300 करोड़ और 303 रायफल का रहस्य
तीन तिगाड़े, काम बिगाड़े और देश की हक़ीकत से सावधान -आचार्य सत्यम्
उज्जैन। मध्यप्रदेश के मुखिया नाथजी ने बाबा भोलेनाथ पर 300 करोड़ न्योछावर कर अपनी पीठ क्या थपथपाई कि तीन तिगाड़े ने काम ही बिगाड़ दिया। अब तो उनके स्थानीय सुबेदारों ने भी खुलेआम सवाल दाग दिए। जहाँ निशाने की बात आई, तो सुल्ताने हिंद के दरबार के तृतीय स्थानधारी जो द्वितीय से तृतीय हुए, उन श्रीमान राज के नाथ जी ने भी अंग्रेजी रायफल 303 की तारीफ में कसीदे पढ़ दिए और फील गुड के अंदाज में अपनी दिल्ली की पंचायत में 303 की संख्या को ब्रिटिश बंदूक बता डाला, ठीक इसी समय बिहार के स्वर्गीय मुखिया को सलामी देती इन्हीं अंग्रेजी बंदूकों की फूँक ही बंद हो गई। जिस महारथी पर देश की सुरक्षा का भार हो, चीन और पाकिस्तान से एक साथ जंग लड़ने का दावा जिन्होंने किया हो, हमारी अल्प बुद्धि के हिसाब से और दुर्भाग्य से कानून का विद्यार्थी होने के नाते अपना आचार्य धर्म निभाते हुए हम राष्टंीय सुरक्षा के ठेकेदार ठाकुर साहब को बताना चाहते हैं कि अंग्रेजों के जमाने की भारतीय दण्ड संहिता में धारा 303 हत्या के सिद्ध दोष अपराधी द्वारा दुबारा हत्या करने पर केवल फांसी के दण्ड से संबंधित है।
हस्तिनापुर के ठाकुर साहब और उनकी सरकार का फैसला तो सर्वोच्च न्यायालय और समय आने पर भारत की जनता करेगी, लेकिन अभी तात्कालिक मुद्दा हमारी न्यायिक जंग से संबंधित है। महाकालेश्वर महालय और उज्जयिनी के प्राचीन स्मारक महाराजवाड़ा के अस्तित्व से संबंधित है। प्रदेश सरकार के वर्तमान मुखिया जब हस्तिनापुर की राजसभा में मंत्री थे, तब तत्कालीन वजीरे आजम और वर्तमान राज्यसभा सदस्य (म.प्र.) बाबा मौनीजी ने जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनकरण योजना पर स्व. अटलजी के नगरीय विकास मंत्री जगमोहन की अनुशंसा पर हेरिटेज सिटी उज्जयिनी के लिए 1400 करोड़ रूपये स्वीकृत किये थे, 1200 करोड़ गायब हो गया और 200 करोड़ से महाकाल क्षेत्र विशेषकर रूद्रसागर का कबाड़ा किया गया। हेरिटेज सिटी की योजना को पलीता लगाते हुए सुल्ताने हिन्द ने काशी का विकास क्योटो की तर्ज पर करने की स्मार्ट सिटी योजना में उज्जयिनी को भी घसीट लिया और 100-200 करोड़ का चूर्ण विकास के नाम पर दिया गया। महाकालेश्वर की नगरी हेरिटेज और स्मार्ट सिटी के चक्रव्यूह में फंसकर काॅकटेल हो गई।
विगत सिंहस्थ में टायगर मामा ने जन-धन के 5000 करोड़ रूपयों से अधिक फूँक कर सुल्ताने हिन्द और संघ प्रमुख भागवत जी के साथ ‘‘ग्रीन उज्जैन - ग्रीन सिंहस्थ‘‘ का शंख बजाया। जवाहरलाल मिशन के 1400 करोड़ के विशाल लड्डू के उज्जयिनी पहुंचने के पहले ही दोनों ही सत्तारूढ़ दल आपस में कुष्तमपछाड़ा करते रहे और 1200 करोड़ वापस हो जाने के बाद आज तक मौन हैं। नाथ जी की सरकार ने जब महाकालेश्वर महालय पर 300 करोड़ी झुनझुना बजाया तो फिर वही नूरा कुश्ती की नौबत आ गई। दोनों सत्तारूढ़ दल प्रदेश की मरती गायों, धरती पुत्रों और दुष्कर्म पीड़िता तथा अब बड़े पैमाने पर अपहरण की शिकार मासूम बच्चियों, अस्तित्व खोती नदियों और पर्यावरण सर्वनाश के प्रति मौन साधे हैं। हमारा अभियान न्याय पालिका से न्याय तथा जन-जागरण हेतु निरंतर जारी रहेगा। हम नाथ सरकार को आगाह करते हैं कि वे बिड़ला समूह को 100 गौशालाओं का ठेका तथा महाकालेश्वर मंदिर एवं उज्जयिनी की विरासत के साथ खिलावाड़ करना तत्काल बंद करें। हमारे धर्म युद्ध के समक्ष उनका कोई भी पूर्ववर्ती प्रदेश मुखिया नहीं टिक पाया है। हमारी न्यायोचित मांगों को शिवराज सरकार की तरह स्वीकृत कर उन पर अमल करना लोकहित एवं राष्ट्रहित में अनिवार्य है।