पुस्तक मेले में गीतकारों ने बांधा समा
उज्जैन। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा आयोजित उज्जैन पुस्तक मेले के दूसरे दिन गीत के सत्र में शहर के गीतकारों ने देर शाम तक गीतों से समां बांध दिया।
गीतकार राजेश राज, डॉ मोहन बैरागी, बाबू घायल, पंकज पलाश, वैशाली शुक्ला ने गीतों की प्रस्तुति दी। संध्या का समन्वय अशोक भाटी ने किया। इस अवसर पर न्यास के हिंदी संपादक डॉ ललित किशोर मंडोरा ने आमन्त्रित अतिथियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के बारे में उनकी गतिविधियों से परिचय कराया। इस अवसर पर न्यास के सहायक निदेशक मयंक सुरोलिया व राष्ट्रीय बाल साहित्य केंद्र के संपादक मानस रंजन महापात्र भी मौजूद थे। श्रोताओं की आमद उनकी रुचि और शहर का मिजाज बतला रही थीं कि पहली बार शहर में इस आयोजन को लेकर केवल दिलचस्पी ही नहीं अपितु अपने रचनाकारों से मिलने को भी पाठक लालायित दिखाई दिए। गीत सत्र का समन्वय कर रहे अशोक भाटी ने कहा कि गीत दिलो को ही नहीं जोड़ते अपितु आत्मा को भी झंकृत करते है। गीतों की शुरुआत वैशाली शुक्ला ने सरस्वती वंदना से की।
राजेश राज ने कहा-
मेरे मन के भाव तुम्हें सौंप रहा
गीत अधूरे है
मेरे पूरे करने दो।
पायल की रुनझुन जैसा गीत लगे
मेरी साँसों में
बस उसकी तान बसी है।
अपने हाथों नए
कथानक गढ़ लो
एक रहस्यमयी पुस्तक सा
जीवन मेरा
डूब सको तो मुझ को तुम
डूब कर पढ़ लो तुम।
डॉ मोहन बैरागी ने कहा-
प्रेम के व्यास पर
मन के आभास पर
दृष्टियां वहाँ जमी
जहां मेरा प्रेम था।
प्रेम गीत पर अपनी बात रखते हुए डॉ वैशाली शुक्ला ने कहा-
मैं गजलों और गीतों से
सबका मन लुभाती हूँ
बड़ा अभिमान है मुझ को
महाकाल की बेटी हूँ मैं
मैं अपनों के साथ
अपना शीश झुकाती हूँ।
चित्र अच्छा लगे तो
आकृति बचाये रखना।
संस्कृति बनाये रखना।
बाबू घायल ने कहा-
पहले वीर रस की कविताएं पढ़ता था पर अब प्रेम की रचनाएं करने लगा हूँ।
तू है रूप की मल्लिका मैं
कलंदर से कम नहीं
तू ताजमहल हो भी शाहजहां के लिए
मैं हूँ फिक्र
किसी सिकन्दर से कम नहीं।
पंकज पलाश ने कहा-
मेरे बर्बाद का रास्ता
देखने वाले
खुद तमाशा बन गए
देखने वाले।
अशोक भाटी के सुमधुर गीतों से सत्र का समापन हुआ। शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने आज की शाम का आनंद दिल से लिया।
बाल साहित्य पर बोले वक्ता
उज्जैन पुस्तक मेले में रविवार को बाल साहित्य पर वक्ता जम कर बोले। वक्ता के रूप में रजनीकांत शुक्ल दिल्ली, सुषमा यदुवंशी, इंद्रा त्रिवेदी बाल भास्कर भोपाल रहे। समन्वय राष्ट्रीय बाल साहित्य केंद्र के संपादक मानस रंजन महापात्र ने किया। इस अवसर पर न्यास के हिंदी संपादक डॉ ललित किशोर मंडोरा ने कहा कि आज बाल साहित्य की महती आवश्यकता है, इस संदर्भ में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत काम कर रहा है। इस परिचर्चा में आमन्त्रित श्रोताओं ,प्रकाशकों ने भी वक्ताओं से सवाल जवाब पूछे।
आज लेखक से मिलिए
पुस्तक मेले में आज शाम 5 से 6.30 बजे लेखक से मिलिए कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जिसमें पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय पूर्व कुलपति वरिष्ठ साहित्यकार, उपान्यासकार डाॅ. मोहन गुप्त मुख्य अतिथि रहेंगे। वार्ताकार समीक्षक अशोक वक्त होंगे तथा कार्यक्रम संयोजक डाॅ. ललित किशोर मंडोरा होंगे।