मप्र का गौरव माधव कॉलेज तैयार है, नैक के मूल्यांकन के लिए- डॉ. जफर मेहमूद
उज्जैन। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं पत्यायन परिषद् (नैक) के विशेषज्ञ दल के सदस्य माधव कॉलेज का आकलन करने हेतु 20-21 अगस्त को आ रहे हैं। वे यहाँ सात प्रकल्पों का बारीकी से निरिक्षण एवं आकलन करेंगे। दल के विशेषज्ञ पाठ्यक्रमांे के पहलुओं पर जानकारी लेंगे। शिक्षण अधिगम और मूल्यांकन अनुसन्धान परामर्श और विस्तार, अवसंरचना और शिक्षण संसाधन को जांचेंगे। छात्र सहायता और प्रगति को परखेंगें, नेतृत्व और प्रबंधन की उपलब्धियों को देखेंगे। नवाचार और सर्वश्रेष्ठ अभ्यास के बारे में जानकारी लेंगे एवं भविष्य की कार्य योजना को जानते हुए मूल्यांकन करेंगे। विशेषज्ञ दल विगत पांच वर्ष की जांच करेगा। 2013-2014 से 2018-2019 की उपलब्धियाँ कॉलेज प्रशासन दल के समक्ष प्रस्तुत करेगा।
माधव कॉलेज के प्राचार्य डॉ मंसूर खान के मार्गदर्शन में नैक टीम बनाई है। जिसकी संयोजक चित्रकला विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर अल्पना उपाध्याय है। सातों प्रकल्पों के भी संयोजक बनाए गए हैं, जिनमें डॉ. ज्योति वैद्य, डॉ. जे एल बरमैया, डॉ अंशु भरद्वाज, डॉ राजश्री शर्मा, प्रो चंद्रकांता तेजवानी, डॉ संगीता दुबे एवं डॉ एल एस गोरसिया शामिल हैं। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (नैक) ने 70 प्रतिशत मूल्यांकन प्रमाणों के साथ भेजे गए प्रपत्रों एवं विद्यार्थियों की फीडबैक (ई-मेल द्वारा) प्राप्त हुई है, उसके आधार पर कर लिया है। अब फील्ड में 30 प्रतिशत का मूल्यांकन विशेषज्ञ दल द्वारा किया जाएगा।
डाॅ. जफर मेहमूद के अनुसार उज्जैन के माधव कॉलेज का गौरवशाली इतिहास है। शैक्षिक नवाचारों के साथ यह कॉलेज वर्तमान में भी कीर्तिमान बनाने की ओर अग्रसर है। आगामी 20 एवं 21 अगस्त को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (नैक) द्वारा इसका मूल्यांकन एवं प्रत्यायन करने के पश्चात् इसे ग्रेड प्रदान की जाएगी। 1890 में स्थापित माधव कॉलेज उच्चशिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र है। आजादी से पहले यहाँ के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने अध्ययन-अध्यापन के साथ सामाजिक, राजनैतिक चेतना में सक्रिय भूमिका निभाई थी। आजादी के बाद नगर में प्लेग जैसी बीमारी फैलने पर यहाँ के प्राचार्य, शिक्षकांे एवं विद्यार्थियों ने नागरिकों की जैसी मदद की वह अपने आप में मिसाल है। छात्र आंदोलन में भी इस कॉलेज का अनूठा इतिहास रहा है। देशभर में वर्तमान छात्रसंघ निर्वाचन प्रणाली भी इसी कॉलेज की देन है। शासन द्वारा छात्रसंघ निर्वाचन से सम्बंधित लिंगदोह कमीशन भी इसी कॉलेज के छात्रसंघ निर्वाचन से प्रभावित होकर बनाया गया। जिसकी सिफारिश के आधार पर वर्तमान छात्रसंघ निर्वाचन होते हैं। आरंभ में माधव कॉलेज को कलकत्ता, इलाहबाद और आगरा विश्वविद्यालय से सम्बद्धता प्राप्त रही।
विक्रम विश्वविद्यालय की स्थापना के मूल में भी माधव कॉलेज ही रहा है। वर्तमान में भी पांच भाषाओें में अध्ययन की सुविधा देने वाले इस कॉलेज
में अध्ययनरत विद्यार्थियों को तराशने का काम यहाँ के शिक्षकों द्वारा बखूबी किया जा रहा है। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में माधव कॉलेज
के शिक्षक और विद्यार्थी अग्रणी रहे हैं। इस कॉलेज के प्राचार्यों की श्रृंखला भी वैभवशाली व्यक्तित्वों से भरी हुई है। जिनमें हिंदी के जाने माने साहित्यकार डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का कार्यकाल स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। पद्मभूषण डॉ सुमन के प्राचार्य काल में हुए साहित्यिक, सांस्कृतिक आयोजन कॉलेज ही नहीं, नगर के इतिहास में याद किये जाते हैं।
हरिवंशराय बच्चन, महादेवी वर्मा, कमला रत्नम, रामधारी सिंह दिनकर, सही वात्स्यायन अज्ञेय, रामविलास शर्मा, नामवर सिंह, कर्णसिंह, रामकुमार वर्मा, अली सरदार जाफरी, जांनिसार अख्तर, कैफी आजमी, भवानी प्रसाद मिश्र, ख्वाजा अहमद अब्बास, शंकर शैलेन्द्र, कुमार गंधर्व,गोपाल सिंह नेपाली एवं बाबा नागार्जुन सहित अनेक विभूतियों का आगमन कॉलेज में हुआ। अखिल भारतीय कालिदास समारोह के आयोजन का केंद्र भी माधव कॉलेज कई वर्षो तक बना रहा है।