महाकाल में वीआईपी व्यवस्था से आम दर्शनार्थी अपमानित
उज्जैन। महाकाल मंदिर में व्यवस्था में बदलाव करने हेतु वीआईपी को 1 घंटे सुबह और 1 घंटे दोपहर की जो सुविधा दी गई है उसके कारण आम श्रध्दालु अपमानित महसूस कर रहा है साथ ही देश और विदेश में भी बदनामी हो रही है। महाकालेश्वर मंदिर आम भक्तों का न होकर वीआईपी का हो चुका है यह धारण आम भक्तों में हो रही है।
प्रभारी मंत्री और उनकी गठित मंत्रियों की समिति ने कहा था कि महाकाल मंदिर में वीआईपी व्यवस्था समाप्त की जाएगी उसका स्वागत है लेकिन समिति ने आशा के विपरीत घोषणा कर मंदिर में केवल दो घंटे वीआईपी गर्भगृह से दर्शन करेंगे इस निर्णय से हिंदू धर्म को मानने वाला तथा महाकाल के दर्शन करने आने वाला भक्त अपने आप को अपमानित कर रहा है। इस निर्णय का महाकाल सेना निंदा करती है। महाकाल सेना के धर्म प्रकोष्ठ के महेन्द्रसिंह बैस ने पत्र भेजकर वीआईपी दर्शन व्यवस्था को समाप्त करने की मांग की है। भगवान महाकाल केवल वीआईपी लोगों के नहीं है सरकार के इस निर्णय से महाकाल मंदिर केवल वीआईपी का एवं शिवलिंग को स्पर्श एवं जल चढ़ाने का अधिकार केवल वीआईपी का हो गया है। यदि वीआईपी की सुविधाओं के लिए सरकारीकरण किया जाता है तो सरकार मंदिर का सरकारीकरण करना बंद कर दे।