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जीवन में आलोचना से बचे, प्रायश्चित करने से मिटते है पाप



पर्युषण के दूसरे दिन प्रवचन में बोली साध्वी चारुदर्शा श्रीजी, आज कल्पसूत्र शास्त्र भेंट करने की बोली लगेगी
उज्जैन। हमारे जीवन का एक बड़ा समय औरों के निंदा, आलोचना व बुराई करने में बीत जाता है। हम यह नहीं सोचते कि हम कहां हैं और क्या कर रहे हैं। जो बीत गया उसे भूल जाए और आशा ही जीवन में परिवर्तन लाना शुरू करें। मोक्ष को प्राप्त हुए कई ऐसे महापुरुष जिन्होंने शुरुआती जीवन में कई पाप व अपराध किये। लेकिन जब उन्हें तत्व बोध हुआ और उन्होंने पापों का प्रायश्चित किया तो वे निर्मल होकर अपना कल्याण कर गए। 
यह उद्गार मंगलवार को पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन साध्वी हेमेंद्रश्रीजी की शिष्या साध्वी चारुदर्शा श्रीजी मसा ने खाराकुआ पेढ़ी जैन मंदिर उपाश्रय में व्यक्त किये। उपस्थित समाजजनों को उन्होंने ज्ञानावर्णीय कर्तव्य के बारे में समझाया और कहा कि जब भी जरूरत पड़े हमें धार्मिक ग्रंथ शास्त्र आदि के प्रकाशन में सहभागी बनना चाहिए। क्योंकि यदि धर्मशास्त्र बचेंगे तो ही आने वाली पीढ़ी में धर्म संस्कारों का बीजारोपण होगा। साथ ही उन्होंने तीर्थों के उद्धार व जिनालय, उपाश्रय के निर्माण में लक्ष्मी का सदुपयोग करने के लिए प्रेरणा दी। पर्यूषण पर्व के तीसरे दिन बुधवार को सुबह 9.30 बजे से प्रवचन आरंभ होंगे और इस दौरान कल्पसूत्र वाचन व इसे भेंट करने की बोली लगाई जाएगी। प्रवचन दौरान बड़ी संख्या में श्वेतांबर जैन समाज जन मौजूद रहे।
गर्म जल के 1 माह के उपवास
इंदौर गेट निवासी प्रेमचंद दलाल परिवार के संजय जैन को मासक्षमण तप की तपस्या चल रही है। मंगलवार को उन्हें गर्म जल आधारित 23वां उपवास था। जिसकी समाजजनों ने प्रवचन सभा दौरान अनुमोदना की।

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