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अश्विनी नक्षत्र में मनेगी शरद पूर्णिमा, इन्‍हें मिलेगा लाभ



शरद पूर्णिमा का पर्व 30 अक्टूबर को श्रद्धाभाव के साथ मनाया जा रहा है। इस रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब रहेगा। अश्वनी मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस साल शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य पं. सतीश सोनी के अनुसार फसलों वृक्षों और वनस्पतियों के लिए यह पूर्णिमा शुभ होती है। पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 30 अक्टूबर शाम 5.47 से होगा जो कि अगले दिन 31 अक्टूबर रात 8.21 तक रहेगा, लेकिन यह तिथि 30 अक्टूबर को प्रदोष व्यापिनी तथा निश्चित व्यापिनी दोनों हैं।

30 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा के दिन संयोग से मध्यरात्रि में अश्विनी नक्षत्र रहेगा, 27 योग के अंतर्गत आने वाला योग विशिष्टकरण तथा मेष राशि का चंद्रमा रहने से आयु व आरोग्य में जातकों को श्रेष्ठ लाभ मिलेगा। इस दिन अगस्त तारे के उदय और चंद्रमा की सोलह कलाओं की शीतलता का संजोग भी जातकों को देखने को मिलेगा।

संपूर्ण वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है। भगवान श्री कृष्ण ने जगत की भलाई के लिए रास उत्सव करने इसी तिथि का निर्धारण किया था। इसी दिन से कार्तिक स्नान प्रारंभ होता है। इस रात्रि में चंद्रमा की किरणों से सुधा बरसती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस रात्रि में भ्रमण करना और चंद्र किरणों का शरीर पर पड़ना बहुत शुभ माना जाता है। धर्म अध्यात्म व आयुर्वेद की दृष्टि से यह दिन विशेष माना गया है। शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि में चंद्रमा की रोशनी में केसरिया दूध व खीर रखकर खाने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता है कि इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है तथा मनुष्य वर्षभर निरोगी रहता है।

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