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दो दिन मनेगी धनतेरस, ऐसे करें पूजा


इस बार भगवान धनवंतरी के पूजन के पर्व धनतेरस 12 व 13 नवंबर को दो दिन मनाया जाएगा। पर्व को दो दिन मनाए जाने के पीछे विद्वानों के अलग-अलग तर्क है। हालांकि अधिकांश विद्वान 13 नवंबर को धनतेरस मनाना शास्त्र सम्मत बता रहे हैं। 12 के पक्ष में सहमत विद्वानों कहना है कि 12 को द्वादशी तिथि शाम 6.18 बजे तक रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी तिथि लगेगी। त्रयोदशी 12 को प्रदोषकाल में त्रयोदशी रहने से इस दिन ही धनतेरस मानी जानी चाहिए। इधर 13 नवंबर को धनतेरस मानने के पीछे विद्वानों का तर्क है कि त्रियोदशी तिथि 12 को रात 9.33 बजे शुरू होगी जो 13 नवंबर को शाम 6.01 बजे तक रहेगी। 13 को त्रियोदशी उदयाकाल और प्रदोषकाल दोनो समय रहेगा। इसके चलते 13 को धनतेरस मनाई जानी चाहिए। इसके अलावा 13 को धनतेरस मानी जाती है तो पांच दिनी दीपावली इबार चार दिन की हो जाएगी।

धनतेरस का इतिहास : भगवान विष्णु ने लिया वामन अवतार
ज्योर्तिविद् पं. विजय अड़ीचवाल के अनुसार इतिहास में धनतेरस को लेकर कई कथाए प्रचलित है। इसमें एक कथा के अनुसार त्रेतायुग में इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य की आंख फोड़ दी थी। देवताओं को राजा बलि के बय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। शुक्रचार्य ने वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से वरदान न देने के लिए कहा। इसके बाद भी राजा बलि ने तीन पग भूमि दान की। भगवान वामन ने एक पैर में संपूर्ण पृथ्वी, दूसरे में अंतरिक्ष और तीसरे पग के लिए बलि ने अपना सिर भगवान के चरणों में रख दिया।

धनतेरस का महत्व : समृद्धि के लिए बर्तन की खरीदारी, अरोग्यता के लिए भगवान धनवंतरी का पूजन
ज्योर्तिविद् देवेंद्र कुशवाह के मुताबिक हिंदु धर्म में समृद्धि के प्रतीक पांच दिनी दीपावली पर्व का विशेष महत्व है। इसके पहले दिन कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को देव वैद्य भगवान धनवंतरी का अवतरण हुआ था। उनके चार हाथ है। इनमें अमृत कलश, औषधि, शंख-चक्र आदि है। इस दिन आरोग्यता की कामना से भगवान धनवंतरी का पूजन किया जाता है। इन्हें भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है। धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है। कहा जाता है इस दिन धन को तेरह गुणा करने के लिए लक्षमी, कुबेर और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए यम को दीपदान करना चाहिए। दीपावली के पहले इस दिन खरीदारी करना शुभ माना गया है। इसमें सोने-चांदी के साथ बर्तन की खरीदारी का विशेष महत्व है। इसके चलते इस दिन छोटे-बड़े सभी बाजार खरीदारों से गुलजार रहते हैं।

 

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