पोषण अभियान को जन-आन्दोलन के रूप में क्रियान्वित किये जाने की जरूरत
‘राष्ट्रीय पोषण माह के तहत हर घर पोषण व्यवहार’ पर कार्यशाला आयोजित
उज्जैन | सोमवार को बृहस्पति भवन में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राष्ट्रीय पोषण माह के अन्तर्गत ‘हर घर पोषण व्यवहार’ पर जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री गौतम अधिकारी, सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग श्री राजीव गुप्ता, जिले के समस्त सीडीपीओ और मास्टर ट्रेनर्स मौजूद थे।
कार्यशाला में जानकारी दी गई कि भारत सरकार द्वारा हाल ही में सितम्बर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया है। पोषण अभियान के अन्तर्गत मध्य प्रदेश को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। आगामी 30 सितम्बर तक राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जायेगा।
कार्यशाला में स्वयंसेवी संस्था क्लिंटन फाउण्डेशन की संभागीय समन्वयक सुश्री रचना शर्मा द्वारा पोषण माह के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि पोषण अभियान सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि इसे व्यापक जन-आन्दोलन के रूप में क्रियान्वित किये जाने की जरूरत है। जन-भागीदारी के अन्तर्गत इस कार्यक्रम में स्थानीय संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों, राज्य के सरकारी विभागों, सामाजिक संगठनों तथा आम जनता और निजी क्षेत्र की समावेशी संस्थाओं को शामिल किया गया है। इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य शून्य से छह वर्ष के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं के पोषण स्तर में सुधार लाना, नवजात बच्चों में कम वजन, ठिंगनापन, कुपोषण और रक्ताल्पता दर में अगले तीन सालों में कमी लाना, कम वजन के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में कमी लाना और 15 से 49 वर्ष आयुवर्ग की किशोरियों, गर्भवती एवं धात्री माताओं में एनीमिया के प्रसार में कमी लाना है।
राष्ट्रीय पोषण माह के अन्तर्गत एक विस्तृत कार्य योजना बनाई गई है, जिसमें पोषण के परिप्रेक्ष्य जीवन के प्रथम एक हजार दिनों के दौरान स्वास्थ्य एवं पोषण आवश्यकता, गर्भावस्था जांच एवं पोषण देखभाल, नवजात का शीघ्र स्तनपान तथा सही समय पर ऊपरी आहार और उसकी निरन्तरता, पांच वर्ष तक के बच्चों की शारीरिक वृद्धि, निगरानी, सफाई और पोषण जागरूकता, जिसमें स्वस्थ भोजन (फूड फोर्टिफिकेशन) शामिल है।
राष्ट्रीय पोषण माह की जिला स्तरीय गतिविधियों के अन्तर्गत प्रथम सप्ताह में मीडिया कार्यशाला, जिला अस्पताल में पोषण परामर्श सत्र, दूसरे सप्ताह में पोषण जागरूकता के तहत मैराथन दौड़, पोषण सम्बन्धी सेमीनार, जिला अस्पताल में परामर्श सत्र, तीसरे सप्ताह में धर्मगुरूओं का सम्मेलन और परिसंवाद, कला पथक दलों द्वारा पोषण जागरूकता कार्यक्रम और चौथे सप्ताह में शहरी आजीविका मिशन के समूहों का उन्मुखीकरण और बालिका छात्रावास में पोषण परामर्श सत्र का आयोजन शामिल है।
इसी प्रकार परियोजना स्तर और आंगनवाड़ी केन्द्र स्तर पर पूरे माह विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जायेंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में मंगल दिवस, बाल चौपाल, पंचायत जनप्रतिनिधि सम्मेलन, साप्ताहिक हाट बाजार में पोषण प्रदर्शन, पोषण रैली, प्रभात फेरी, हैल्दी बेबी प्रतियोगिता और फेंसी ड्रेस प्रतियोगिता, पंचायत स्तर पर फिल्म प्रदर्शन, पोषण प्रसाद, एसआरएलएम समूह सदस्यों के साथ पोषण पर चर्चा, स्वस्थ किशोरी/मिस हिमोग्लोबिन प्रतियोगिता और पुरूषों के द्वारा पोषण में भागीदारी हेतु मैराथन दौड़ जैसी कई रोचक गतिविधियां आयोजित की जायेंगी।
कार्यशाला में जानकारी दी गई कि पोषण माह के अन्तर्गत महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त अन्य सभी सम्बन्धित विभाग उक्त थीमों पर कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। इस माह के दौरान आकाशवाणी के सभी 14 क्षेत्रीय स्टेशनों एवं एफएम के तीन स्टेशनों द्वारा प्रात: 8 बजे से 10 बजे और शाम को 6 बजे से 7 बजे के मध्य निरन्तर कार्यक्रमों का प्रसारण जारी रहेगा। वन्या सामुदायिक रेडियो के सभी आठ केन्द्रों द्वारा भी पोषण माह के दौरान सन्देशों का निरन्तर प्रसारण किया जायेगा।
आखिर क्या है कुपोषण
कार्यशाला में जानकारी दी गई कि जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारे शरीर को प्रतिदिन के कार्यों के लिये, शरीर को बढ़ने और रख-रखाव के लिये तथा रोगों से बचाव के लिये ऊर्जा या शक्ति की आवश्यकता होती है, जो हमारे भोजन में रहने वाले भोज्य पदार्थ (पोषक तत्व) प्रदान करते हैं। यदि हमारे भोजन में उपरोक्त कार्यों की पूर्ति करने वाले पोषक तत्वों की कमी हो जाती है तो शरीर में उनकी कमी से होने वाले लक्षण या रोगों को कुपोषण कहते हैं। गौरतलब है कि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण अत्यधिक होने की संभावना होती है। कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिये ही सरकार द्वारा राष्ट्रीय पोषण माह हर घर पोषण व्यवहार मनाये जाने का निर्णय लिया गया है।
कार्यशाला में जानकारी दी गई कि विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ समुदायों में बहुत से मिथक होते हैं, जिस वजह से भी बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। इन मिथकों में गर्भावस्था के दौरान कुछ विशेष फल न खाने, नवजात को छह माह बाद भी ऊपरी अनाज न देने और जन्म के छह माह तक केवल स्तनपान न कराने और जल पिलाने जैसे मिथक शामिल हैं।
कुपोषण को दूर करने के लिये ग्रामीण स्तर पर पंचायत प्रतिनिधि लोगों को सही पोषण के बारे में जागरूक करें। यह सुनिश्चित करें कि गांव की हर लड़की का विवाह 18 वर्ष की आयु से कम उम्र में न हो। यह सुनिश्चित करें कि गांव की हर गर्भवती महिला का प्रसव अस्पताल या चिकित्सा केन्द्र पर ही हो। गांव के लोगों को अपने घरों के आंगन में (किचन गार्डन) पौष्टिक हरी साग-सब्जियां, फल आदि लगाने के लिये प्रोत्साहित करें तथा ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण समिति की बैठक का नियमित आयोजन करें।
कार्यशाला में कृषि विज्ञान केन्द्र की वैज्ञानिक श्रीमती रेखा तिवारी ने कहा कि हम स्वस्थ रहेंगे तभी दूसरों का भी ध्यान रख सकेंगे, अत: विभाग की मैदानी कार्यकर्ताओं का भी समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाये। राष्ट्रीय पोषण माह में एक दिन कार्यकर्ताओं के लिये निर्धारित किया जाये, जिसमें उनका स्वास्थ्य परीक्षण करवाया जाये। आंगनवाड़ी केन्द्रों में कार्यकर्ताओं के उत्साह के लिये कई रोचक प्रतियोगिताएं आयोजित की जायें। जहां कार्यकर्ता अपने-अपने घरों से परम्परागत स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन बनाकर लायें और एक-दूसरे को इसके बारे में अधिक से अधिक बतायें। फूड फोर्टिफिकेशन के तौर पर सोयाबीन की फली के अधिक से अधिक प्रयोग को बढ़ावा दें। किसानों को क्रॉप रोटेशन के बारे में अधिक से अधिक जागरूक करें, जिससे अनाज में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा रहे। कार्यशाला का संचालन श्री राजीव गुप्ता और आभार प्रदर्शन श्री गौतम अधिकारी ने किया। कार्यशाला के समापन पर मौजूद समस्त सीडीपीओ और कार्यकर्ताओं को शपथ दिलाई गई कि वे राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान प्रत्येक घर तक सही पोषण का सन्देश पहुंचायेंगे, इस अभियान को एक देशव्यापी जन-आन्दोलन बनायेंगे, ताकि हर घर, विद्यालय, गांव में सही पोषण की गूंज उठेगी।