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कोरोना काल में प्रभावित कंपनियों को राहत देने की तैयारी


नई दिल्ली: कोरोना संकट काल में वित्तीय संकट से जूझ रहीं कंपनियों के लिए बड़ी राहत की खबर है. रिजर्व बैंक (RBI) ने के वी कामत (K V Kamath) की अगुवाई वाली समिति की रिपोर्ट जारी कर दी है. RBI ने कामत कमेटी की ओर से सुझाए गए वित्तीय मानकों को मंजूरी दे दी है. इसमें लिक्विडिटी, कर्ज और सर्विसेबिलिटी जैसे पैरामीटर्स शामिल हैं. कामत कमेटी ने 26 सेक्टर्स के लिए कर्ज रीस्ट्रक्चरिंग के नियम तय किए हैं. 

किन सेक्टर्स के कर्ज की रीस्ट्रक्चरिंग 
के वी कामत ने जिन 26 सेक्टर्स के लिए कर्ज रीस्ट्रक्चरिंग का सुझाव दिया है उसमें बिजली, कंस्ट्रक्शन, आयर एंड स्टील, रोड, रियल एस्टेट, थोक कारोबार, केमिकल, कंज्यूमर ड्यूरबेल, होटल्स, रेस्टोरेंट, टूरिज्म  एविएशन सेक्टर, टेक्सटाइल्स, जेम्स एंड ज्वेलरी, लॉजिस्टिक्स, माइनिंग, शिपिंग, नॉन फेरस मेटल्स, ऑटो,  मैन्युफैक्चरिंग, रेटिंग एजेंसीज, वित्तीय संस्थान शामिल हैं. आपको बता दें कि लोन रिस्ट्रक्चरिंग का ऐलान कोरोना महामारी की वजह से संकट में आईं कंपनियों को बाहर निकालने के लिए किया गया था. पिछले हफ्ते ही कामत कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.

ऐसे बनेगा रिजॉल्यूशन प्लान 
लेनदार कर्ज रीस्ट्रक्चरिंग से पहले 5 अहम रेश्यो को देखेंगे, 5 पैमानों के आधार पर रिजॉल्यूशन प्लान को बनाया जाएगा. 
1. कुल आउटसाइड लाइबिलिटी यानि कुल देनदारी कितनी है
2. कुल कर्ज कितना है
3. करेंट रेश्यो कितना है, यानि असेट और लाइबिलिटी का रेश्यो कितना है
4. डेट सर्विस कवरेज रेश्यो
5. एवरेज डेट सर्विस कवरेज रेश्यो

रिजर्व बैंक ने कामत कमेटी की सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं. अब रीस्ट्रक्चरिंग से पहले RBI लेनदारों के बीच करार की समीक्षा करेगा, कर्ज रीस्ट्रक्चरिंग से पहले लेनदारों के बीच समझौता जरूरी होगा. बैंक ग्रेडिंग के जरिए कर्ज की समस्या और उसकी गंभीरता तय करेंगे. 

बैंकों को लोन रीस्ट्रक्चरिंग लागू करने का आदेश
पिछले महीने 7 अगस्त 2020 को RBI ने लोन रिस्ट्रक्चरिंग (Loan Restructuring) के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने का ऐलान किया था. के वी कामत को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था. RBI ने कमेटी से रिजॉल्यूशन के लिए फाइनेंशियल पैरामीटर्स के बारे में प्लान पेश करने को कहा था. हफ्ते भर पहले ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFCs) को 15 सितंबर तक लोन रीस्ट्रक्चरिंग प्लान लागू करने को कहा था.

कोरोना महामारी को देखते हुए RBI ने बैंकों से कहा था कि वो 3 महीने की EMI पर लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) की सुविधा दें. यह 1 मार्च से लेकर 31 मई 2020 के बीच बकाए EMI के लिए था, लेकिन, इसे 3 महीने के लिए और बढ़ाकर 31 अगस्त 2020 कर दिया गया था. इसके बाद RBI ने लेंडर्स को लोन अकाउंट को बिना नॉन-परफॉर्मिंग एसेट घोषित (NPA) किए ही वन-टाइम लोन रिस्ट्रक्चरिंग की इजाजत दी है. यह कॉरपोरेट और पर्सनल लोन दोनों के लिए होगा.

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