मनुष्य को सुखी रहना हो तो हमेशा सत्य बोले:-मुनिश्री मार्दव सागर जी महाराज
पर्युषण पर्व - उत्तम सत्य धर्म के दिन
सुख तो सब भोग लेते हैं लेकिन दुख आने पर भी जो अपना धर्म मार्ग नहीं छोड़ता वह महान कहलाता है :-प्रभा दीदी
सुगंध दशमी पर्व पर सजे मंदिर एवं मंडल जी को देखने के लिए जनसैलाब उमड़ा गा
उज्जैन।। श्री महावीर तपोभूमि में प्रभा दीदी ने अपने प्रवचन में कहा कि जो मनुष्य सत्य से डीगते नहीं हैं घबराते नहीं हैं डरते नहीं हैं वह मनुष्य दिन पर दिन प्रगति करते हैं ईश्वर के सबसे नजदीक होते हैं अपने कर्मों को काटने की शक्ति होती है कर्म तो कई प्रकार के होते हैं जो पूर्व जन्मों से हमारे साथ चलते हैं उन कर्मों को जो लोग सत्यता के साथ काटते हैं वह महान कहलाते हैं पूर्व भव के पुण्य प्रताप को सुख को तो हर कोई भोग लेता है लेकिन पूर्व जन्मों के कर्मों के दुष्प्रभाव से जो मिलता है उसको काटने में आप जरा सा भी डरते नहीं हैं घबराते नहीं हैं उनको काटते हुए अपने जीवन को सत्यता के मार्ग पर चलाते हुए धर्म के मार्ग पर चलते रहते हैं वह मनुष्य दिन पर दिन तरक्की करते हैं एवं जो मनुष्य संसार निरंतर वस्तुओं का त्याग करते हैं छोड़ते हैं एवं सत्य का अनुक्रमण करते हैं उनके पीछे संपूर्ण संसार के सुख समृद्धि और ऐश्वर्य घूमते लगता है ट्रस्ट के सह सचिव डॉ सचिन कासलीवाल ने बताया कि प्रभा दीदी के निर्देशन में शिविर के लगभग सभी लोग एक जैसे वस्त्र पहनकर सभी दिगंबर जैन मंदिरों के दर्शन करने रविवार को दोपहर में निकलेंगे एवं रविवार को उत्तम संयम धर्म की पूजा होगी विशेष मंडल जी एवं झांकी भी लगाई जाएगी जिसमें संजीवन चित्रण होंगे एवं श्री महावीर तपोभूमि को बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया जाएगा लाइट की सुंदर रोशनी व लग्गियां के साथ-साथ धार्मिक चिन्हों को भी दर्शाया जाएगा बड़ा ही सुंदर एवं व्यंजन दृश्य होगा तपोभूमि के साथ-साथ शहर के अन्य सभी मंदिरों में भी मंडल जी की रचना की जाएगी और सभी मंदिर सजाए जाएंगे
शिविर में विराजमान चैत्यालय के श्री 1008 मुनीसुव्रत नाथ भगवान की शांति धारा करने का सौभाग्य विमल चंद पुष्पराज जैन प्रथम कलश करने का रुपेश धर्मेन्द्र सेठी सुगंधित कलश का मोती रानी वीरसेन जैन एवं प्रत्येक शनिवार की तरहआजभी श्री 1008मुनीसुव्रत नाथ भगवान की 11 शांतिधारा हुई प्रथम शांतिधारा करने का फूलचंद छाबड़ा ,रमेश जैन,विकास जैन सुनील जैन यतींद्र मोदी संजय बड़जात्या धीरेंद्र सेठी हेमंत गंगवाल सुशील गोधा राकेश जैन संजय बालमुकुंद जैन, हंस कुमार जैन एवं अन्य मंदिरों में शांति धारा करने का सौभाग्य चंद्रकांता बाबूलालजैन,विमल चंद पुष्पराज जैन,रमेश एकता राकेश जैन राजेंद्र लुहाड़िया,कमल यतींद्र मोदी को प्राप्त हुआ
पूजा पंडित श्रीयश जैन ने कराई संगीतमय भक्ति मोनिका सेठी सोनिया जैन अंजू जैन ज्योति जैन ने कराई शिविर में सुलोचना सेठी अंजू ओम जैन विनीता कासलीवाल शारदा मोदी सारिका जैन स्नेहा लता सोगानी इंदर मल जैन आदि कई लोग विशेष रूप से मौजूद थे
पर्युषण पर्व पर- उत्तम सत्य धर्म के दिन
मनुष्य को सुखी रहना हो तो हमेशा सत्य बोले:-मुनिश्री मार्दव सागरजी
उज्जैन।।पुरातत्व अन्वेशक मुनि श्री मार्दव सागरजी ने सत्य कहा कि जो कभी असत्य नहीं बोलते और हंसी मजाक में भी झुठ नहीं बोलते वे सत्यवादी कहलाते हैं। झुठे व्यक्ती की पोल एक न दिन खुल जाती है। और वह बाद में जग हंसाई का पात्र बनता हैं। उसकी आजिविका समाप्त हो जाती हैं। कोई उसम विश्वास नही करता।
व्यक्ती अलग अलग कारणों से झुंठ बोलता हैं। कभी लोभ से कभी मोह से कभी डर से कभी लज्जावश तथा कभी मनोरंजन के लिये भी। लेकिन जैसे ही उसकी पोल खुलती है, फिर उसपर लोगों का विश्वास खतम हो जाता हैं।
राजा हरिश्चंद्र, रामचंद्रजी, राजा बलि आदि का नाम इसिलिये लोग याद याद करते हैं। उन्होने जीवन में कभी सत्य नहीं छोडा। हमें यह मनुष्य जीवन बडी कठिनाई से प्राप्त हुवा हैं। इसका उपयोग हमें मिथ्या भाषण करके नही खोना हैं। जो अच्छ लोग होते हैं, वे अवसर देखकर सोच समझकर बोलते हैं। सत्य बोलने से समाज पर एवं राष्ट्र पर विपत्ती आती हैं तो ऐसा सत्य भी नही बोलना । मौन रह जाना ज्यादा उचित है। जिसमें हिंसा का समर्थन हो ऐसा सत्य नहीं बोलना भी हिंसा का भाव लगता हैं।मनुष्य योनी में ही व्यक्ती को बोलने की शक्ती प्राप्त हुई हैं। इस शक्ती को हमैं अनर्गल एवं झुठी बातों में नहीं खोना हैं। कुछ त्योहारों पर निरीह पशुओं की बलि दी जाती हैं। यह धर्म गुरुओं की बात सच्चे अर्थो में नहीं समझ गई कारण है- राजा को सत्य का पक्ष अपने स्वयं की प्रेरणा से लेना चाहिये।
झुंठ कई प्रकार के होते हैं। गलत व्यक्ती का पक्ष लेना, गलत समाचार देना, गलत प्रशंसा करना, गाली देना, निंदा करना, कलह करा लेना, इनसे मनुष्य को नहीं बचना चाहिये। दशलक्षण धर्म चार कषायों के त्यागने के बाद सत्य का क्रम दिया हैं। जीवन में यदि क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, धर्मको अंगीकार कर लिया तो सत्य धर्म अपनेआप आ जावेगा। जिसमें झुंठ की गुंजाईश नगण्य रह जावेगी।
आज व्यक्ती का श्रध्दान कम हो गया हैं। टीका चिप्पणी करने में अधिक समय व्यतित करते हैं। श्रावक के दोष निकालना, मुनियों के दोष निकालना गलत हैं। लोगों के मन में भ्रम फैलाना असत्य धर्म मेंआता हैं। कार्यक्रम के प्रारंभ में मंगलाचरण अमृता जैन ने किया। संचालन हीरालाल बिलाला ने किया ।