व्यंग्य में जरूरी बात है विसंगतियों को पकड़ना- अरविंद तिवारी
उज्जैन। समाज की आजकल एक महत्वपूर्ण विधा है कि किसी की भी बिना चुभे आलोचना करना। यानी आप का तीर भी कमान से निकल जाए और बात का बतंगड़ भी न बने। जी हाँ, वह विधा है व्यंग्य। जो विसंगतियों पर प्रहार करती है। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,भारत ने अब व्यंग्य पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित की है जिसमें हरिशंकर परसाई, ज्ञान चतुर्वेदी, हरीश नवल, प्रेम जनमेजय, सुभाषचंदर, सरोजिनी प्रीतम इत्यादि की पुस्तकों का प्रकाशन किया है।
पुस्तकमेला में आयोजित व्यंग्य पाठ के तहत देश के चुनिंदा व्यंग्यकारों को आज व्यंग्य रचनाएं सुनाने का मौका मिला। इसी सभागार यानी कालिदास अकादेमी परिसर में हरिशंकर परसाई, मनोहर श्याम जोशी, केपी सक्सेना इत्यादि महत्वपूर्ण रचनाकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। न्यास के हिंदी सम्पादक डॉ ललित किशोर मंडोरा ने सभी व्यंग्यकारों को न्यास के प्रकाशन कार्यक्रमों से परिचय कराते हुए न्यास की गतिविधियों से परिचय कराते हुए आगामी नई दिल्ली विश्व पुस्तकमेले की जानकारी भी दी। डॉ मंडोरा ने आगे बताया कि न्यास इससे पहले भी व्यंग्य पर कार्यशालाओं का आयोजन कर चुका है। जिसमें नैनीताल में आयोजित कार्यशाला का जिक्र किया जिसमें दो दर्जन व्यंग्यकारों ने हिस्सेदारी की थीं। उन्होंने आगे कहा कि न्यास भविष्य में भी व्यंग्य को आधार बना कर उज्जैन में या इसके आसपास के किसी शहर में नवसाक्षरों के लिए पठनीय सामग्री के लिए कार्यशाला का आयोजन करेगा ताकि समाज में फैले तनाव को कुछ हद तक व्यंग्य व हास्य के माध्यम से दूर किया जा सकें।
इस मौके पर व्यंग्यकार हरीश कुमार सिंह, सौरभ जैन, मुकेश जोशी, सुनीता शानू, अरविंद तिवारी, दिनेश दिग्गज, पिलकेन्द्र अरोड़ा ने अपनी व्यंग्य रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सभी व्यंग्यकारों ने अपनी मधुर वाणी से बेहतरीन व्यंग्य आलेखों का पाठ किया। कार्यक्रम की शुरआत इंदौर के सौरभ जैन से हुई बड़ी मारक रचना सुनाई।
दिनेश दिग्गज ने चुलबुले अंदाज में शेर को शेर रहने दो नामक रचना का पाठ किया। कुछ छोटी मगर असरदार व्यंग्य रचनाओं का पाठ दिनेश दिग्गज ने अपनी चिरपरिचित शैली में किया। उज्जैन के लोकप्रिय व्यंग्यकार डॉ हरीश कुमार सिंह ने अपनी व्यंग्य रचनाओं का पाठ बड़े सधे स्टाइल से किया। उन्होंने कहा कि व्यंग्य प्रहार तो करता है लेकिन तिलमिला भी देता है। नजर-अपनी अपनी नामक रचना सुनाकर श्रोताओं को हँसने को जहां मजबूर किया वहीं इनके व्यंग्य ने श्रोताओं को देर तक गुदगुदाने का सत्र भी दिया।
मुकेश जोशी ने हिंदी वीक पर केंद्रित हिंदी वीक नामक रचना का पाठ किया। इनकी व्यंग्य रचना हिंदी पखवाड़े पर करारा तमाचा थी जो इस पखवाड़े पर बड़ी डिमांड को लेकर रचनाकारों और हिंदी सेवा पर केंद्रित थी। पूरी कार्यलय व्यवस्था हिंदी पखवाड़े पर चैपट हो जाती थीं। सुनीता शानू ने अपनी चर्चित रचना मोबाइल का दुखड़ा रचना सुना कर सभी की दुखती रग पर हाथ रख दिया था। आम आदमी के रोजाना क्रिया कलापों से रचना रियेलेट कर रही थीं। आम जीवन के विषयों को व्यंग्य का आधार बना कर सुनीता शानू ने अपना व्यंग्य मोबाइल से जन्मे दुख का व्योरा रोचक शैली में सुनाया। जनमानस की दुखद-सुखद घटनाओं पर केंद्रित था,जिसे अलग अंदाज से उनकी प्रस्तुति को पसंद किया गया। सुनीता शानू ने दो व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया। जिसमें गालियों के पुराण पर चिंता जाहिर की। उनकी इस रचना ने पर्याप्त सराहना प्राप्त की।
पिलकेन्द्र अरोड़ा ने अपनी रचना अहा बाबा जीवन क्या है! सुनाते हुए सभी का दिल जीत लिया। उन्होंने कहा कि आज व्यंग्यकारों के लिए विषय की कमी नहीं। आज विषय खुद व्यंग्यकारों के पीछे भागते है। सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ व्यंग्यकार व व्यंग्यसमालोचक अरविंद तिवारी ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने इधर कुछ वर्षों से व्यंग्य के प्रकाशन उसकी गतिविधियों को भी भी अब गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। उसके लिए न्यास निदेशक श्रीमती नीरा जैन व न्यास अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद प्रसाद शर्मा जी निश्चित ही बधाई के पात्र है।आज उज्जैन में आ कर ये देख कर बड़ी खुशी हो रही है कि इस शहर में व्यंग्य के प्रति कितने समर्पित श्रोतागण है।इतने अच्छे श्रोता और बेहतरीन पाठकों के साथ व्यंग्य पर केंद्रित लगभग तीन दर्जन से ज्यादा रचनाकारों की पुस्तकें मौजूद है।
अपनी बात कहते हुए श्री तिवारी ने कहा कि व्यंग्य में दो पहलू है,विसंगतियों को पकड़ना। फिर कारक और कारण पर प्रहार करना। इन दो चीजों से ही व्यंग्य बना है। आज व्यंग्य ने अपनी जिम्मेवारी को समझा है और व्यंग्यकार अपना दायित्व बखूबी निभाने में सक्षम है। अरविंद तिवारी ने इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय पुस्तकमेला पर केंद्रित अपनी व्यंग्य रचना को सुनाकर सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते हुए सबका ध्यान आकर्षित किया। उल्लेखनीय गण्यमान्य लोगों में इलाके के महत्वपूर्ण लोगों ने हिस्सेदारी की। जिसमें डॉ शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ वंदना गुप्ता, शिव चैरसिया के अलावा शैलेन्द्र पराशर, संदीप सृजन, संदीप नाडकर्णी, इंदौर से पधारे अश्विनी कुमार दुबे के साथ इलाके के अनेक गण्यमान्य लोग मौजूद थे।
व्यंग्य पाठ के सत्र का संचालन मध्यप्रदेश के व्यंग्यकार मगर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व्यंग्यकार पिलकेन्द्र अरोड़ा ने किया।व्यंग्य पाठ के इस सत्र को लंबे समय तक पुस्तक प्रेमियों के बीच याद रहेगा।