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जिला स्तरीय एईएफआई कमेटी द्वारा बच्चे की मृत्यु का कारण दूध पिलाते समय श्वांस अवरूद्ध होना पाया गया


उज्जैन | मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि उज्जैन जिले की तराना तहसील के ग्राम लिंबोदा निवासी अथर्व पिता सुरेन्द्र का गत 27 अगस्त को टीकाकरण किया था और 29 अगस्त को अथर्व की आकस्मिक मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई थी। इस सम्बन्ध में विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के पदाधिकारियों द्वारा ग्राम का भ्रमण कर टीकाकरण से सम्बन्धित जानकारियों को एकत्रित किया गया और 3 सितम्बर को जिला स्तरीय एईएफआई कमेटी ने टीकाकरण के प्रत्येक पहलु का विस्तृत विश्लेषण किया, जिसमें कमेटी द्वारा इस घटना का कारण एसआईडीएस (सडन इनफंट डेथ सिन्ड्रोम) से प्रतीत होना बताया गया। क्योंकि माता के द्वारा बच्चे को लेटाकर दूध पिलाया गया। इस दौरान उसकी नींद लग गई, 10-15 मिनिट पश्चात जब बच्चे की मां की नींद खुली तो उसने पाया कि बच्चे में कोई हलचल नहीं हो रही है। जिला स्तरीय कमेटी द्वारा बच्चे की मृत्यु का कारण दूध पिलाते समय सांस श्वास अवरूद्ध हो जाना पाया गया। इस बच्चे के साथ ही अन्य चार बच्चों को भी यही टीके लगाये गये थे और वे सभी बच्चे पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं।

    बच्चों को लगाये गये सभी टीकों के सेम्पल केन्द्रीय लेबोरेटरी कसौली हिमाचल प्रदेश एवं उपयोग में लाई गई सिरिंग सीडीएल कलकत्ता जांच हेतु भेजी जाने की अनुशंसा कमेटी के द्वारा की गई है, जिन्हें निर्धारित प्रोटोकाल अनुसार जांच के लिये भेजा जा रहा है। राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी का पालन करते हुए निर्धारित उम्र अनुसार बच्चों को टीके लगाये जाते हैं। समस्त टीके देश के सभी राज्यों में लगाये जाते हैं। पूरे विश्व में 192 देश इस प्रकार के टीके बच्चों को लगा रहे हैं। जिला एवं प्रदेश में लाखों बच्चों को यह टीके लगाये जा चुके हैं और सभी बच्चे स्वस्थ हैं, किसी भी प्रकार की शिकायत प्राप्त नहीं है, अर्थात यह टीके पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं। टीकों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को 10 प्रकार की गंभीर जानलेवा बीमारियों से सुरक्षित रखने का है। इसी उद्देश्य के साथ समस्त नौनिहालों को यह टीके लगाये जा रहे हैं।

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