पर्युषण के छठे दिन उत्तम संयम धर्म
बारिश के बीच दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब मंदिरों की सज्जा और मंडल जी देखें समाज जनों ने
तपोभूमि में बनी भोज में आई बाढ़ के भयावह दृश्य की जीवंत झांकी
मांस, मधु का त्याग, एवं सप्त व्यसनों का त्याग भी संयम-मुनि श्री मार्दव सागर जी महाराज
उज्जैन। मन को बस में करना और इंद्रियों पर विजय प्राप्त करना ही उत्तम संयम धर्म में आता है आपका स्वयं का शरीर पहरी है चैकीदार है लेकिन आत्मा अजर अमर है आत्मा में ही भगवान बनने की शक्ति है यह बात प्रभा दीदी ने श्री महावीर तपोभूमि में श्रावक संस्कार शिविर के दौरान कहीं और कहां की किसी के लिए अच्छा ही करना हो तो जाग जाओ और किसी की बुराई हो रही है ऐसे मौके पर सो जाना ही अच्छा है बुराई में कभी किसी का साथ मत देना जो तूफानों में भी अपने आप को संभाल सके ऐसे दीपक बनकर रहना है और उसकी लो जो तूफानों से भी भुज ना सके ऐसा बनना है और दीदी ने कहानी सुनाते हुए कहा कि एक राजा अपने संपूर्ण प्रजा के साथ हाथी घोड़े पर बैठकर घूमने जाता है और शाम को जब राजा अपने हाथी घोड़ों से वाहनों से उतरता है तो लोग उसकी सेवा में लग जाते हैं पैर दबाते हैं हाथ दबाते हैं उसकी सेवा करने लगते हैं उसी पर एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि राजा तो बैठ कर आराम से आए हैं तो फिर इनकी सेवा क्यों एक धार्मिक व्यक्ति जो इन बातों को समझता था उन्हें बताया कि राजा ने अपने पूर्व जन्म में अच्छे कर्म किए थे इसीलिए आज सारा वैभव सारी सुख सुविधा उसे प्राप्त है पूर्व जन्म में किए हुए अच्छे कर्म ही हमें प्राप्त होते हैं और यदि इस जन्म में भी अच्छे कर्म करेंगे तो अगले जन्म में हम और अच्छे होंगे और कहा कि हम भारतीय संस्कृति को मानने वाले लोग हैं हम सभ्यताओं और संस्कार में जीते हैं इसलिए हमें धर्म के मार्ग पर चलकर सुबह से ही पूजा ध्यान आराधना के साथ-साथ पुण्य के काम करना चाहिए पहले के लोग तो मंदिर भी सादे कपड़े में नंगे पांव जाते थे ताकि उनके वैभव को देखकर किसी अन्य व्यक्ति का भाव खराब ना हो और सब एक जैसे दिखें लेकिन आजकल के लोग तो अपने घर में चैके में ड्राइंग रूम में भी जूते पहन कर बैठते हैं और खाना भी खा लेते हैं यह सब सभ्यता हमारी नहीं है हमारी सभ्यता हमें उठते बैठते हैं चलने फिरने सोने जागने बोलने चलने एवं रहने सहने के सभी संस्कारों से भरी पड़ी है जो व्यक्ति संयम से रहता है संतोष से रहता है जिसके मन में व्याकुलता नहीं होती है और जो धर्म के मार्ग पर चलता है वही श्रावक आगे जाकर भगवान के मार्ग पर चलता है।
ट्रस्ट के सह सचिव डॉ सचिन कासलीवाल ने बताया कि आज सुबह 6 बजे से ही मंगल पाठ ध्यान अभिषेक शांतिधारा प्रवचन पश्चात भजन के साथ तपोभूमि पर मंडल जी एवं झांकी का उद्घाटन हुआ उद्घाटन ट्रस्ट के चेयरमैन नवीन जैन नीति जैन गाजियाबाद संयोजक धीरेंद्र सेठी एवं संस्थापक अध्यक्ष अशोक जैन चाय वाले अध्यक्ष कमल मोदी सचिव दिनेश जैन सुपर फार्मा सुलोचना सेठी अंजू ओम जैन स्नेह लता सोगानी रमेश जैन एकता पंडित श्रीयश जैन सारिका जैन विनीता कासलीवाल हेमंत गंगवाल पुष्पराज जैन आदि ट्रस्ट ने किया तत्पश्चात सभी शिविर आरती वाहनों से संपूर्ण जैन मंदिरों के दर्शन करने निकले वाहनों को हरी झंडी भी दिखाई गई आज सुबह से ही महावीर तपोभूमि में सुगंध दशमी के अवसर पर लोगों का ताता लगा हुआ था उज्जैन ही नहीं इंदौर और आजू-बाजू से लोग भी सुगंध दशमी पर महावीर तपोभूमि के दर्शन करने आते हैं शाम को दीदी के प्रवचन एवं भगवान की भव्य भक्ति में आरती मुनि प्रज्ञा सागर जी महाराज की आरती हुई।
शिविर में विराजमान चैत्यालय में श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान की शांति धारा करने का सौभाग्य कमल यतींद्र मोदी सुगंधित अभिषेक करने का सौभाग्य डॉक्टर एस के जैन विजया जैन प्रथम कलश करने का मंजुला बड़जात्या इंदौर को प्राप्त हुआ शिविर के भोजन की व्यवस्था करने का सौभाग्य स्नेहलता सोगानी सोगानी परिवार को प्राप्त हुआ व सुरेंद्र कुमार जैन, राजेन्द्र लुहाड़िया, सौरभ कासलीवाल, धर्मेन्द्र सेठी विकास सेठी कमल मोदी परिवार एवं श्री 1008 कालीकुंड पाश्र्वनाथ भगवान के शांति धारा एवं अभिषेक बसंती लाल गिरीश बिलाला वीरसेन मोती रानी पंकज नरेश जैन दमोह ’महावीर तपोभूमि पर संजिव दृश्य’ सुगंध दशमी पर विहग्मं दृश्य मुनि प्रज्ञा सागर जी महाराज की परोपकार सेवा का चित्रण
कुछ दिनों पुर्व कर्नाटक ग्राम भोज में भंयकर बाड़ और बारिश ने अपना तांडव मचाया,जिसमें पुरा ग्राम जलमग्न हो गया था,बचा था तो आचार्य शांति सागर तीर्थ जहाँ पर अभी मुनि प्रज्ञा सागर जी महाराज अपना चतुर्मास कर रहें है उन्होंने बाड़ दृश्य को यथास्थिति देखा और समस्त ग्राम वासियों को तीर्थ में रहने ,खाने पीने ,कपड़े आदी जरूरत मंद वस्तुओं का बंदोबस्त किया एवं अपने सभी भक्तों और धर्म प्रियजनों को जितना हो सके ,प्रत्येक तरह से सहायता करने के लिये प्रेरित किया ।उनकी इस पहल से भोज ग्राम बहुत ही जल्द अपनी पुर्व यथास्थिति की और अग्रसर है अभी भी वहां और आस पास के सभी ऐरियो में मदद की आवश्यकता है जिसमें गुरुदेव ने हर तरह से मदद का आश्वासन दिया है उसी का संजिव चित्रण सुगंध दशमी पर्व पर महावीर तपोभूमि उज्जैन द्वारा किया जा रहा है।
पर्युषण पर्व - मार्दव सागर जी महाराज
उत्तम संयम धर्म एवं धुप दशमी
उज्जैन। संयम का शाब्दिक अर्थ है, अपने पर नियंत्रण रखना। अपने पर नियंत्रण मतलब अपनी इंन्द्रियों पर जिव्हा पर,नाक पर, कर्ण पर, चक्षु पर, एवं स्पर्श पर। अगर हमने पांच इंन्द्रियों पर संयम करना सीख लिया तो जीवन में ज्ञान की गंगा बहना प्रारंभ हो जावेगी।
पांचों इंन्द्रियों को वश में रखना तथा छह कायिक जीवों की रक्षा करना उत्तम संयम धर्म में आता हैं। तीर्थंकर जब 8 वर्ष के हो जाते है तो उनमें संयम अपने आप आ जाता हैं। अकेला उपवास करना संयम नहीं हैं। उपवास धर्म नहीं है। मगर जैन कुल में जन्म लिया हैं तो पहले मद्द मांस, मधु का त्याग, एवं सप्त व्यसनों का त्याग भी संयम में आता हैं। आज कई मंदिरों में ऐसे पंडे हैं जिन्हें अंडो का त्याग नहीं उनकी धार्मिक क्रियाायें करना व्यर्थ हैं।
जीवन में संयम का पालन हम कई तरह से कर सकते हैं। गंदी चींजें नहीं देखना, गंदी बातें नहीं सुनना, गंदे विचार मन में नही लाना , भोजन की लालसा नहीं रखना, संयमित भोजन करना, ये सभी संयमित जीवन की सीढी हैं।
मुनि महराज उत्तम संयम धर्म का पालन करते हैं। व अधिंकांश जीवन पठन पाठन एवं धार्मिक क्रियाओं में बीतता हैं।
आज सोमवार को उत्तम तप धर्म की पूजा होगी