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काव्य संकलन ‘बदलाव का मौसम’ का लोकार्पण



कवि की अभिव्यक्ति बदलाव के मौसम की अग्रदूत - चैरसिया 
उज्जैन। कवि अपनी कविता में बदलाव के संकेत देता है। पीड़ा की अनुभूति सृजन की प्रेरक होती है। कवि की अभिव्यक्ति बदलाव के मौसम की अग्रदूत होती है।
यह विचार मालवी के प्रख्यात कवि डाॅ. शिव चैरसिया ने डाॅ. रमेशचंद्र के काव्य संकलन ‘बदलाव का मौसम’ के लोकार्पण प्रसंग पर व्यक्त किये। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आचार्य शैलेन्द्र पाराशर ने कहा कि डाॅ. रमेशचंद्रकी साहित्य साधना विभिन्न आयामों को स्पर्श करती है। उनके काव्य संकलन ‘बदलाव का मौसम’ में उन्होंने जनजीवन के कई रूपों को उकेरा है। पुस्तक समीक्षा करते हुए समीक्षक डाॅ. विजय सुखवानी ने कहा संकलन में कवि ने देशप्रेम, पर्वो, जन समस्याओं और मानव मन के अंतर को प्रभावी तरीके से  प्रस्तुत किया है। पूरे काव्य संकलन में वे अपनी शैली में रचना कर्म करते दिखे। कार्यक्रम के विशेष अतिथि गीतकार अमित मारू ने प्रभावी शैली में गजल सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने मां शारदा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित किया। अतिथियों का स्वागत नरेश भारती, राजेन्द्र गोयल, बाबूलाल चैहान, सुनीता गेहलोत, लक्ष्मीबाई, लीलाबाई, उस्माना भाई, जीनवाल, दाउ वर्मा, प्रकाश धाकड़, दशरथ सोनेर, समंदरसिंह, राजेन्द्र देवधरे, मुकेश जोशी, संतोष सुपेकर, राजेश केलकर, गिरीश चैबे, सतीश दवे आदि ने किया। स्वागत भाषण कवि अशोक भाटी ने दिया, लेखक परिचय व्यंग्यकार रमेशचंद्र शर्मा ने दिया। कार्यक्रम के अंत में आभार कवि
सुरेन्द्र सर्किट ने माना। इस अवसर पर कवि श्रीराम दवे, व्यंग्यकार पिलकेन्द्र अरोरा, व्यंग्यकार हरीशकुमारसिंह, पत्रकार अर्जुन चंदेल, विजय ठाकुर, देवेन्द्र जोशी, प्रभाकर शर्मा, सुरेश धाकड़, संदीप उपाध्याय, पत्रकार नरेश सोनी, मनमोहन द्विवेदी, मोहन लोहान, नीतेश मालवीय, रेखा मालवीय, अश्विन मालवीय आदि मौजूद थे।

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