top header advertisement
Home - उज्जैन << भोलेनाथ से पंगा मत लो कमलनाथ

भोलेनाथ से पंगा मत लो कमलनाथ



तीन तिगाड़े, काम बिगाड़े और प्रथम ग्रासे मक्षिकापात से सावधान-आचार्य सत्यम्
उज्जैन। प्रदेश के मुखिया कमलनाथ ने आखिर बाबा मृत्युंजय महाकाल से पंगा ले ही लिया। उनके ज्योतिर्लिंग महालय और अपने सहयोगी श्रीमंत के पूर्वजों के महाराजवाड़े के नीचे सुरंग खोदने का ऐलान कर ही दिया। प्राचीन कहावत तीन तिगाड़े, काम बिगाड़े की तर्ज पर लक्ष्मीदासजी ने 300 करोड़ के बाबा के भक्तों के खून-पसीने के प्रदेश के खजाने के झुनझुने के साथ बाबा के आशीर्वाद की नाकाम कोशिश की। बाबा के प्रति वैसे भी आपकी श्रद्धा भक्ति प्रश्नांकित रही है। केंद्रीय पर्यावरण और नगरीय विकास मंत्री सहित कई पदों पर विराजमान रहते भी आपने बाबा की नगरी की कभी सुध नहीं ली। पिछले विधानसभा निर्वाचन में भी आपने उज्जयिनी के स्थान पर तराना से तराना छेड़ा। बाबा टायगर मामा की नौटंकी से नाराज थे, इसलिए आपकी पंगु सरकार अस्तित्व में आ गई। आप इसे आपकी परिक्रमा कर रहे कलयुगी बाबाओं का प्रताप समझ बैठे, जिनमें से एक तो पिछले सोमवार को ही जब आपका विमान उज्जयिनी की ओर बाबा के दर्शनार्थ रवाना होना था, आपके राजनिवास के समक्ष आपके वचन भंग के कारण उन्हें गो सेवा आयोग का सिंहासन न मिलने पर भोपाल ताल के तट पर प्राण त्यागने पहुंच गए। अर्थात् प्रथम ग्रासे मक्षिकापात। कथावाचक बाबा को जैसे-तैसे भूमिगत कर आप बाबा भोलेनाथ के दरबार में विलंब से पहुंचे, तब तक वे जन दर्शनार्थ महालय से बाहर आ चुके थे। आपकी दलीय सेना आपके और आपके स्थानीय सूबेदारों के नियंत्रण से बाहर हो गई, आपके स्वामीभक्त नौकरशाहों ने मोर्चा सम्हाला, बाबा के मंदिर को पुलिस छावनी बना डाला, भक्तों को घण्टों धकियाकर की गई, आपके वी.आई.पी. दर्शन की व्यवस्थाएं भी धरी रह गई और आपकी सेना ने ही आपके कई सूबेदारों को मंदिर में ही धराशायी कर दिया। तीन सौ करोड़ी झुनझुने से भोलेनाथ को प्रसन्न करने की आपकी कोशिश उल्टी पड़ी, तीन मंत्री, तीन नौकरशाह और 300 करोड़ आखिर तीन तिगाड़े ने काम को बिगाड़ ही दिया। आपके दल के चाणक्य और स्थानीय सूबेदार हमें भली भांति जानते हैं। आपसे हमारी दुआ सलाम आज तक नहीं है और यही गड़बड़ लगता है आपकी जन्म कुण्डली के क्रूर ग्रहों को मारक बना रही है।
आपके आदरणीय जिन कुमार मंगलम जी को आप प्रदेश में 100 हाईटेक गौशालाओं का ठेका देने जा रहे हैं, उनके प्रपितामह की लक्ष्मीनारायण मंदिर की नागदा में प्राण-प्रतिष्ठा की अंतिम इच्छा को महादेव के आशीर्वाद से हमीं ने रोका था, क्योंकि बाबा गंगाधर वसुंधरा और उसकी सरिताओं तथा नंदी और गोवंश के साथ ही अबलाओं के संरक्षक हैं। आपने उनके हिमगिरि की पावन सरिता महानदी व्यास का अस्तित्व अपने निजी रिसोर्ट के लिए जब खतरे में डाला, तब से
आप बाबा के निशाने पर हैं। हमने उस समय प्रायश्चित स्वरूप आपसे बाबा की नगरी में राष्ट्रीय ख्याति के गोविज्ञान एवं पर्यावरण प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना करवाना चाही तो आपके स्थानीय सूबेदार ही अपने निहित स्वार्थ में भांजी मार बैठे, उनकी और आपके दल की लुटिया महाकाल की नगरी में डूब जाने पर भी जिसे श्रीमंत भी बचाने में असमर्थ रहे, यह तथ्य आपको एवं आपके दल को आज तक समझ में नहीं आया है और उन्हीं महापुरूषों के चक्कर में आप बाबा महाकाल से पंगा ले बैठे। हमारे लगातार सत्याग्रहों और निष्पक्ष, निडर मिडिया द्वारा हमारे वक्तव्यों के निरंतर प्रकाशन से आप अनभिज्ञ रहे, यह आपके राजधर्म और सत्ता के दायित्व तथा लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। आपके पूर्वाधिकारी प्रदेश प्रमुख और चाणक्य जी ने हमें बाबा के सागर की रक्षा के अपराध में ही काल कोठरी में रखने का पुण्य कर्म किया था और अब वे भोजपाल के ताल में अपने अरमानों के डूब जाने से व्यथित हैं और अपने सुकुमार को बाबा के महालय में सुरंग लगाने से न रोक कर ‘‘जाको प्रभु दारूण दुःख देही, ताकि मति पहले ही हर लेही‘‘ की तर्ज पर अपने और अपने कुल का भविष्य लिख रहे हैं। वे और आपके दलीय सूबेदार जो हमसे अबोले में है, यदि आपको अभी भी वास्तविकता से अवगत न करावें तो 13 वर्षों तक हमारे टारगेट पर रहे टायगर मामा से आप ज्ञान प्राप्त कर लें अन्यथा बाबा के तीसरे नेत्र के खुलने की प्रतीक्षा करें। प्रायश्चित स्वरूप हम आपको आगामी रविवार के श्रावण महोत्सव के अंतिम आयोजन में बाबा को प्रसन्न करने हेतु वीणा-वादन के कार्यक्रम में अकेले आमंत्रित करते हैं, यदि आप बाबा का आशीर्वाद लेना चाहें तो आमंत्रित हैं, अन्यथा हमारी और आपकी मुलाकात कुरूक्षेत्र में ही होगी। 

Leave a reply