सिंधी समाज ने मनाई बड़ी सताए, सिंधी समाज के घरों में नहीं जला चूल्हा, सभी ने खाया ठंडा भोजन
उज्जैन। सिंधी समाज द्वारा बड़ी सताए मनाई गई। सिंधी समाज का यह त्यौहार सिंध प्रांत से मनाया जाता रहा है। इस दिन सिंधी समाज के घर पर चूल्हा नहीं जला, समाज के घरों में सभी ने ठंडा भोजन खाया।
भारतीय सिंधु सभा महिला शाखा की हंसा राजवानी ने बताया कि इस त्योहार में सिंधी समाज की महिलाएं 1 दिन पूर्व भोजन बनाकर रखती है जिसमें विशेष तौर पर मीठी कोकी, खट्टा भात, मीठी मोङी, मीठे पकवान, मीठे घेवर एवं आटे के तले हुए मीठे तरह-तरह के खिलौने एवं मिर्ची के भजिए तली हुई भिंडी, खट्टे मीठे दही बड़े, दूध की रोटी, नमकीन पराठे एवं चने एवं मूंग की उबली दाल आदि बनाई जाती है। सातम के दिन सवेरे ब्राह्मणी के घर जाकर पूजा की जाती है जिससे घर परिवार में एवं समाज में सुख शांति बनी रहे। ब्राह्मणी जो भी पकवान बनते हैं उसका भोग लगा कर देती है एवं जल का छिटा मारकर शीतला माता की कहानी सुनाती है। महिला वह जल लेकर अपने घर में आकर घर के चारों तरफ जल डालती है जिसे घर परिवार में सुख शांति एवं वंश की वृद्धि होती है। सिंधी समाज के शहर में सभी ब्राह्मणों के घर पर महिलाएं अलग अलग जाकर पूजा पाठ करती है। विशेष तौर पर भारती शर्मा एवं दीपा शर्मा ब्राह्मणी पटेल कॉलोनी के घर पर एवं गीता कॉलोनी, महाकाल सिंधी कॉलोनी, सिंधी कॉलोनी आदि ब्राह्मणों के घर पर जाकर महिलाएं पूजा करती है। इस दिन सिंधी समाज के घर पर चूल्हा नहीं जलता है आज के दिन सिर्फ ठंडा ही खाया जाता है एवं रात्रि में आपस में खेलकर समय व्यतीत करते हैं। ब्राह्मण जी के घर पूजा के अवसर पर विशेष तौर पर महक लता, तुलसी देवी राजवानी, कुंती लालवानी, अनिता राजवानी सहित कई महिलाएं उपस्थित थीं। महिलाओं द्वारा पूजा का क्रम सवेरे 8 बजे से दोपहर 3 बजे तक लगातार चलता रहा। इसमें समाज की सैकड़ों महिलाओं द्वारा बारी बारी से पूजा की गई।