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उज्जैन में रचनाधर्मिता की कमी नहीं- डॉ ललित किशोर मंडोरा



उज्जैन। उज्जैन पुस्तक मेले के आखिरी दिन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत के हिंदी संपादक व कार्यक्रम प्रभारी डॉ ललित किशोर मंडोरा ने कहा कि इस पुस्तक मेले में न्यास ने 9 दिनों में 12 कार्यक्रमों का आयोजन किया जिसमें बच्चों व बड़ों के साहित्यिक कार्यक्रमों में 61 रचनाकारों को शामिल किया गया। यह अपने आप में अभूतपूर्व रहा कि न्यास ने स्थानीय रचनाकारों को प्राथमिकता दी। इस पुस्तकमेले में उत्तरप्रदेश, दिल्ली के भी कुछ रचनाकारों ने मेले में प्रतिनिधित्व किया।
स्कूली छात्र व छात्राओं के अतिरिक्त, मीडियाकर्मी, बुद्धिजीवियों ने भी अपनी मनपसंद पुस्तकों को न केवल अवलोकन किया बल्कि पसंदीदा पुस्तकों को खरीद कर अपने पुस्तकालय को भी समृद्ध किया। डॉ मंडोरा ने आगे बताया कि उज्जैन जहां अपनी ऐतिहासिकता के लिए प्रसिद्ध है वही दूसरी और अपने साहित्यिक कार्यक्रमों के लिए भी मशहूर है। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में न्यास प्रयास करेगा ताकि कार्यशालाओं के माध्यम से भी न्यास को नई पांडुलिपियां मिल सकें। इस प्रदेश में रचनाधर्मिता की कतई कमी नहीं है। न्यास हमेशा से नई प्रतिभाओं का स्वागत करता आया है। 
इस पुस्तक मेले में हजारों की संख्या में पाठकों ने अपनी मनपसंद पुस्तकों को न केवल देखा अपितु उसे खरीद कर पुस्तक संस्कृति के विकास में सहयोग किया।

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