की प्रसन्नाता भी प्राप्त होती है।
तिलक:-पूजा में तिलक लगाया जाता है ताकि मस्तिक में बुद्धि, ज्ञान और शांति का प्रसाह सके। तिलक लगाकर पूजा करने से मन एकाग्र चित्त होता है और पूजा निर्विघ्न संपन्ना होती है।
अक्षत यानि चावल:- चावल को अक्षत कहा जाता है अर्थात जो खंडित ना हो। इसी वजह से चावल को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। पूजा में चावल रखने से समाज में हमारी प्रतिष्ठा और मान सम्मान बढ़ता है।
बताशे और गुड़:- लक्ष्मी पूजन के बाद गुड़ और बताशे का दान करने से धन की वृद्धि होती है।
कलावा मौली:- कलावा (रक्षासूत्र) कई धागे से मिलकर बनता है, इसलिए यह संगठन का प्रतीक है, जिसे पूजा के समय कलाई पर बांधा जाता है। रक्षा सूत्र को बांधने से कलाई पर हलका सा दबाव बनता है, जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
रंगोली:- लक्ष्मी पूजन के स्थान, प्रवेश द्वार तथा आंगन में रंगों से धार्मिक चिन्ह कमल स्वास्तिक, फूल-पत्ति आदि की रंगोली बनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी रंगोली की ओर जल्दी आकर्षित होकर हमारे घर में प्रवेश करती हैं।
खड़ा धनिया: लक्ष्मी पूजन में खड़ा धनिया रखने से अन्नापूर्णा मां और लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। जिससे घर में किसी तरह के अनाज की कमी नहीं होती।