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नवमीं पूजन के साथ ही होगा रावण दहन



नवरात्र का आखिरी दिन यानी महानवमी और बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व दशहरा रविवार को मनाया जा रहा है। दिन में मां सिद्धीदात्री की पूजा होगी और शाम में रावण दहन होगा। हालांकि कोरोना महामारी के कारण इस बार दशहरा पर्व फीका ही रहेगा। जगह जगह केवल परंपरा निभाने के लिए रावण दहन किया जा रहा है। लोगों से अपील की गई है कि वे प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए दशहरा मनाएं। कई स्थानों पर 10 साल से छोटे बच्चों और साठ साल से अधिक उम्र के लोगों को दशहरा सेलिब्रेशन में शामिल नहीं होने की अपील की गई है। युवाओं से भी कहा है कि वे एक दूसरे को दो गज की दूरी से ही दशहरे की बधाई दे दे दें।

पंचाज के मुताबिक, इस बार महानवमी तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर (शनिवार) को सुबह 06 बजकर 58 से होगा, जो अगले दिन 25 अक्टूबर (रविवार) को सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। जिन घरों में महानवमी की पूजा होती है, वहां इस दिन कन्याओं को भोजन करवाया जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री की अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व आठ सिद्धियां होती हैं। इसलिए मां सिद्धिदात्री की सच्चे मन से विधि-विधान से आराधना की जाती है। इनकी कृपा से ये सभी सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं। इस देवी की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था।

इस देवी के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा और बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है। मां की साधना करने से लौकिक, परलौकिक की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।

सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए नवान्न का प्रसाद, नवरस युक्त भोजन तथा नौ प्रकार के फल-फूल आदि का अर्पण करना चाहिए। इस प्रकार नवरात्र का समापन करने से इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मंत्र :

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

स्तुति :

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्त्रोत ः

कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।

स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।

नलिस्थिताम् नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते॥

परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।

परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।

विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।

भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं।

मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

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